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गुरुवार, 21 मार्च 2024

कसौली यात्रा भाग #2

कसौली Meet पार्ट -2
 
12 जनवरी 2024
~~~~~~~💝~~~~

4 बजे जैसे तैसे सोकर सुबह 6 बजे उठना, वो भी इस ठंडी में, ऐसा ही हैं जैसे मौत के कुएं में छलांग लगाना। 😃 जी हां, अभी -अभी तो आंख लगी थी और चारु ने चिल्लाकर उठा दिया। पर क्या करें ,सुबह 8 बजे सब आजाएंगे ओर हम यही वाले तैयार नही हुए तो धिक्कार हैं हमारा एक दिन पहले आना।
सारे लोग अपने अपने शहर से रात को निकलकर  आज सुबह चंडीगढ़ पहुँच रहे थे और अब हमको चढ़िगढ़ से इक्कठा होकर कसौली पहुँचना था जिधर के लिए हम निकले थे।ओर जहां मीटिंग होनी थी।
तो सुबह फटाफट गरम पानी से कव्वा स्नान करके मैं भी तैयार हो गई। चाय और ब्रेड खाकर बाहर निकल गई। मैं ओर अपर्णा की मम्मी राजस्थान से आये राजेश जी और मदनजी के साथ उनकी कार से कसौली के लिए रवाना हुई । रास्ते मे हमको राजेश जी ने बढ़िया नाश्ता करवाया।

नाश्ता करके हम आगे को निकल गए।मैदानी एरिये को लांधकर अब हमारी कार पहाडो को नापने लगी थी ।जिधर सूरज की तेज किरणें अपना मायाजाल फैला रही थी। फिजा में गर्माहट होने लगी और हमने अपने अपने मौटे -मोटे जैकेट उतारकर हल्के स्वेटर पहन लिए थे। मैदानी एरिये में जहां अभी भी कोहरा छाया हुआ था वही पहाड़ों पर सूरज महाराज ने अपना साम्राज्य फैला रखा था। दूर तक घाटियां कोहरे से ढंकी थी पर चोटियां सूरज की रोशनी से जगमगा रही थी। और मैं इस आलौकिक सौंदर्य का रसपान अपने कैमरे से कर रही थी।
महज 60 km की दूरी 2 घण्टे में समेटकर हमारी कार The Hotal Chabal के लाउंज में खड़ी हुई , तो भव्य नजारा था.. टेरेस हमारे सामने था और  उस पर छोटा सा बगीचा सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। वही कुछ कुर्सियां बिछाई जा रही थी...शायद शाम का जलसा होने की तैयारी चल रही थी।एक कोने में स्टेज बना था और वही दीवार पर घुमक्कड़ी दिल से का बड़ा-सा पोस्टर लगा हुआ था ।पर मेरी नजर उस खूबसूरत झूले पर थी जो दूसरी तरफ मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।मुझे ऐसे झूले में झूलना बहुत पसंद हैं।🥰

तभी हमारा वैलकम करने Gds के सदस्य और इस शानदार होटल के मालिक कंवर कुलदीपजी  खड़े थे। हैंडसम, लंबे -चौड़े, पहाड़ी फिल्मों के नायक की तरह दिखने वाले  कुलदीप जी कही से भी मालिक नही दिख रहे थे। हंसकर बुआ का सम्बोधन जब उन्होंने बोला तो मैं भी पहली बार इस शख्सियत से रूबरू हुईं। ओर बहुत प्रभावित हुई। कुंवर इस छोटे से गांव "चॉबल" के राजा थे और इस सारी जमीन के मालिक थे। सभी उनको नाम से पहचानते थे। भला ,राजा को कौन नही पहचानेगा😄😄

