"जब तक है जान की तर्ज पर "
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तेरे हाथो में मेरा हाथ ,
मेरे लबो पे तेरा प्यार ,
तेरा आगोश
नहीं भूलूँगी मैं
जब तक है जान
जब तक है जान ।
पहाड़ो पर तेरे साथ घूमने से
हर बात पे तेरे साथ हँसने से
तेरे साथ छत पे बाते करने से
मोहब्बत करुँगी मैं
जब तक है जान
जब तक है जान ।
तेरे झूठे सच्चे वादो से
तेरे परेशान जवाबो से
तेरे बेरहम सवालो से
नफरत करुँगी मैं
जब तक है जान
जब तक है जान ।
तेरी आँखों की शोख मस्तियों से
तेरी लापरवाह शरारतो से
तेरा पीछे से बाँहो में भरना
नहीं भूलूँगी मैं
नहीं भूलूँगी मैं
जब तक है जान
जब तक है जान !!!!!!!!!
4 टिप्पणियां:
सुंदर...
jaan bani rahe...
bahut sundar darshan jee...
meri nayi post ko aapke aashirvaad ka intezaar hai....
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2014/09/blog-post.html
बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@आंधियाँ भी चले और दिया भी जले
नयी पोस्ट@श्री रामदरश मिश्र जी की एक कविता/कंचनलता चतुर्वेदी
waah
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