#तमिलनाडुडायरी 4
(रामेश्वरम)
14 दिसम्बर 2022
"रधुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाई पर वचन न जाई!!"
इस दोहै की रीत मैंने आगे चल कर निभाई ।😪
खेर,कल हम ट्रेन के द्वारा मदुराई से रामेश्वर नामक द्विप पर आए।ऑटो वाला हमको महेश्वरी धर्मशाला में छोड़ गया।धर्मशाला बिल्कुल धर्मशाला की तरह ही थी । Ac रूम मैंने 950 रु में 1 महीने पहले बुक किया था।मेरी रिकवेस्ट पर हमको नीचे का रूम नम्बर 108 दिया गया।हमने समान रक्खा तो देखा रूम जरूरत से ज्यादा गंदा था ओर Ac भी नहीं चल रहा था। "ये बात मैंने Gds ग्रुप के एडमिन किशन बाहेती को बताई क्योकि उन्होंने ही ये धर्मशाला सजेस्ट की थी।किशन ने बोला कि उसको रूम बदलने का बोलो ओर साथ ही फोटु खींचकर मुझे भेजो।" मैंने बाहर आकर काउंटर पर शिकायत दर्ज की ओर कमरा बदलने को बोला,पर उनके सर पर जूं तक न रेंगी तो मैने बोला कि मैं ट्रस्ट में शिकायत करुगी, तो उसने थोड़ा नरम होकर रूम बदलकर 110 नम्बर रूम दिया।
खेर, ये रूम थोड़ा उन्नीस था पर टोटल बेकार ही था।1महीना पहले ही 2 दिन का रूम बुक कर के 1900 रु भर दिए थे वरना तुरंत खाली कर देती।पर मरता क्या करता । बाहर से गर्म पानी की बाल्टी लाकर हम फ्रेश हुए।ओर नाश्ता कम लंच के लिए बाहर निकले।
1 बज रहा था।पास ही महेश्वरी धर्मशाला का लंच होम था 100 रु की थाली थी जिसमें दाल-भात रोटी-सब्जी और दही था।अनलिमिटेड खाना था सिर्फ दही 1 बार ही मिलता था बाकी रोटी सब्जी चावल जितने खाना चाहो खा सकते हो।पर हम ठहरे 2 रोटी खाने वाले भला अनलिमिटेड हमारे किस काम का😛😛
खाना खाकर हम दर्शन के लिए निकले तो पता चला कि अभी दर्शन बन्द हैं 3-4 बजे दरवाजे खुलेंगे तब आना तब भीड़ भी कम होगी और दर्शन भी आराम से होंगे तो हम वापस अपने रूम में आ गए ।और थोड़ा आराम करने लगे।
ठीक 3बजे हम मन्दिर जाने को निकले ,अपना पर्स ओर मोबाइल होटल ही छोड़कर हम मन्दिर में जाने से पहले #अग्नितीर्थम की तरफ जा रहे थे धूप बहुत तेज थी कि अचानक साइड से किसी ने एक गाय को जोर से डंडा मारा और वो दौड़ती हुई हमारे नजदीक ही आई , हम तीनों आगे पीछे ही चल रहे थे अचानक हमको लगा की वो हमारी तरफ ही आएगी और हमने आगे को दौड़ लगाई,मैं आगे चली गई पर मेरी सहेली रेखा का पैर अपने ही पजामें में फंस गया और वो चारों खाने चित गिर गई उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया और वो उठ न सकी।उसको उठाने आसपास से लोग दौड़ पड़े।इस स्थिति में उसको बहुत जोर की लगी चेहरे पर नाक पर कुहनी, पैर के घुटने पर ओर अंगूठे पर जबरजस्त चोट लगी।हम वही रैलिंग पर बैठ गए ,जब उसकी तबियत थोड़ी ठीक हुई तो मन्दिर से बाहर निकलने वाले गोपुरम के सिक्युरिटी वाले ने हमको वही से मन्दिर के अंदर घुसा दिया ।हम फटाफट मन्दिर के लंबे गलियारे से निकलकर मेन मन्दिर के सामने खड़े थे। भगवान की ऐसी मेहरबानी हुई कि हम लंबे रास्ते से ओर भीड़ से बच गए।रेखा का घाव ताजा था इसलिए ज्यादा पता नही चला थोड़ा संभालकर मैंने उसको दर्शन करवाये ।भीड़ भी नही थी इसलिए फटाफट हम दर्शन कर के बाहर निकलने लगे ताकि रेखा को आराम करने रूम तक ले जाया जा सके पर गलती से हम कुंड की तरफ चले गए ओर बाहर निकलने का रास्ता अलग थलक था तो हमने 25₹ की 3 पर्ची बनवाकर फटाफट कुंड स्नान भी कर लिया।
स्नान कर के वापस रूम में आये तो देखा रेखा का घुटना सूज गया था।उसकी हालत खराब हो गई थी बुखार भी था ।
शाम का अंधेरा छाने लगा था। मिस्टर ने पूछकर एक डॉ का पता लगाया और उसको बहुत रिक्वेष्ट की चलने को पर वो नही आया ,बोलता रहा पेशेंट को यहां लेकर आओ। खेर,मिस्टर उससे दवाई लेकर आ गए।अब उसकी हालत ओर भी खराब हो गई थी बाथरूम तक चलना भी मुश्किल हो रहा था।
तब मैंने समझदारी से काम लिया और उसके लाख मना करने पर भी उसके मिस्टर को सारी स्थिति बताई ।मिस्टर ने बोला कि उसको फ्लाइट से जैसे तैसे बॉम्बे भेज दो।अब रामेश्वर में एयरपोर्ट नही है वहां का नजदीक एयरपोर्ट मदुराई ही हैं इसलिए हमको दोस्ती निभानी पड़ी और वापस मदुराई आना पड़ा। किस्मत से आज हम एक भी फोटु नही खींच सके।
कल क्या हुआ?
क्रमशः..
इसी स्थान पर रेखा का एक्सीडेंट हुआ था।
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