अमृतसर यात्रा :--
भाग 10
मनिकरण भाग 2
2 जून 2019
28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले..रतलाम में मेरी भाभी भी आ गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये,31 मई को अमृतसर से निकलकर हम माता चिंतपूर्णी ओर ज्वालादेवी के दर्शन कर हम आनंदपुर साहिब रुके,1जून को किरतपुर गुरद्वारे घूमकर रात को मनिकरण साहब पहुंच गए ...सुबह बाजार घूम रहे थे।
अब आगे.....
पार्वती नदी बड़े वेग से बह रही थी उसका शोर रात के मुकाबले अब थोड़ा कम था हमने कई फोटू ओर वीडियो उतारे फिर खोलते कुंड के फोटू लिए वहां आलू उबल रहे थे और खाना बनाने की तैयारी हो रही थी ...
वहां से हम नदी के साथ -साथ चलते हुए भगवान विष्णु के मंदिर के दर्शन करते हुए आगे बढ़ रहे थे।
आगे हम माता नैना भवानी के लकड़ी के मन्दिर के पास पहुंचे..ये एक अति सुन्दर प्राचीन मन्दिर था वहां काफी देर बैठकर हम आगे चल दिये..।
थोडा आगे जाने पर हमको प्राचीन राममंदिर दिखाई दिया यहां काफी सीढ़िया दिखाई दे रही थी .. सीढ़ी चढ़कर हम मन्दिर के अंदर पहुंचे, अंदर से मन्दिर काफी सुंदर ओर बड़ा था राम की मूर्ति भी लुभावनी थीं।
यहां की शार्ट स्टोरी ये हैं कि यहां के राजा से ब्रह्म हत्या हो गई थी जिसके पश्चाताप के कारण राजा ने अपना सारा राजपाट भगवान राम को सौप दिया था ओर खुद सन्यासी हो गए थे तभी से यहां ये मनभावन मन्दिर बना हुआ है।
मन्दिर के सामने ही लकड़ी का रथ रखा हैं, जिस पर भगवान राम की रथयात्रा होती हैं ।भगवान राम के मन्दिर के बाहर भी गर्म पानी का छोटा सा कुंड बना था और यहां ठहरने के लिए कमरे भी उपलब्ध थे।जिनका 300 रु रोज का किराया था।
यहां फ्री भोजन की भी व्यवस्था थी।
राम मन्दिर के दर्शन के बाद हम घूमते हुए आगे जा रहे थे तो रास्ते मे फल बेचने वाली एक लड़की ने हमको संगम पर जाने का बोला जिसे हमने तुरंत मानकर उसके बताए रास्ते पर चल दिये...काफी आगे चलने के बाद हमको पार्वती नदी और ब्रह्मा नदी का संगम दिखाई दिया जहां काफी लोग पानी से अठखेलियों कर रहे थे। हम भी ब्रह्मा नदी के संगम पर पहुंच गए ...ओर पत्थरों पर बैठकर ब्रह्मा नदी ओर पार्वती नदी का कलकल बहता जल देखने लगे...नदी का ठंडा जल आंखों के साथ रूह को भी सुकून दे रहा था... यहां आने की सारी कठनाईया भूलकर हम भी लोगों के साथ पानी में मस्ती करने लगे..वहां बहुत से नए जोड़े अपनी ही मस्ती में चूर थे😀
करीब 4बजे हम यहां से रुक्सत हुए...मन तो नही मान रहा था पर जाना तो था...धीरे धीरे हम पहाड़ से उतरने लगे और बापस बाजार में आ गए ..अब हम बहुत थक गए थे ओर वापस अपने हाल में जाकर आराम करने के मूड में थे।
बाजार में हमको एक पहाड़ी ड्रेस वाले कि दुकान नजर आई हमने यहां यादगार के लिए उस ड्रेस में फोटू खिंचवाए..
बहुत मजा आया... सारी थकान फ़ुर्र हो गई और हम बच्चों की तरह फोटू खिंचाते हुल्लड मचाते हुए अपने बचपन को याद करते रहे.. सचमुच जब हम अपने दोस्तों के साथ कहीं जाते हैं तो उम्र की सीमा टूट जाती हैं और हम एक अबोध बालक की तरह सबके साथ मिलकर हुल्लड़ मचाते हैं तो लगता हैं मानो समय यही ठहर जाए ...😂
हम अपने ढेर सारे फोटू खिंचवाकर वही एक रेस्तरां में चाय पीने बैठ गए।
चाय पीकर निकल रहे थे कि अचानक एक ट्रेवल्स एजंसी पर नजर चली गई ,कल हमको निकलना था क्योंकि यहां देखने को ज्यादा कुछ था नही इसलिए टाईम खराब करने से अच्छा है कि हम किसी ओर जगह को ऐक्सफ्लोर करे पर किधर जाए कुछ सोचा नही था।
पहले कुल्लू जाने का प्रोग्राम बनाया,फिर ये सोचकर केंसिल कर दिया कि पिक ओवर चल रहा हैं और कुल्लू में भीड़ बहुत होगी तो हमने हरिद्वार जाने का फैसला किया और ऑफिस में गए ।इन्क्वारी की ओर कल रात के हरिद्वार के 3 टिकिट बुक करवाये ।
हमारा अगला डेस्टिनेशन हरिद्वार ओर ऋषिकेश था।
हमने कल रात 10 बजे भुंतर से वॉल्वो बुक की जिसमें एक आदमी का किराया 1400 सो रुपये।
अब हम वापस गुरद्वारे अपने हाल में आ गए ।थोड़ा रेस्ट कर ही रहे थे कि मेरे जयपुर के एक दोस्त का फोन आ गया वो भी अपनी फैमिली के साथ मनिकरण घूमने आए थे,मिलना चाहते थे तो मुझे उनसे मिलने फिर से नीचे जाना पड़ा।
नीचे गुरद्वारे के पुल पर खड़े हो हमने बातें की यहां ठंडक बहुत थी एकदम ठंडी हवा चल रही थी।
ठंडी से सुकड़ते हुए मैं वापस आकर अपनी रजाई में घुस गई।
अभी शेष है-----
विष्णु मंदिर
रथ
बस स्टैंड
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