नैनीताल - केव गार्डन
यह मौसम सुहाना !यह शमां भीगा भीगा !
बड़ा लुत्फ़ आता जो तुम्हारा साथ होता !
नैनीताल भाग 1, भाग 2, भाग 3, भाग 4 -देखे यहाँ क्लीक कर के
जब हम एको -गार्डन पहुँचे तो 3 बज गए थे ..भूख बड़ी जोर से लग रही थी ...सुबह के बटर -टोस्ट कब के हजम हो चुके थे ..आसपास निगाहें दौड़ाई तो कुछ छोटे -मोटे ढ़ाबे दिख रहे थे ...जहाँ पहाड़ी औरते खाना बना कर खिला रही थी..पहाड़ी औरते बहुत मेहनती होती हैं ..इनके आदमी तो दारु पीकर पड़े रहते हैं...यह घर और बाहर दोनों संभालती हैं ....खेर, हमने वही चलने में अपनी समझदारी समझी....पर यह क्या ,सब जगह खाना ख़त्म हो गया था ..दाल -चावल भी नहीं बचे थे ...बड़ी मुश्किल से एक जगह एक औरत ने हमें आलू के पराठे बनाकर खिलाए ...एक परांठा 20 रु .और दही 30 रु का एक कटोरी ..पर परांठे मोटे और स्वादिष्ट थे ..दो -दो पराठे खाकर हमने भूख को शांत किया और चल दिए "एको - केव पार्क ' देखने ....
एको - केव पार्क
यह केव नैनीताल शहर के माल रोड से 1 किलो मीटर दूर हैं ...अन्दर जाने का टिकिट हैं --बड़ो का 35रु ओर बच्चों का 25 रु ..इसमें प्राकृतिक रूप से बनी 6 बड़ी और छोटी गुफाए हैं .. कई जगह तो लेटकर पार करनी होती हैं ..प्रकाश का पूरा इंतजाम हैं ....यहाँ एक शानदार बगीचा भी हैं ....जो काफी दूर तक फैला हुआ हैं ....
हमने टिकट खरीदी तो काउंटर - मेन बोला --' आप नहीं जा पाएगी क्योकि बहुत झुककर चलाना पड़ेगा !' यह सुनकर पतिदेव तो बाहर ही रह गए ....पर मुझे तो जाना था क्योकि लडकियों को अकेले भी छोड़ नहीं सकती थी, वैसे भी मेरा मन था जाने का आखिर यही घुमने तो आए हैं ... सो, हम तीनो निकल पड़ी .....
इस छेल -छबीले नोजवान के साथ एक फोटू हो जाए
अरे ,, इसके कपडे किसने उतार दिए इतनी ठंडी में
सही कथन
पहली गुफा ..टाइगर केव में जाने का रास्ता ..अन्दर ही पेंथर गुफा भी हैं .. यहाँ सिर्फ दो गुफाए ही हैं
गुफा में जाने का रास्ता----ऊपर सीढियाँ हैं निचे काफी उतरना पड़ता हैं .. तो चले ---
आईईई .. ला.. ईत्ता नीचे हैं ...
यह गुफा का रास्ता हैं और एकदम ठंडा !अन्दर से हवा ऐसे आ रही थी मानो ऐ. सी. लगा हो
यह गुफा का रास्ता हैं और एकदम ठंडा !अन्दर से हवा ऐसे आ रही थी मानो ऐ. सी. लगा हो
वाह !!! यह असली प्राकृतिक गुफा हैं
हमारे साथ कुछ डाक्टर्स भी थे ..अच्छी पहचान हो गई वो चंडीगड़ से आए थे
अँधेरा नहीं हैं पर रौशनी कम हैं ..दोनों तरफ हाथ लगने से पत्थर चिकने हो गए हैं
और यहाँ से हम निकले ..वाह ! गजब ! वंडरफुल !
यह गुफा बहुत ही सकरी और नीची थी ..इसमें 3 गुफाए थी ..मैं इस में नहीं जा सकती थी क्योकि इसमें घुटने के बल रेंगकर चलना पडेगा, इसलिए मैं नहीं गई ...पर लड़कियां जिद करने लगी की हमें जाना हैं...अब अकेले कैसे जाने दू ...अभी 10 -15 लडको की टोली गई हैं और वो कुछ न कुछ खुरापात जरुर करेगे मैं रिश्क नहीं लेना चाहती थी ..यही सोच रही थी की इतने में तीनो डाक्टर्स दोस्त आ गए --बोले -'चलो बेटा, डर क्यों रहे हो '.. उनके साथ कोई डर नहीं था ...इसलिए लडकियों को भेज दिया और मैं बाहर ही इन्तजार करने लगी .....
