पता नही मेरी राहे ,तुझ तक पहुंच पाएंगी या नही !
जिन्दगी के मेले में बहुत देर बाद मिले तुम !!
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अपने आप को ख़ुशी का लिहाफ ओढा,
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अपने आप को ख़ुशी का लिहाफ ओढा,
मै खुद को बहुत सुखी समझती रही,
पर तुम्हारी एक प्यार -भरी 'दस्तक' ने
मेरे मोह को तोड़ डाला ,
छिन्न -भिन्न कर डाला ,
तुम्हारा दीवाना- पन !
मुझे पाने की ललक !
समर्पण की ऐसी भावना !
मुझे अंदर तक उद्वेलित कर गई ---!
मै कब तक चुप रहती ?
कभी तो मेरी भावनाए --
खुले आकाश में विचरण करने को मचलेगी !
अपने अस्तित्व को नकार कर --
मैने तुम्हे 'हां' तो नही की मगर ,
तुमने एक झोके की तरह ,
मेरी बिखरी जिन्दगी में प्रवेश किया,
मुझे धरा से उठाकर अपनी पलकों पे सजाया
मै अपने अभिमान में चूर
तुम्हे 'न 'करती रही
और तुम बड़ी सहजता से आगे बढ़ते रहे ---
कब तक ? आखिर कब तक ---
अपनी अतृप्त भावनाओं की गठरी को सम्भाल पाती ,
उसे तो गिरना ही था --
"जिसे चाहा वो मिला नही ?
जो मिला उसे चाहा नही ?"
इस जीवन-रूपी नैया को ,
बिन पतवार मै कब तक खेऊ ,
तुम मांझी बन ,मुझे पार लगाओ तो जानू ?
तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी
मुझे धरा से उठाकर अपनी पलकों पे सजाया
मै अपने अभिमान में चूर
तुम्हे 'न 'करती रही
और तुम बड़ी सहजता से आगे बढ़ते रहे ---
कब तक ? आखिर कब तक ---
अपनी अतृप्त भावनाओं की गठरी को सम्भाल पाती ,
उसे तो गिरना ही था --
"जिसे चाहा वो मिला नही ?
जो मिला उसे चाहा नही ?"
इस जीवन-रूपी नैया को ,
बिन पतवार मै कब तक खेऊ ,
तुम मांझी बन ,मुझे पार लगाओ तो जानू ?
तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी
37 टिप्पणियां:
pyar kee dastak ko bahut khoobsoortee se jeevan roop se likha hai. aapka bebaak lekhan aur usse judee imaandaare prabhaavit karte hai. sundar rachna padhwane ke liye aabhaar.
मन के तारों को झंकृत कर दिया आपने। बधाई।
---------
भगवान के अवतारों से बचिए...
जीवन के निचोड़ से बनते हैं फ़लसफे़।
बहुत सुंदर
अंतर्मन के गहरे एहसासों का मनोमुग्धकारी चित्रण...
There are so many things to remember and they do slip your mind after a while. A post like this brings them back, thanks
bhut hi sunder rachna...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति,बधाई
तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी
और मै अपने वजूद के ,
एक -एक तिनके को समेटने लगी --
लिहाफ खुलने लगा है ----------???
बहुत सुन्दर एहसासों का चित्रण....
बहुत सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति है ।
"जिसे चाहा वो मिला नही ?
जो मिला उसे चाहा नही ?"
इस जीवन-रूपी नैया को ,
बिन पतवार मै कब तक खेऊ ,
तुम मांझी बन ,मुझे पार लगाओ तो जानू ?
ये पंक्तियाँ आउट ऑफ़ प्लेस लग रही हैं ।
सच तो यह है कि जो मिलता है उससे मनुष्य संतुष्ट नहीं होता ...
मन के भावों को सुन्दर शब्द दिए हैं ...
क्या ऐसा भी आप लिखती हैं 'दर्शन'जी
दिल निचोड़ ,दिल छीनती है 'दर्शन'जी
सपनों की दुनिया के उस पर जा
सतरंगी प्रेम के रंग भरती हैं 'दर्शन'जी
वाह! अपने दिल के अदभुत दर्शन करा दिए है आपने इस शानदार प्रस्तुति से. बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आयें. नई पोस्ट आज जारी कर दी है.
