पढरीपुर यात्रा भाग2
10 सेप्टेंबर
दूसरा दिन
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दूसरे दिन हमने नाश्ता किया और टैक्सी से तुलजा भवानी के मन्दिर तुलजापुर को निकले।पंढरपुर से तुलजापुर 113 km है रास्ता बहुत ही खूबसूरत था। उस पर बारिश के कारण मौसम रंगीन हो गया था।हम साढ़े 10 निकले थे और डेढ़ बजे पहुँचे थे। हल्की बारिश अभी भी हो रही थी हम मन्दिर की ओर पैदल निकल पड़े।
हमने 4हजार 200 रु में कार की थी! हालांकि यहाँ तक बस भी जाती है पर बस मिस्टर को सूट नही होती है उनको बस में उल्टियों की शिकायत होती है तो मैंने टेक्सी से जाना ही उचित समझा।
हम तुलजा भवानी मन्दिर के अंदर 2 बजे पहुँचे। भीड़ ज्यादा नही थी आराम से दर्शन हुए। आधे घण्टे में हम मन्दिर के बाहर थे।
तुलजा भवानी माता छत्रपति शिवाजी की कुलदेवी है।
मन्दिर परिसर में ही एक करामती पत्थर है जिस को अपनी मनोकामना बोलकर हाथ लगाते है तो वो आपने आप घूमता है। यदि कामना पूरी होगी तो राइट तरफ ओर नही होगी तो लेफ्ट की तरफ झुकता है।आश्चर्य है।
मन्दिर में दर्शन कर के खाना खाकर हम चल दिये स्वामी समर्थ के मठ अक्कलकोट की ओर जो तुलजापुर से महज 80 km था।2 घण्टे का सफर कर के हम अक्कलकोट के मशहर मठ पहुँचे। मठ के परिसर में ही हमने रूम लिया 1100 ₹ का नॉन Ac था जबकि 2200 so रुपये का Ac रूम था। रूम में सिर्फ Ac का फर्क था इसलिए हमने Non Ac रूम लिया वैसे यहाँ बारिश हो रही थी तो काफी ठंडक थी।इसलिए हमने नान Ac रूम ही लिया।
शाम के 5 बज गए थे तो टेक्सी वाले को बिदा किया ओर मठ में ही स्वामी समर्थ के मन्दिर में जाकर दर्शन किये। भीड़ यहाँ भी नही थी।
कुछ देर वहाँ गुजारकर हम मठ के परिसर में घूमते रहे।बारिश बन्द थी और खुशनुमा माहौल था। रात 8 बजे मठ की तरफ से ही महाप्रसादी होती है।काफी भीड़ थी लेकिन शानदार व्यवस्था के चलते हमने आराम से प्रसादी ग्रहण की।सादा भोजन रोटी,दाल चावल,1 सब्जी और कुछ मीठा बेहद साधारण ओर टेस्टी खाना खाकर हम नजदीक ही अपने रूम में चले गए।
सुबह जल्दी उठकर हमको कोलाहपुर की ट्रेन पकड़नी थी।
क्रमशः
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