मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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बुधवार, 12 मई 2021

ख्वाबों से लड़ाई

                     ★कहानी ★ 

★ख्वाबों से लड़ाई★
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सुबह जैसे ही उठी बिस्तर की सलवटों को देखती रही .. मन कसमसाकर रह गया...तेरा यू अचानक चले जाना, कभी सोचा नही था...हरदम दिल पर एक बोझ -सा पड़ा रहता है.. सोचती हूँ,क्या तुझे कभी मेरी याद नही सताती... मैंने तो आज तक वो चादर तक नहीं बदली जिस पर हम आखरी बार सोए थे।
 
मैं यू ही घण्टों बैठी उस चादर को निहारती रहती हूँ ..तेरे अक्स को खोजती रहती हूं... तब तेरे बदन की खुशबु मुझे पूरे कमरे में फैली हुई महसूस होती है...!

फिर मैं सामने के शीशे मैं खुद को निहारने लगती हूँ .. कुछ सफ़ेद तार झिलमिलाने लगते है .. चेहरे पर कहीं -कहीं झुर्रियां अपना कब्जा जमाने मे लगी हैं...आँखों में भी मवाद -सा भर गया है...तब में अपनी मिचमीची आँखों से खुद को परखने लगती हूँ... "हम्म! कुछ मुटिया तो गई हूँ ।
आँखों के नीचे भी काले घेरे आ गए है...तो क्या सचमुच जवानी मुझसे रूठ गई हैं ?"
"उफ्फ्फ! क्या मैं इसे बुढ़ापे की मौन दस्तक  समझू?"
"अरे, नहीं !नहीं!!!!!!" 
"अभी मेरी उम्र ही क्या है " 
"जवान हूँ ?"
" खूबसूरत हूँ"
"चालीस ही तो पार हुए है"
फिर मैं अपने आप पर ख़िज़ने लगती हूँ...सफ़ेद बालों को नोंचने लगती हूँ।
"ऊ हूँ हूँ मुओ!कहीं और जाओ ! तुम्हारा यहाँ क्या काम !"

फिर धबरकर उन पर ख़िजाब मलने लगती हूँ ..चेहरे को रगड़ रगड़कर धोने लगती हूँ।

न जाने क्यों मुझे आजकल गुस्सा भी बहुत जल्दी आ जाता है...जब पड़ोस वाली पिंकी और उसके दोस्त मुझे 'आंटी' कहते है तो बहुत गुस्सा आता है...मन मसोसकर हाथ मलकर रह जाती हूँ ...क्यूँ अभी भी खुद को जवान और अल्हड समझती हूँ ?

पता नहीं क्यों? अपने ही दायरे में कैद हूँ .....

क्यों नही समझती की समय अपनी गति से भाग रहा हैं...ओर मैं इस जीवन गति का ही एक हिस्सा हूँ।

आँखों से दो बून्द टपक पडते हैं..
सपने टूटने का दर्द तो होता है ना😢

 ---दर्शन के दिल से

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