कंवर कुलदीप ने हमसे हमारा आई कार्ड लिया और हमको कमरे की चाबी दी । चाबी लेकर मैं ओर अपर्णा की मम्मी रूम नम्बर 117 में दाखिल हुए। अब मेरा,अर्पणा का ओर उसकी मम्मी का 2 दिन के लिए यही रेनबसेरा था।

मैंने अक्सर देखा हैं पहाड़ो पर घर हो या होटल पहले टेरेस दिखती हैं फिर नीचे कमरे होते है।यानी की ऊपर से नीचे की तरफ जाते है ।यहाँ भी होटल चॉबल में ऊपर टेरेस थी और हम सीढियो से नीचे उतरकर अपने आलीशान कमरे में दाखिल हुए।अंदर कमरे वाकई में सुसज्जित ओर भव्य थे। बालकनी से घाटी का सुंदर दृश्य दिखता था। 

हमने सामान रखा और फ्रेश होकर ऊपर डायनिंग एरिये में आ गए।जिधर सारा Gds बैठा नाश्ता कर रहा था। हम तो नाश्ता कर आये थे इसलिए कुछ नही खा सके। इतने में कुलदीप जी मेरे लिए चाय ले आये और हम बातें करने लगे, तभी मेरे हाथों में पकड़े मोबाइल ने हरकत शुरू कर दी और कैमरे ने  धड़ाधड़ कुछ फोटू खींच डाले। कुलदीपजी के साथ उनकी जीवनसँगनी मधु भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर सबकी खातिरदारी में व्यस्त थी।खूबसूरत पहाड़ी ड्रेस में मधु  मंदाकिनी से कम नजर नही आ रही थी मैंने उसके साथ भी  कुछ फोटू खींचे ओर उनकी पिछली टेरेस पर चली गई जहाँ से घाटी का अमेजिंन ब्यूह  दिखाई दे रहा था। 

मैं अन्य लोगो से मिलने आगे बढ़ गई। सभी परिचित थे चारों ओर से बुआ-भतीजों का सलाम आदान-प्रदान होता रहा। वही सोनाली सबके लिए Gds नाम के बड़े सुंदर बेच बनवाकर लाई थी उसका श्रीगणेश उसने एडमिन को लगाकर किया। फिर सभी के कॉलर पर Gds बेच चमकने लगे। लगे हाथों मेरा भी कैमरा सबके मुस्कुराते चेहरे कैद करता रहा। ओर मेरी गैलरी फुल होती रही।🥰

खाना खाकर हम सबने सामने वाली पहाड़ी पर स्थित भगवान शिव के एक मन्दिर में जाने का प्रोग्राम बनाया। छोटा सा ट्रेक था ।पहले मुझे थोड़ा डर लगा पर चढ़ने के टाइम नितिन का सहारा लेकर ऊपर चढ़ गई और उतरने के टाइम मिसेस सन्दीप साहनी के सहारे नीचे उतर गई सबके प्यार भरे आग्रह ओर सहारे के मैंने ये किला फतेह किया।😃

शाम की छटा निराली थी । टी-टाइम के समय सामने की पहाड़ी सिंदूरी आभा लिए चमक रही थी। थोड़े बादल होने से सूर्यास्त नही दिख रहा था । लेकिन जो दिख रहा था वो गजब का था।जिसके लिए मेरे पास कोई शब्द नही हैं। सिर्फ ये कहूंगी ----"प्रकृति तेरे रूप हजार!!!