यह बेट्स गुफा हैं ,,.यह गुफा बहुत नीची हैं ..डाक्टर्स दोस्त जाने का सोच रहे हैं ..पर जेस नहीं जाना चाहती थी वो वापस आने लगी तो उनके कहने पर उसने अन्दर जाने का साहस बना लिया और घुटने टेक कर बेट्स -गुफा पार की लेकिन निक्की नहीं गई ...वो दूसरी तरफ से बाहर निकल आई ...काफी देर हो गई मुझे चिंता होने लगी पर जेस दूसरी तरफ से बाहर आई ..
बाहर आकर उसने कहा --'की अन्दर जो लड़के गए थे वो हमें डरा रहे थे की बाहर जाने का रास्ता बंद हो गया हैं ..हम डर गए थे ..पर डॉक्टर अंकल ने उन लोगो को डांट कर भगा दिया ...बड़ी खतरनाक जगह हैं, यदि ऐसा हो जाता तो ? हम तो अंदर ही दब जाते..!' भय और खुशी का मिलाजुला रंग उस पर आ जा रहा था पर वो खुश ज्यादा थी .... बहुत एडवेंचर्स रहा... .' मेरी जान में जान आई...'
अब हम चल दिए गार्डन की तरफ ऊपर ...बहुत सुंदर लग रहा था काफी सीढियाँ थी पर सुंदर द्रश्यावाली देखने के लिए यह सीढियाँ तो चढनी ही पड़ेगी ..और हम चल दिए ..आप भी चले ......खुबसूरत नजारा देखने ....
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" अगर हो सके तो आज चले आओ मेरी तरफ
मिले भी देर हुई, और दिल भी उदास हैं ....!"
"आजा ! की तुझ बिन इस तरहां ऐ दोस्त धबराती हूँ मैं ....
जैसे हर शै मैं किसी शै की कमी पाती हूँ मैं ..."
यह कौन चित्रकार हैं...ये कौन चित्रकार ..
( जिसने इस स्राष्ठी में रंग भरे )
ऊपर से देखा तो मिस्टर बेंच पर बैठे हमारा इन्तजार कर रहे थे
कितनी ऊपर खड़े थे हम, दूर ~~~ तक फैली खामोशी ...और सुन्दरता ..
"ये खामोशियाँ ..ये तन्हाईयाँ ...मुहब्बत की दुनियां हैं कितनी जवाँ "
और यह हैं म्युझिकल फाउन्टेन जो रात को चलता हैं ..सदाबहार गानों के साथ
यहाँ हमने डॉक्टर दोस्तों के भी खूब फोटू खींचे ..फिर उनसे विदा ली ... हम चल दिए निचे की और ,क्योकि मिस्टर बार -बार फोन कर रहे थे वो बेचारे विक्की की बकवास सुन -सुनकर बोर हो गए होगे .....हा हा हा
और हम भी चलते हैं ' गवर्नर -हाउस' देखने ..वैसे यह स्थान अब तक देखे सभी स्थानों से अच्छा लगा ....शाम के 5 बज गए थे और विक्की थोडा परेशां था ..जब गवर्नर हाउस पहुंचे तो पता चला की वो 4.30 बजे ही बंद हो जाता हैं ,अब क्या करे ,कल देखेगे ...यह सोचकर कोई फोटू भी नहीं लिया ..अब मालुम हुआ की विक्की क्यों परेशां था खेर, वापस विक्की ने हमें हमारे होटल छोड़ .दिया और हम होटल पहुंचकर थोडा फ्रेश हुए और चल दिए झील की सैर करने ....
अगले भाग में देखे नैनीझील के मनोरम द्रश्य ...........
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जारी ---
यह हैं गवर्नर हाउस ..चित्र --गूगल
11 टिप्पणियां:
खूबसूरत सचित्र वर्णन
घर बैठे ही नैनीताल की सैर हो गई ...बहुत आभार आपका :)
dhanywad sanjay ..
मुझे तो सुरंग नाम से ही डर लगता है ! तस्वीरे देख - दिल सिहर उठा ! सुन्दर वर्णन ! ..अगले अंक की इंतज़ार ...
यह मौसम सुहाना !यह शमां भीगा भीगा !
बड़ा लुत्फ़ आता जो तुम्हारा साथ होता ...
Great presentation with lovely pics...Very thrilling !
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नमस्कार दर्शन जी.....सच में पढ़ कर मजा आ गया.....|
बहुत अच्छी जगह लगी इको-केव, नैनीताल में एक नई जगह का पता तो चला.........बहुत शानदार फोटो....|
हम भी साथ हैं आपके अगले लेख के सफ़र में.....
सचित्र सुंदर वर्णन ...
आभार नैनिताल घुमाने का ...
सुन्दर चित्र वर्णन...:-)
इतने मनमोहक और प्राकृतिक दृश्यों को देखकर मन खुश हो गया ... इसके लिए तो आपका बड़ा वाला शुक्रिया बनता है जी ...:)
धन्यवाद सदा ..
maasi maa,bahut hi masoom kavita rahti hai aapki,thanks.
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