#तमिलनाडुडायरी 5
(रामेश्वरम)
15 दिसम्बर 2022
"कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता ,कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता।"
दोस्तों, सोचते क्या है और हो क्या जाता है ।हम सिर्फ कठपुतली हैं और डोर उस ऊपर वाले के हाथ में है।मेरी सहेली को क्या पता था कि वो रास्ते में ही सफर को अधूरा छोड़कर वापस चली जायेगी।
3 महीने पहले सजाया हुआ सपना यू अचानक टूट जाएगा ये किसी ने नही सोचा था।
खेर,रात जैसे तैसे गुजर गई ।रेखा की हालत खराब होती जा रही थी पैर अकड़ गया था उसको फ्रेश करवाने के लिए भी मेरे सहारे की जरूरत रही।सुबह 6 बजे मैं थोड़ा टहलने को निकली क्योंकि कल हमने कुछ नही देखा था और अब दोबारा रामेश्वर वापसी नही होनी थी तो मैंने सोचा कि थोड़ा घूम आऊँ ओर सुबह का नजारा अपने कैमरे में कैद कर आऊ तो मैं अपने मोबाइल को उठा दरवाजा बंद कर बाहर निकल पड़ी।
सुबह -सुबह काफी भीड़ थी।लोग मन्दिर आ जा रहे थे।काफी लोग काले कपड़ों में थे।क्योकि इन्ही दिनों साउथ में सबरीमाला की यात्रा होती है जिसमें लोग काले कपड़े पहने होते हैं वो लोग सारे हिन्दू टेंपल के दर्शन करते हुए सबरीमाला जाते हैं।
मैंने रामेश्वर मन्दिर का मेन गेट देखा उसको बाहर से नमन करते हुए अग्नितीर्थम की तरफ चल दी।बहुत तादाद में यात्री स्नान कर रहे थे।सूरज उदय हो चुका था मैं फटाफट सब देखकर वापस होटल आ गई क्योकि हमारी कार आने वाली थी जिसमे बैठकर हम मदुराई वापस जाने वाले थे।
ठीक 9 बजे
हमारी टैक्सी आ गई।और मैं बुझे मन से चल दी क्योकि मेरा रामेश्वरम देखना अधूरा रह गया था ओर मैं वापस मदुराई जा रही थी।टेक्सी जब पम्बन ब्रिज पहुँची तो नीचे मेरी निगाह यकायक ब्रिज क्रॉस कर रही ट्रेन पर पड़ी ओर कल की स्मृति आंखों में कौंध गई।कल इसी ट्रेन से हम कितने खुशी खुशी रामेश्वरम आ रहे थे।
खेर, दिल के अरमान आंसुओ में बह गए।मजबूरी थी सहेली को भी छोड़ नही सकती थी।
क्रमशः....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें