मेरी जिन्दगी में हादसों की कोई कमी नहीं हैं ---कभी -कभी इंसान चाहकर भी कुछ कर नहीं पाता ! मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ ---जब शादी को ३ साल गुजर गए और मेरी गोद हरी नहीं हुई तो मेरी अम्मा (सास ) का परेशां होना लाजमी था --उन्होंने घर में वाक् -युध्य छेड़ दिया --जिसके परिणाम स्वरूप मुझे घुटने टेकने ही पड़े --- मेरे बस में तो कुछ था नहीं --मैने हार मान ली थी, पर अम्मा हार मानने वालो में नहीं थी ---
अब शुरू हुआ मेरा लम्बा छोली -यात्रा ' अभियान --यानी हर मंदिर ,मजार ,गुरुद्वारा में जाकर पुत्र-कामना का ढोल बजाना ---मेरी भाभी मेरी सहेली के घर जब चिराग रोशन हुए तो मेरी कत्ल की रात फिर शुरू ...
हर मन्दिर-गुरूद्वारे में जब माथा रगडा तो 'मन्नतो' का स्टाक जमा होने लगा-- तो,लगा की कहीं भूल न जाऊ और मेरी इसी नादानी का भगवान कोई गलत डिसीजन न ले ले सो, एक बुक में लिखना शुरू किया -- की कहाँ क्या मन्नत की हैं और उसे कब पूरी करना हैं --? आज जब सोचती हूँ तो अपनी नादानी पर हंसी आती हें --
हर मन्दिर-गुरूद्वारे में जब माथा रगडा तो 'मन्नतो' का स्टाक जमा होने लगा-- तो,लगा की कहीं भूल न जाऊ और मेरी इसी नादानी का भगवान कोई गलत डिसीजन न ले ले सो, एक बुक में लिखना शुरू किया -- की कहाँ क्या मन्नत की हैं और उसे कब पूरी करना हैं --? आज जब सोचती हूँ तो अपनी नादानी पर हंसी आती हें --
खेर, आखिर में जब मैं अजमेर अपने भाई के लिए लडकी देखने गई तो माताजी के कहे अनुसार मुझे मजार पर भी जाना था --खुदा को याद दिलवाना था की ' भाई ,यह अत्याचार मेरे ही साथ क्यों ???
अजमेर शरीफ की मजार पर जाकर मेरी मामी ने जियारत करवाई और चादर चढाने की मन्नत की ---मैने भी अपना माथा रगडा और मन्नत का धागा बंधवाया -- विशवास तो था नहीं ?फिर भी ---
"कई बार हम अपनों के हाथो की कठपुतली बन जाते हैं --और चाहकर भी कुछ कर नहीं पाते .----?"
पर 'शायद' अजमेर जाना मेरा सफल हुआ --मुझे उस अकाल मूरत पर विशवास हुआ --- कुछ दिनों बाद मेरे घर में 'सन्नी' का जनम हुआ ---उसी दिन मेरे देवर सन्नी दयोल की पहली फिल्म देख कर आए थे --फिल्म थी --बे -ताब ! और इस तरह सन्नी का नामाकरन भी हो गया ---
अजमेर शरीफ की मजार पर जाकर मेरी मामी ने जियारत करवाई और चादर चढाने की मन्नत की ---मैने भी अपना माथा रगडा और मन्नत का धागा बंधवाया -- विशवास तो था नहीं ?फिर भी ---
"कई बार हम अपनों के हाथो की कठपुतली बन जाते हैं --और चाहकर भी कुछ कर नहीं पाते .----?"
पर 'शायद' अजमेर जाना मेरा सफल हुआ --मुझे उस अकाल मूरत पर विशवास हुआ --- कुछ दिनों बाद मेरे घर में 'सन्नी' का जनम हुआ ---उसी दिन मेरे देवर सन्नी दयोल की पहली फिल्म देख कर आए थे --फिल्म थी --बे -ताब ! और इस तरह सन्नी का नामाकरन भी हो गया ---
18 सितम्बर 1983
( सन्नी जब ८ महिने का था )
यह हैं सन्नी का दूसरा जनम-दिन --- मिस्टर, देवर, ननदों और ननदोइयो के साथ
(अपने दादा -दादी की गोद में~~~~~~ सन्नी )
(सन्नी का पांचवा जनम-दिन )
(अपने चाचा की शादी में ~~~सन्नी )
( मेरा पूरा परिवार )
( एक फंक्शन में रांझा बना हुआ )
(सन्नी-- जब स्कुल जाने लगा )
(शिमला ~~1995 में रोहतांग पर बर्फ में फिसलते हुए )
( वेश्नो देवी की यात्रा पर ---- 2003 में --- हमारा परिवार )
(के. सी. कालेज ऑफ़ इंजीनियर कालेज~~~कालेज फंक्शन में )
(कालेज की मस्ती ~~~~~ wow)
( Go-karting~~~~~~~~~ सन्नी ..)
(एडवेंचर ~~~~~~~~~सन्नी )
( विजिट ऑफ़ ~~~लोनावाला )
( पवई (अँधेरी ) अपने आफिस के बाहर~~~~ सन्नी !)
(अपने आफिस के साथियों के साथ ~~~सन्नी )
(मुंडा तैयार हैं ~~~~शादी के लिए )
हैप्पी बर्थ ड़े ~~~~~~सन्नी
30 टिप्पणियां:
बहुत बेताबी के बाद जन्मा आया है सन्नी बाबू,
जन्म से लेकर जवानी तक की पूरी फ़िल्म देख ली है,
अब मुंडे के लिये मुंडी भी तलाश हो जाये तो जरुर बता देना।
प्रिय सन्नी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !
ye film nahi trailer hi thaa picture abhi baaki hai babu
@ बताना नहीं हैं संदीप तुम्हे ढूँढना हैं ---आखिर बड़े भाई जो हो ..फिर बारात में भी तो चलना हैं .....
सन्नी जन्मदिन की मुबारक बाद पर , केवल जन्मदिन में केक काटना भर उत्सव की इतिश्री नहीं होती है एक नया सकंल्प लेना है जीवन के लक्ष्य को पाने के लिये और जीवन देने वाले को अहसास भी दिलाना है कि तुम्हे जीवन देकर उसने नेक काम किया है। शुभकामनाऐं।
aapko bete ke janam din ki bahut dher sibadhai............
सन्नी-सन सन सा संवर, सन-सन सुखद सुनील |
सरवन सम सुत समुन्नति, सामृद्धि-सम्मति-शील ||
सामृद्धि-सम्मति-शील, बधाई जन्म दिवस की |
पल पल आगे बढ़ो, फेस पर हरदम मुस्की ||
दे रविकर आशीष, मिले संस्कारी बन्नी ||
मात-पिता को हर्ष, ख़ुशी खुब पावे सन्नी ||
little cute sunny turned in to too handsome sunny ...laga koi life movie dekh rahe hain.bahut pyaare photographs hain.sunny ko janmdin ki dheron shubhkamnaayen.
सन्नी सन्नी हर जगह सन्नी , उसी सन्नी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई
वाह! सन्नी वाह! परमात्मा की असीम अनुकम्पा है तू.
जन्म दिन बहुत बहुत मुबारक.
खूबसूरत चित्रों में सन्नी और आप सभी को देखकर बहुत अच्छा लगा.
सन्नी चहेरे से ही नहीं दिल से भी बहुत खूबसूरत है.
ईश्वर से दुआ करता हूँ कि उसकी खूबसूरती हर दिन निखरती ही जाये.
सन्नी की पोस्ट पर कमेन्ट नहीं हो पा रहा है.
सन्नी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई|
सन्नी भाई को जन्मदिन की ढेर सारी बधाई .....
बेटे सन्नी धनोए को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ और आपको बधाई हो!
प्रिय सन्नी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !.....
सोहणे मुंडे नु भोत भोत बधाइयाँ जी ।
जन्मदिन मुबारक हो ।
many many happy returns of the day dear sunny bhaiya...pta hai aunty mere v ghar ka naam "sunny" hi hai:)
kare duniya pe raj, sare ghar ka hai taj
सन्नी को जन्मदिन की बधाई और शुभकामनायें ...
सन्नी नूं जन्म दिन दी लख लख बधाइयाँ जी,
पुत्तर ते ब्याण जोगा हो ही गया है जी.
ब्याह दी बधाइयाँ भी एडवांस में ले ल्यो जी. हा हा हा हा
जन्मदिन की बधाई ....
सन्नी को जन्मदिन की ढेर सारी बधाई ...
सन्नी को जन्मदिन की बधाई और शुभकामनायें .
sunny ko janamdin ki bahut bahut badhai aur uski amma ko shubhkamnayen...:)
संयोग है कि आज ब्लॉगवार्ता की बदौलत आज आना हुआ यहाँ... सन्नी को उसके जन्मदिन पर हमारा खूब सारा प्यार और आशीर्वाद ...
सन्नी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !
ढेर सारी बधाई ...
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाये.
मुंडे दे वास्ते हुन कुड़ी वि लब्भ ही लवो जी .
माफ़ करना कुछ गलत तो नहीं कह दिया !
HAMAARI BHI SHUBH KAAMNAYEN...BACHCHE KITNI JALDI BADE HO JAATE HAIN NAA...
AAPKI Prerna se apni beti ko bhent kar saka bahut-bahut
AABHAAR
सुपुत्री मनु को जन्मदिन की बधाई : 4 अक्टूबर
आश्विन की तिथि पञ्चमी, रहा नवासी वर्ष,
बहन शिवा की आ गई, हर्ष चरम उत्कर्ष |
हर्ष चरम उत्कर्ष, शीघ्र ही लगी डोलने,
ताला - चाभी फर्श, पेटिका लगी खोलने |
कह रविकर हरसाय, ख़ुशी से बीते हरदिन,
माता की नवरात, मास फलदायक आश्विन ||
भाई के संग में शुरू , किया पढाई कर्म |
सीखे थोड़ी देर से, पर भूले न मर्म |
पर भूले न मर्म, शिवा को टक्कर देती |
सीखी बाइक कार, कदम न पीछे लेती |
स्वस्ति-मेधा बहन, सिखा के खुब हरसाई |
प्यार हृदय में गहन, शिवा सा पाई भाई ||
राष्ट्रीय संस्थान में, भाई इलहाबाद,
जीवन में पहली दफा, था गहरा अवसाद |
था गहरा अवसाद, पीलिया को भी झेली ,
मैं एडमिट वेलूर, साल इक पढ़ी अकेली |
माँ का पा आशीष, किया श्रम इम्तिहान में,
एडमिट दुर्गापुर, राष्ट्रीय संस्थान में ||
भाई टी सी आय एल, बहन है टी सी यस |
लड़का-लड़की में भले, भेद हैं करते कस ?
भेद हैं करते कस, साथ खूब क्रिकेट खेली |
भाई की है दोस्त, बहन की बड़ी सहेली |
मात-पिता हम देत, खूब आशीष बधाई |
स्वस्ति-मेधा बहन, शिवा सा प्यारा भाई ||
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