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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

लो फिर बसंत आया ---!




( बसंत पंचमी की सबको हार्दिक शुभकामनाए )




शास्त्रीजी ( डॉ. रूपचन्द्र "मयंक" ) की बसंत के आगमन की कविताए पढकर मेरा भी कवि ह्रदय यह सोचने लगा की, अब तो बसंत का आगमन करना ही पड़ेगा सो, शास्त्री जी ज़ेसी काव्य क्षमता तो नही हे मेरी अपनी सीधी -साधी भाषा में यह कविता लिख रही हु -----


लो फिर बसंत आया
फूलो पे रंग छाया
पेड़ो पे टेसू आया
लो फिर बसंत आया
कलियों ने सिर उठाया
भवरों ने प्यार जताया
लो फिर बसंत आया
जाड़े ने दुम दबाया
मोसम ने भी तपाया
लो फिर बसंत आया
कोयल ने चहचहाया
बुगला भी फडफडाया
लो फिर बसंत आया
फागुन ने फाग चड़ाया
होली ने रंग उड़ाया
लो फिर बसंत आया
सूरज ने भी गरमाया
कोहरा भी कसमसाया
लो फिर बसंत आया
चंदा भी मुस्कुराया
तारा भी टिमटिमाया
लो फिर बसंत आया
सरसों को फिर उगाया
मन झूम -झूम के गाया
लो फिर बसंत आया
फूलो पे रंग छाया
      लो फिर बसंत आया --!!

23 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

फूलो पे रंग छाया
लो फिर बसंत आया --!!

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

केवल राम ने कहा…

सरसों को फिर उगाया
मन झूम -झूम के गाया
लो फिर बसंत आया
फूलो पे रंग छाया
लो फिर बसंत आया --


बसंत के आगमन पर लिखी आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी ...आपका आभार

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

पलकें क्यूँ नम हुई
बसंत जब तुम आई
फिर वही कोकिल की चहक
है वही सरसों की महक
कौन सी कथा दुहराने चली आई
पलकें क्यूँ नम हुई
बसंत जब तुम आई .....

डॉ टी एस दराल ने कहा…

लो फिर बसंत आया --!!

इक ऋतु आए , इक ऋतु जाए
मौसम बदले ना , बदलें नसीबा ।

बस यह गाना याद आ गया ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

लो फिर बसंत आया
कोमल भावों से सजी ..
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

Sushil Bakliwal ने कहा…

मन झूम -झूम के गाया
लो फिर बसंत आया.
रुत परिवर्तन पर आधारित इस सुमधुर रचना के साथ ही वसंत आगमन पर आपको शुभकामनाएं...

विशाल ने कहा…

लो फिर बसंत आया --!
बहुत ही सुन्दर कविता.अभी तक गुनगुना रहा हूँ.
सलाम.

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कवित!

*******************

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

bahut hee sundar kavitaa...

padh kar BALIKA VADHU ke BASANT bhai saa ki yaad aa gayi!!

Sunil Kumar ने कहा…

स्वागत तो स्वागत है बस ख़ुशी से करना चाहिए मग़र यह रचना तो बहुत सुंदर निकली ,बधाई शायद में आपके व्लाग पे पहली बार आया हूँ अच्छी रचनाओं से बंचित रहा यह मेरी किस्मत है ...

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कवित|

वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें|

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@सदा जी ,आपका स्वागत हे--- :)
@संजय जी ,धन्यवाद |
@ केवलराम जी ,धन्यवाद |
@ डॉ दराल सा,बहुत ही अच्छा गीत हे ---
@सुशिल जी धन्यवाद !
@सगेबोब जी,गुनगुनाते रहे--बसंत का नाम ही है मोज-मजा--:) पतालीजी धन्यवाद!
@Sawaiji आपका स्वागत हे--पहली बार आने के लिए ---
@ धन्यवाद सुरेन्द्र जी
@ सुनील कुमार जी ,देर आए दुरुस्त आए --पहली बार आने पर आपका स्वागत हे --

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@हरकीरत जी ,बहुत अच्छी कविता हे --धन्यवाद !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

wah..sab kuchh byan kar diyaa apne to, bahut sundar..:)


बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kabhi hamare blog pe aayen...:)

आशुतोष की कलम ने कहा…

मैंने बसंत को
और बसंत ने मुझे बुलाया..

आप की कविता पढ़कर बहुत आनंद आया

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@Mukeshji,Aashutoshji dhanyvaad!

रविंद्र "रवी" ने कहा…

लो फिर बसंत आया! बहुत सुन्दर रचना!

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@Dhanyvaad!Ravindraji|

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

.

बसंत आपकी खबर स्वयं ही काव्य है.
कोई कवि बन जाये सहज संभाव्य है.

.

Dorothy ने कहा…

वसंती रगों से सराबोर खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
आप को वसंत की ढेरों शुभकामनाएं!
सादर,
डोरोथी.

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत ही सुन्दर ...
माँ सरस्वती को नमन........बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें आपको भी......

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@dhanyvaad Pratulji ,Dorothyji ,Chetanyji,aabhar!