#तमिलनाडुडायरी 1
(मदुराई)
10 दिसम्बर 2022
आज रात 8 बजे की ट्रेन नागरकोल एक्सप्रेस से मैं,मेरी सहेली रेखा ओर मिस्टर के साथ हम दक्षिण की यात्रा को निकले।
12 दिसम्बर को सुबह 5 बजे हमारी गाड़ी मदुराई पहुँची।
6बजे हम मन्दिर के करीब " होटल टेंपल व्हीऊ " के अंदर थे।
कुछ देर आराम कर हम गुलफ़ाम बने होटल के बाहर निकल रहे थे।नजदीक ही एक मद्रासी रेस्त्रां में इडली का नाश्ता किया जो स्वाद में बकवास था। फिर हमने मन्दिर के पूर्वी द्वार से मीनाक्षी मन्दिर में प्रवेश किया।
मन्दिर में जैसा कि होता है फोन ले जाना अलाउ नहीं है पर यहां तो फोन,पर्स,पानी की बॉटल ,घड़ी वगैरा कुछ भी ले जाना अलाउ नही था।अगर था तो सिर्फ मनी!😜😜
"हमें तो लूट लिया मिलकर ....
खेर, हम अंदर गए ,लंबे गलियारों को पार करते करते पैर दुखने लगे ,देखा तो दर्शन की काफी लंबी लाइन थी देखकर ही चक्कर आ गया,मैं सोच रही थी कि कैसे इतना चलूँगी🤔
फिर किसी ने बताया कि आप जो लाईन देख रही हो वो 100₹ के टिकिट की लाईन है असली फ्री वाली लाईन तो आपने देखी ही नहीं है, वो तो मन्दिर के बाहर से शुरू हुई है🙉 नहीईई
अब मरता क्या करता हमने भी 2 टिकिट 100₹ वाली ले ली। रेखा ने तो पहले ही हथियार डाल दिये थे।हम दोनों लाईन में लग गए।
लाईन चींटी की चाल से चल रही थी वही खड़े खड़े हम 4 बार घूम लिए पर लाईन आगे नही बढ़ी।पैरों का बुरा हाल था😪
खेर, धीरे धीरे हम मन्दिर के नजदीक पहुँचे तो वहां 500 रु की लाइन वाले खड़े थे। हम उनको धकेलकर आगे बढ़ गए इतने में किसी ने 500₹ वालो का भी गेट खोल दिया उनको डायरेक्ट दर्शन थे मेरे नजदीक से वो निकल रहे थे अचानक मैं भी उनके साथ आगे बढ़ गई😜और लंबी कतार से छुटकारा मिनटों में मिल गया ।
जय अम्माँ की🙏
और फिर मैं अम्माँ के सम्मुख खड़ी थी।🙏अचानक अम्माँ ऐसे मेहरबान होगी ये सोचा ही नही था। मेरे सामने अम्माँ मीनाक्षी थी और आंखों में मेरे दर्शन की प्यास थी।कई सालों से देखा सपना आज पूरा हो रहा था और मैं दीपक की रोशनी में माँ अम्माँ को निहार रही थी।
जय माता की🙏
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