रात को सबका परिचय सम्मेलन हुआ।कार्यक्रम की शुरुवात हमने दिए जलाकर की ओर फिर वही कुलदीपजी के परिवार की लड़कियों ने नृत्य कर के सबका दिल जीत लिया।उसी में हमारे Gds के मेम्बर भी थिरक लिए।
यहाँ पहली बार Gds मीट में जो मेम्बर आये उनमें भिलाई के दो युवा जोड़े ने सबका ध्यान आकर्षित किया और वो थे सोनाली ओर सन्दीप। नटखट सोनाली ओर धीर गम्भीर सन्दीप सबके मन को भाये।
नए लोगों में Mp के उज्जैन के नो रत्नों ने भी अपनी आभा बिखेरी। जिसे सोनाली ने शिव के नो गणों की उपाधि दे डाली।🤣🤣🤣

इनके अलावा Gds मीट में आने वाले ओर भी नए मेम्बर थे जो पहली बार आये थे उनमें जयपुर वाले सन्दीप साहनी खुद ओर उनकी लम्बी चौड़ी फॅमिली थी जो हमसब के साथ लोहड़ी का ये पर्व मनाने कसौली आई थी। इनके साथ जयपुर से राजेश शर्मा जी और मदन शर्मा जी भी जयपुर से अपना वाहन लेकर आये थे।जिसमें चढ़िगढ़ से बैठकर मैं भी कसौली आई थी।
पहली बार रेणु चौधरी भी श्रीकृष्ण की नगरी नाथद्वारा राजस्थान से आई थी।
इसके अलावा हरिद्वार के हमारे एडमिन पंकज भी अपनी श्रीमतीजी को पहली बार Gds मीट में लाये थे।

इसके साथ हमारी मोनालिसा भी अपने श्रीमानजी ओर बिटिया के साथ पहली बार Gds मीट में आई थी।
पिछली पन्ना-मीटिंग में अपर्णा आई थी और इस बार वो अपनी मम्मी को लेकर आई । जिनके राम भजन सुनकर हमने तो उसी दिन प्रभु राम की मूर्ति प्रतिष्ठित कर दी,....ख्यालो में🤩
इसी कड़ी में  पिछली पन्ना-मीट में आया आगरा का नितिन भी जिसे हम कुँवारा समझते थे वो छुपारुस्तम भी अपनी श्रीमतीजी ओर एक प्यारी गुड़िया के साथ आया ।
तो ये था इस मीटिंग में  कुछ नए आये मेम्बरों का छोटा सा परिचय।जो मुझे याद हैं।अगर कोई छूट गया हो तो माफी🙏😃

बाकी हम पुराने मेम्बरों में एडमिन संजय कौशिक, अमनदादा, रितेश &रश्मि, पंकज, बबेले सर जी, अल्पा,चारु, मैं, सुनील, श्वेता,
सरोज, वृषभ, पूनम ओर माथुर साहब, डॉ अजय ओर नीलम ओर शरद शर्मा,जी शामिल हुए।
"रात का शमा झूमे चन्द्रमा.....मन मोरा नाचे रे जैसे बिजुरिया..."
उस रात सचमुच चन्द्रमा झूम रहा था और साथ ही Gds का हर शख्श झूम रहा था।कुछ तन से झूम रहे थे तो कुछ मन ही मन झूम रहे थे मेरी तरह😂🤣😂 पर उज्जैन से आये गोपाल जो खुद को गोबिंदा बोलते है । उन्होंने तो महफ़िल ही लूट ली🤗 अगर गोबिंदा उनका डांस देख लेता तो मारे जलन के ख़ाक हो जाता,उसको अपना सिंहासन डोलता नजर आता😂😂😂
बढ़िया प्रोग्राम चल रहा था पर ओपन में जब प्रोग्राम अपने पूरे शबाब पर था उसको बीच मे ही रोककर खत्म करना पड़ा क्योंकि ठंडी बहुत बढ़ गई थी ।मेरे तो हाथ-पैर दोनों सुन्न से हो गए थे😃 बार-बार सोच रही थी कि रूम में जाकर कम्बल ही उठा लाऊँ😜😜😜

फिर सब खाना खाने लपक पड़े ....
खाना खाकर कुछ देर बतियाकर सब अपने अपने कमरों में सोने चले गए। इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि म्यूज़िकल चेयर प्रोग्राम न हो सका ।खेर,अभी कल का भी दिन हैं तो मिलते हैं कल
क्रमशः....






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