अमृतसर यात्रा
भाग 11
मनिकरण भाग 3
3जून 2019
28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले..रतलाम में मेरी भाभी भी आ गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये,31 मई को अमृतसर से निकलकर हम माता चिंतपूर्णी ओर ज्वालादेवी के दर्शन कर हम आनंदपुर साहिब रुके,1जून को किरतपुर गुरद्वारे घूमकर रात को मनिकरण साहब पहुंच गए ...कल हमने काफी मनिकरण घुमा ...
अब आगे.....
सुबह-सुबह फटाफट ठंड से सुकड़ते हुए हम गरम पानी के कुंड में स्नान करने चल दिये...यहां यही खूबसूरत मौका होता हैं जब हम कुंड में होते है ,बाहर निकलने का मन ही नही होता हैं ...खूब मस्ती कर के हम कपड़े पहन कुंड से बाहर आये तो पता चला कि मेरी कम्फ़र्टेबल चप्पल किसी ओर को पसन्द आ गई थी और वो अपने स्थान से नदारत थी।
काफी देखा ,पर कुछ पता नही चला,लोग तीर्थ स्थान में भी चोरी करना अपना धर्म समझते हैं ।ख़ेर,मैंने भी किसी ओर की पड़ी स्लीपर पहन ली ,क्या करूँ बाजार तक तो जाना था ओर मैं एक कदम भी नँगे पांव चल नही सकती थी ,पर उस स्थान को बोलकर गई कि अभी नई चप्पल पहनकर आती हूं फिर जिसकी सम्पत्ति हैं उसको लौटा दूँगी।
बाजार में घूमते रहे पर मजाल हैं जो 10 नम्बर की चप्पल मिल जाये।
जैसे तैसे एक दुकान पर 200 रु की चप्पल मिली,वो कम्फ़र्टेबल तो नही थी पर ठीक -ठाक काम चलाऊ थी।
अब वापस गुरद्वारे आकर जिसकी भी चप्पल थी वहां थेंक्स बोलकर वापस रख दी...ईमान से😄
गुरद्वारे में लँगर खाया और कुछ देर आराम कर अपना सामान इक्कठा कर के मनिकरण को धन्यवाद बोल हम गुरद्वारे के पास पार्किंग से सीढ़ियों के द्वारा ऊपर आ गए।
वहां से एक खाली बस में सवार हो हम भुंतर को चल दिये।
रास्ते मे नया हिल स्टेशन बना "कसोल" से प्राकृतिक नजारे देखते हुए हम भुंतर पहुँच गए... वहां से वॉल्वो के ऑफिश में अपना सामान रख हम आसपास घूमने निकल पड़े...एक रेस्तरां में हमने चाय और ममोज खाये...फ्रूट्स की दुकान से कुछ ताजा फ्रूट्स खरीदे ओर रात 10 बजे अपनी वॉल्वो में सवार हो गए..
शेष आगे हरिद्वार में:---
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