@ डॉ. साहेब,आउट ऑफ़ प्लेस तो है पर मन की व्याखा अनोखी होती है --
मन वीणा के तारों को अन्तर्मन तक झंकृत कर देने वाली अद्भुत प्रस्तुति. आभार इस सुन्दर रचना के लिये...
आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
अद्भुत सुन्दर बेहतरीन नज्म! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
बहुत उम्दा प्रस्तुति।
" कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता'
कभी ज़मीं तो कभी आसमां नहीं मिलता "
पर यहाँ तो ' न ' करते रहने वाला ही अब शिकायत कर रहा है !
उम्दा प्रस्तुति , भावनाओं से लबरेज़ !
"जिसे चाहा वो मिला नही ?
जो मिला उसे चाहा नही ?"
इस जीवन-रूपी नैया को ,
बिन पतवार मै कब तक खेऊ ,
तुम मांझी बन ,मुझे पार लगाओ तो जानू ?
सुन्दर कविता..हकीकत को दर्शाया है आपने!
काश हर काम मनचाहा होता !
हार्दिक शुभकामनाएं आपको !!
आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी नमस्कार !
दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
दर्शन जी ..इस कविता में एक छुपी हुई दर्द है !बेहद सुन्दर!
" जिसे चाहा वो मिला नही ?
जो मिला उसे चाहा नही ? "
ये डायलाग तो मेरा है भाई ।
पर मेरी महबूबा का नाम तो
कटोरी देवी था ।
Emotions are beautifully expressed when love knocks at heart .
राजिव जी ,प्लीज मुझे दोस्त ही रहने दो --?
जिसे चाहा वो मिला नही ?
जो मिला उसे चाहा नही !
सच ही है ...
बढ़िया रचना है ....हार्दिक शुभकामनायें आपको !
uljhanon men aksaer hasraten gaud ho jati hain ji .sunder rachana .
कविता और बहुत प्यारी सी फोटो के बीच का सामंजस्य देखते बनता है.वाह
तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी
और मै अपने वजूद के ,
एक -एक तिनके को समेटने लगी --
लिहाफ खुलने लगा है ---
कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं....
संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...
हो के आशिक परी रुख और भी नाज़ुक बनता जाएं रंग जितना खिलता जाएं है कि उतना उढ़ता जाएं है।
आप का ब्लॉग पढ़ कर मन को तस्सली मिली कि कोई आज भी है अच्छा लिखने वाला।
आप को समय मिले तो कभी हमारे ब्लॉग पर दस्तखत थे हमे और हमारे अनुसरणकर्ताओ को अच्छा लगेगा।
जब लिहाफ़ खुलता है ऐसा ही होता है……………बेहतरीन अभिव्यक्त……। मन के भावो का सुन्दर चित्रण्।
Jeevan ke kuch naazuk palon ka chitran bahut lajawaab andaaz mein kiya hai aapne .... bahut umda prastuti ...
मन के गहरे एहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति... लाजवाब रचना...
बहुत ही सुंदर एहसासों में पिरोई है आपने अपनी रचना ....
बहुत अच्छी लगी ....!!
खुसरो दरिया प्रेम का सो उल्टी वाकी धार!
जो उबरा सो डूब गया; जो डूबा वो पार!
सुंदर अहसासात कराती कविता के लिए
आभार
नाराजगी दूर करें :)
jindgi ki kitab ke mano sabhi panne khol diye hon. sidhi sunder rachna.
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति,बधाई|
मै कब तक चुप रहती ,
कभी तो मेरी भावनाएं ..
खुले आकाश में विचरण करने को मचलेगी !
अपने अस्तित्व को नकार कर
मैने तुम्हे हां तो नही की मगर ,
तुमने एक झोके की तरह ,
मेरी बिखरी जिन्दगी में प्रवेश किया,
मुझे धरा से उठाकर अपनी पलकों पे सजाया
प्रेम के अकथ स्वरूप को बेहतरीन अभिव्यक्ति दी है आपने।
भावमयी कविता।
तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी
और मै अपने वजूद के ,
एक -एक तिनके को समेटने लगी --
लिहाफ खुलने लगा है ----------???
मन के भावोद्वेग को शब्दों कि पैरहन. बहुत खूबसूरत रचना. अभिनन्दन.
तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी
और मै अपने वजूद के ,
एक -एक तिनके को समेटने लगी --
लिहाफ खुलने लगा है --
लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...
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