" मत पूछो ऐ दुनियां वालों कैसे मेरी किस्मत फूटी !
अपनों ने ही मेरे बनकर मेरे प्यार की दुनियां लुटी !!"
उनके जाने से मेरे दिल का वो कोना खाली हैं
जहाँ सजाई थी मैनें कभी तेरी इक तस्वीर
तंग गलियां !सुनी दीवारे ! जंगल में पड़ी इक मज़ार !
यादों का झुरमुट हैं या गुज़रे दिनों की बहार ...
तेरे रहने से इस बे-जान हंसी ने ,
ठहाकों का रूप लिया था कभी ,
जमी हुई ओंस ने तब --
पिधलना शुरू कर दिया था --
बर्फ की मानिंद इस जमी हुई रूह को
अब, तेरे आगोश का इन्तजार रहेगा ----?
भटकती रही हूँ दर -ब -दर
तेरे कदमों के निशाँ ढूंढती हुई
इस भीड़ में अब कोई मुझे पुकारेगा नहीं---?
कोई गलती नहीं थी फिर भी सज़ा पा रही हूँ मैं ---
तुझसे दिल लगाया क्या यही जुर्म हुआ मुझसे ?
न मैं समझ सकी, न तुम बता सके --
जिन्दगी के ये फलसफे ..उलझकर रह गए
उलझे हुए तारो को सुलझा सकी नहीं कभी --
इस उलझन में हम कब उलझ गए पता ही नहीं ???
मेरी पेंटिंग --दर्शन !
15 टिप्पणियां:
कोई गलती नहीं थी फिर भी सज़ा पा रही हूँ मैं
तुझसे दिल लगाया क्या यही जुर्म हुआ मुझसे ?
उफ़! क्या दर्द और कशमकश है,दर्शी जी.
भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
सुंदर अभिव्यक्ति !!
@धन्यवाद राकेश जी
@धन्यवाद संगीता जी
बेहतरीन अभिवयक्ति....
पुरानी डायरी आखिर खुल ही गयी।
बहुत कुछ संजो रखा है आपने ।
जगमग दीप जले
न मैं समझ सकी, न तुम बता सके --
जिन्दगी के ये फलसफे ..उलझकर रह गए
आदरणीया दर्शन जी,
यह कशमकश न जीने देती है न मरने.
बस सांस सांस दर्द की सूरत में बयाँ होती रहती है.
बड़ी गहरी कश्मकश है ... भावों को खूबसूरती से उकेरा है
बिन तेरे न एक पल हो| न बिन तेरे कभी कल हो||
प्रिय दर्शन कौर जी नमस्कार | आपकी लेखनी को मैं कैसे सलाम करूँ मेरे समझ में नहीं आ रहा है वाकई में बहूत खूब| आपको दिवाली की हार्दिक बधाई |
दीपावली की शुभकामनाएं ||
सुन्दर प्रस्तुति की बहुत बहुत बधाई ||
अपने ही लूटते हैं अक्सर ...
बहुत खूबसूरत. .दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..
boht vadiyaa jee
दीपावली की शुभ कामनाएं......
sundar prastuti....
प्रेम के रूप हजार। बहुत सुंदर कविता।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
bhaut hi sundar... happy diwali...
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