शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
ओंकारेश्वर --भाग 1
(यह चित्र गूगल से ---क्योकि यहाँ फोटू खींचना मना है )
अपनी भतीजी की शादी में इंदौर जाने का मौका मिला ..वैसे मैं इंदौर जाने के कई मौके तलाशती रहती हूँ ...जनम स्थान का सवाल है भाई .....
दिनांक--21/1 /2013:--
.कल तक शादी थी ..आज कुछ फ्री हुए तो सोचा कहीं घुमने जाया जाये ..कल तो वापस जाना ही है अपने गाँव ..फिर सोचा कहाँ जाया जाए क्योकिं इंदौर में ज्यादा घुमने -फिरने की जगह नहीं है ..अहिल्या की नगरी है तो शिव भक्त अहिल्या बाई होलकर के यहाँ शिव के मंदिर ही ज्यादा होगे ...तो सबने सोचा की अब ओंकारेश्वर ही जाया जाये ..पिकनिक की पिकनिक और शिव के दर्शन भी हो जायेगे .....माध महिना चल रहा है तो इसी तरह कुछ पूजा -पाठ हम राक्षस लोग भी कर लेगे ..हा हाहा हा
अपने बचपन के दोस्त ' श्री राधेश्याम सिसोदिया साहेब' आये थे भोपाल से मुझसे मिलने ...पिछले कई सालो से उनसे मुलाकात नहीं हुई थी अब तो वो रिटायर्ड भी हो गए है ..फ़ूड कंट्रोलर रहे सिसोदिया साहेब ने ही ओंकारेश्वर का प्रोग्राम बनाया था-- बहुत धार्मिक प्रवृति के इंसान है ..उनकी पत्नी सरिता भाभी काफी समय पहले ही स्वर्ग सिधार गई थी--- उनसे भी मेरी काफी पटती थी ..मैने उनके साथ ही सन 1976 में पहली बार ओंकारेश्वर के दर्शन किये थे ,..तब मैं अविवाहित थी--- और उन्होंने ही कहा था की 'तुझे शिव जैसा ही पति मिलेगा' जो की पूरी तरह सत्य हुई थी !
आज काफी साल बाद उनके साथ ही जाने का सौभाग्य मिला ...वैसे तो मैं ओकारेश्वर कई बार गई हूँ ... 6-7 बार तो चक्कर लगाये होगे ही ..जब भी इंदौर आती हूँ तो ओंकारेश्वर या मांडव का एक चक्कर तो हो ही जाता है खेर ,
सुबह 11 बजे सब तैयार होकर निकल पड़े ....
हमारी टीम चलने को तैयार
वाहेगुरु की फ़तेह बुलाते ही गाडी चल दी ..इंदौर के बाज़ार से गुजरती हुई हाई -वे पर ..-ठंडी ठंडी हवा दिल को सुकून दे रही थी और हम सब मस्त अंताक्षरी खेलते हुए जा रहे थे ...रास्ते में शनिदेव का बहुत ही विशाल मंदिर आया पर हम रुके नहीं ,सोचा आते समय दर्शन करेगे ...भैरों -घाट शुरू हो गया .. भैरों - धाट पार करते ही एक चाय की दूकान पर गाडी रोक दी,..पास ही भैरों बाबा का मंदिर था ..सब वहां चल दिए ..कहते है इस धाट को पार करने से पहले भैरों बाबा के जो दर्शन नहीं करता उसके साथ कोई न कोई अनहोनी धटना धट जाती है ...इसलिए सभी यहाँ कुछ टाईम अपना वक्त गुजारते है .... चाय वाले का भी फायदा हो जाता है .. वैसे जगह भी काफी खुबसूरत थी ..ठण्ड का माहौल था ,ठंडी -ठंडी हवा चल रही थी ...बारिश में यहाँ की ग्रीनरी देखने काबिल होती है ..चारी और पानी के झरने बहते है ...
गुजरता कारंवा
भतीजा पापी,मैं ,भाभी,तन्नु ,भतीजी रिनू ,भतीजा बहू सरला,सरला का भाई बिट्टू ,और राधेश्याम जी ----कैमरा गर्ल नन्नू के साथ हम सब ....
पहाड़ का नजारा
लो आ गई एकदम कडक चाय
मंदिर का इतिहास :--
ओंकारेश्वर हिन्दुओ का एक धार्मिक स्थल है यह शिव के 1२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है ..यहाँ शिव पिंडी रूप में विराजमान है --यह मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है --नर्मदा नदी के बीच मोरटक्का गाँव से लगभग २० किलो मीटर दूर बसा है ...दूर से देखने पर यह द्वीप ॐ के आक़ार दिखता है, इसीलिए इसका नाम ॐकारेश्वर पढ़ा ..यह नर्मदा नदी पर स्थित है ..नर्मदा नदी भारत की पवित्र नदियों में गिनी जाती है ..इस समय इस पर विश्व का सबसे बड़ा बाँध निर्माण हो रहा है----
शेष अगले अंक मैं .....
शेष अगले अंक मैं .....
6 टिप्पणियां:
वाह जी वाह चित्रमय लेख ने अच्छा समां बांधा है। एक बार अपुन को भी ओंकारेश्वर जाने का अवसर प्राप्त हुआ है जब हम दोनों मियाँ-बीबी सन 2007 में यहाँ गये थे। आगे के लेख का इन्तजार है।
बढिया यात्रा
बहुत सुंदर संस्मरण
bahut hee badhiyaa yarta ka chitran
बहुत बढ़िया शुरूआत...अभी तक मेरा इस स्थान पर जाना नहीं हो पाया हैं....देखते है कब कार्यक्रम बनता हैं....
फोटो अच्छे लगे...धन्यवाद
नोट:
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