सुनो ...❤️
हम मिलेंगे एक बार जरूर...
बुढापे में लकड़ी लेकर
तुम आओगे मुझसे मिलने...?
जानते हो क्यों??
क्योंकि उस समय
कोई बंदिशें नहीं होंगी
ना तुम्हारे ऊपर ,
ना मेरे ऊपर,
वो दौर भी कितना खूबसूरत होगा?
वो दौर भी तो खूबसूरत था 😘
कितना सुन्दर कितना दिलकश था..
जब हमतुम छुप छुपकर मिलते थे...
कोई देख तो नहीं रहा हैं,
बस इसी बात से सहमे रहते थे!
पर अब ऐसा कुछ न होगा!
ना किसी का डर होगा,
ना कोई दायरा !
न कोई समझौता!!
तुम आओगे ना मुझसे मिलने ?
तुम्हारी आँखों पर मोटा-सा चश्मा होगा ...
उस चश्मे से मैं निहारूँगी....
तुम्हारी आंखों की गहराईयों को....!
फिर तुम रख देना अपना सर,
हौले से मेरी गोद में,
मैं सहलाऊंगी तुम्हारे बालों को
अपने झुर्रीयों भरे...
कोमल हाथों से..!
सुनो....
मैंने एक सपना देखा हैं...
आखिर सपने देखना भी तो
तुमसे ही सिखा हैं !
कहो ना !...
तुम मुकम्मल करोगे ना ?
मेरे इस सपने को ..!
मैं छूना नहीं चाहती तुम्हें....
बस हवाओं की हर पुरवाई में
महसूस करना चाहती हूँ !
बेहद करीब से...।
तुम्हारे होने का अहसास,
अपनी श्वांस की गरमाहट में
महसूस करना चाहती हूं..
ख़ुदा की इबादत की तरह,
तुम्हें पूजना चाहती हूं!!!
बोलो ना !!
आओगे ना तुम मुझसे मिलने...?💕
---दर्शन के दिल से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें