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गुरुवार, 14 मार्च 2024

कश्मीर फ़ाइल भाग#5

कश्मीर फाईल #भाग 5
#गुलमर्ग (श्रीनगर)
भाग#1
#)गंडोले की सेर
5 सेप्टेंबर 2023


कल हमने दुधपत्री देखी।इतना खूबसूरत हरा-भरा मैदान इसके पहले मैंने खजियार मैं देखा था पर वहाँ कलकल करती ऐसी नदी नही थी। जबकि दुधपत्री की पहचान ही ये नदी हैं।
सुबह मैं गुलफ़ाम बनी खुशबू उड़ाते हुऐ जब डायनिंगहॉल में पहुँची तो गुजराती फेमिली नाश्ता कर रही थी।उनको मैं दूधपत्री के किस्से सुनाने लगी, पर उनकी एक बात सुनकर मेरी सारी खुशबू पल भर में उड़न छूं हो गई।
हुआ यूं कि, कल गुजराती फॅमिली सोनमर्ग जा रही थी पर हम दुधपत्री गए तो उन्होंने भी सोनमर्ग केंसल कर के दुधपत्री का ही प्रोग्राम बनाया और हमारे बाद वहां पहुँचे गए उनका ड्रायवर जो कश्मीरी था वो थोड़ा  चालक निकला उसने उनको कार से ही अंदर नदी तक सैर करवा दी वो भी सिर्फ 300 रु में ? ओर आराम से भी ; जबकि हमने 3हजार 200 ₹ खर्च किये और परेशानी से घोड़ो पर सवारी की😥 तब मुझे याद आया कि मैंने उनकी गाड़ी सड़क मार्ग से जाती हुई देखी थी और उन्होंने भी मुझे घोड़े पर देखा था। पर मुझे क्या पता कि वो गाड़ी इन लोगों की ही थी।  ये इसलिए लिख रही हूं कि यदि आप लोग कोई जाओ तो ध्यान रखे।
अब आज......
आज हम गुलमर्ग जायेगे।सुबह नाश्ता कर हम गुलमर्ग को निकले। गुलमर्ग श्रीनगर से 52 km दूर हैं।जो 2 ढाई घण्टे में कार द्वारा पहुँचा जा सकता हैं। गुलमर्ग कश्मीर का एक फेमस हिल स्टेशन हैं। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 8,690फीट हैं।
यहाँ की केबल कार एशिया की सबसे ऊंची केबल कार परियोजना हैं। हमने गंडोला का टिकिट पहले से ही ऑनलाइन खरीद लिया था।  फेज़ 1 का टिकिट 810 रु का ओर फेज़ 2 का  टिकिट 1050 ₹ का था। हमारे टाइम फेज़ 2 का गंडोला  चल नही रहा था।उसकी रिपेरिंग चल रही थी।
खूबसूरत दृश्यों को देखते हुए हमारा कारवां बढ़ता हुआ गुलमर्ग पहुँच गया।हमारी टेक्सी जैसे ही स्टैंड पर पहुँची घोड़े वालो की भीड़ हमारे ऊपर मक्खियों की तरह भिनभिन्नाने लगी।पर आज हम थोड़ा सतर्क थे कोई धोखा खाने को तैयार नही थे।पर हाय री किस्मत🤦धोखा तो मिलना ही था!
हमने सोचा था कि हम लोग बैटरी कार से गंडोले तक चले जायेंगे और पोनी नही करेंगे पर कश्मीरियों की चालाकी देखो, 2 km पहले ही टैक्सी स्टैंड बना डाला,जिधर हमको अपनी टैक्सी खड़ी करनी थी और हमारा ड्रायवर इतना शरीफ बन्दा था कि न अपना दिमाग इस्तेमाल करता था न अपने हाथ पैर 🙆
अब गंडोले तक हम जैसे लोग न पैदल जा सकते थे, न  पोनी पर, ओर अगर पोनी करे तो लुटे।
इधर पोनी वाला हमको गंडोले के पास छोड़ने का 4 हजार मांग रहा था।फिर मोलभाव कर के हमने 2 हजार में पोनी की ओर 'मरता क्या न करता' वाली स्थिति में हम पोनी से चल दिये।चलने के टाइम 2 आदमी  "मदद" करने हमारे आसपास चलने लगे। दोनों ने हम दोनों के घोड़े सम्भाल लिए।
 मैंने पूछा ---"आप लोग कौन?"
वो बोले– " हम मददगार है आपको सही सलामत घुमाकर यही छोड़ेंगे"
मैंने बोला---" हम टूटे फूटे हैं क्या?जब बॉम्बे से कश्मीर आ सकते हैं तो यहाँ अकेले क्यों नही घूम सकते।"  "वैसे आप लोग फोकट में चल रहे हो तो चलो"--मैंने बोला।
वो मुस्कुराये ओर तेजी से बोले--"अरे मेमसाब! जो मर्जी हो दे देना" अब मेरी हंसने की बारी थी😂😂
बड़ी मुश्किल से मैंने उनसे पीछा छुडाया।
आगे हमको फोटू वाले ने पकड़ लिया। "1 फोटू का 30 रु  हैं मेमसाब!" उससे भी बड़ी मुश्किल से पीछा छुडाया। अब हम गंडोले तक पहुँच गए। यहाँ के कर्मचारी बड़े अच्छे निकले ,क्योकि 50-60 लोगो की लाइन लगी थी उन्होंने  हमको शार्टकट रास्ते से अंदर जाने दिया और गंडोले में भी दूसरे लोगों को रोककर हमको पहले बैठाया।यहाँ Sr. सिटीजन होने के कारण थोड़ी Vip फीलिंग आई🤪
कश्मीर में पुलिस और मिलिट्री आपकी बहुत सहायता करते हैं।पर घोड़े के मालिक और टैक्सियों के मालिक खून चूसने वाली जोंक हैं।ये लोग पूरी तरह पर्यटको का खून चूसते हैं। परन्तु कश्मीर का आम आदमी जिससे पैसे का कोई व्यवहार नही हैं वो बहुत हेल्प करता हैं।
गंडोले में बैठकर हम ऊपर जा रहे थे। रास्ते के खूबसूरत दृश्य देखकर शुरू की कड़वाहट काफी कम हो गई थी। खूबसूरत पहाड़, मिट्टी के घर ओर टेढे मेढे रास्ते काफी खूबसूरत दिख रहे थे।
ऊपर पहुँचकर क्या देखा ।ये अगले एपिसोर्ट में।
मिलते हैं शब्बाखेर✋

गंडोले में जाने के लिए

गंडोले की लाइन में

गंडोले के अंदर

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