तमिलनाडुडायरी #10
18 दिसम्बर 2022
हम 10 दिसम्बर को बॉम्बे से चले थे पहले मदुराई फिर रामेश्वर फिर मदुराई ओर वापस रामेश्वरम आने का किस्सा आप सब अब तक मेरे 9 एपिसोर्ड में पढ़ चुके है 😀
अब आगे...
कल वापस आकर हमने आराम किया बहुत ज्यादा थकान हो गई थी।सुबह उठकर हमने आराम से दिल्ली दरबार जाकर आलू के परांठे दही के साथ खाएं और रामेश्वरम मन्दिर के गेट के आगे आकर भगवान को नमन किया और वापस होटल आ गए। आज कहीं निकलने का मन नही था।होटल आकर सचिन जांगड़ा जो Gds का सदस्य और मेरे बेटे जैसा है उससे रामेश्वर से कान्यकुमारी की ट्रेन की 3Ac की 2 सीट बुक करवाई।सीट तत्काल में बुक हुई और हमको आराम से नीचे की सीट मिल गई।आज रात 9 बजे की ट्रेन हैं। हमारे पास पूरा दिन पड़ा था मगर कीधर जाए कोई जगह नही सूझ रही थी फिर नहाधोकर हम तैयार होकर थोड़ा बाजार में घूमने निकल गए। मन्दिर के पास ही सड़क पर 100-100 रु की बहुत ही शानदार साड़ियां मिल रही थी ।मैंने भी 4 साड़ियां खरीद ली। कुछ पूजा का सामान खरीदा।मन्दिर के पास काफी गरीब फकीर ,साधु लोग बैठते है वही एक खाने वाला भी बैठता हैं उसके पास कुछ खाने के पैकेट रखे होते है 25 रु एक पैकेट के हिसाब से वो देता है ।
मैंने 200 रु के पैकेट खरीदकर उन भिखारियों में बांट दिए।
बाद में दिमाग मे आया कि पता नही वो खाना खाते है या वापस उसी को दे देते हैं? ओर पैसे ले लेते हो तो?
खेर,वो जो करे मुझे कुछ दान करना था कर दिया ,अब वो क्या करते हैं मुझे नही पता😃
हम वापस रूम में आ गए।सारा सामान समेटा आज हमको रामेश्वरम में आये 5 वां दिन था। एक बार दिल मे आया कि दोबारा मन्दिर में जाते हैं पर भीड़ की वजय से हिम्मत नही हुई।वापस इतने लंबे गलियारे पार करना और भीड़ में फसना मुझे दिल से गवारा नही हुआ।1बार दर्शन करो या बारंबार की फरक पेंदा हैं।🙏
लेकिन एक बार अच्छे से मन्दिर को दोबारा देखने का मन था। वो हसरत दिल की दिल में रह गई। खेर, रात को ऑटो बुलवाया ओर हम मन्दिर को प्रणाम कर स्टेशन को चल दिये। रामेश्वरम का रेल्वे स्टेशन महज 3 प्लेटफार्म का छोटा सा रेल्वे स्टेशन हैं और सभी प्लेटफार्म सीधे मेनगेट से जुड़े है किसी भी प्लेटफार्म से सीढ़िया नही चढ़नी होती हैं। आप किसी भी प्लेटफॉर्म पर आ जाओ आराम से बाहर आ सकते हो।
हम जल्दी ही स्टेशन पर आ गए ,अभी ट्रेन बन्द थी ।हम वही बाहर पड़ी बेंच पर बैठ गए।
अपने नियत टाइम पर ट्रेन चल दी और तीसरी बार हम पम्बन ब्रिज को पार कर रहे थे 😃
रात होने की वजय से दूर दूर तक स्याह समुन्द्र दिख तो रहा था पर कांच बन्द होने के कारण कुछ सुनाई नही दे रहा था। हम वही स्टेशनों से गुजरते हुए मदुराई आये। फिर हम सो गए।सुबह 5 बजे हम कान्यकुमारी पहुँच गए। रामेश्वरम में बहुत गर्मी थी पर कान्यकुमारी में काफी ठंडक थी।सुबह 5 बजे सारी गाड़ी खाली हो गई। क्योकि ये आखरी स्टेशन था।ज्यादातर लोगों ने यहां आकर स्वेटर पहन लिए,मुझे भी कंपकपी मची तो मैंने भी स्वेटर ओर टोपा पहन लिया कुछ राहत मिली।
बाहर आकर हम ऑटो कर के अपने बुक किये होटल #राजदा में आ गए पर ये क्या ,होटल वाला बोलता है 12 बजे से पहले रूम खाली नही होगा।
अब हम क्या करे ? बाहर काफी लोग एक साइड जा रहे थे तो होटल वाले से पूछा कि इतनी सुबह लोग कीधर जा रहे हैं तो वो बोला कि ये सब सूर्योदय देखने जा रहे हैं। तो हम भी सामान होटल में रखकर उधर चल दिये जिधर सब जा रहे थे।
शेष अगले एपिसोड में...
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