आज मुझे उससे मिलना हैं
कार दौड़ रही हैं ...
और उससे भी तीव्र गति से मेरा मन दौड़ रहा हैं ...
और उससे भी तीव्र गति से मेरा मन दौड़ रहा हैं ...
सारी धरती दौड़ रही हैं ..
खिड़की से झांकती मेरी आँखें ...
दू.. ऊऊररर .. तक फैली हरियाली ....
गुनगुनाती फिजाए ..
हँसते नज़ारे ...
झूमते पेड ..
गिरते पात ..
पहाड़ों पर चढ़ती धूप ...
बहती नदी की कल -कल ध्वनी ...
दूर तक फैली ऊँची -ऊँची चोटियाँ ...
गहरी धाटियाँ ..
गहरी धाटियाँ ..
टेढ़े -मेढ़े रास्ते ...
धुमावदार पगडंडियाँ...
पर्वत पर मंदिर ..
मंदिर पर लहराता ध्वज ...
प्रसाद की खुशबु ..
घंटों की आवाजें ..
नगाड़ों की थापें ...
बांसुरी की धुन ..
भक्ति की स्वर लहरियां .
आसमान में उड़ता हुआ धुँआ ...
बांसुरी की धुन ..
भक्ति की स्वर लहरियां .
आसमान में उड़ता हुआ धुँआ ...
अंदर तक मन को आनंद विभोर कर रहा हैं ...!
आज मुझे उससे मिलना हैं ...
उसी से जिससे मैं प्यार करती हूँ ...
जिसपर मेरी कविताए समर्पित हैं ...
जिसपर मेरी कविताए समर्पित हैं ...
जो मेरे ख्यालों में बसता हैं ..
जो इन्हीं पहाड़ों का वाशिंदा हैं ...
मैं उससे परिचित नहीं हूँ ...?
कभी मिली भी नहीं हूँ ...
पर मेरे दिल पर उसी का 'राज' चलता हैं ...?
पहाड़ों से मैं जरुर परिचित हूँ ...!
यहाँ मेरा दिल बसता हैं ...!
सुकून मिलता हैं ...?
सुकून मिलता हैं ...?
मन करता हैं आँखें मुंद्द लू....
कुछ पल आराम कर लू ..
कितनी शांति हैं यहाँ ..
मरघट की ख़ामोशी जरुर हैं ...
आज मुझे उससे मिलना हैं ...
कार दौडती बल खाते रास्तो पर चली जा रही हैं ...
छोटे -छोटे घर इधर -उधर नजर आ रहे हैं ...
जैसे थाली में मोती बिखरे हो ...
पतली -पतली पगडंडियाँ नसों में हरकत करती हुई प्रतीत हो रही हैं ...
ठंडा माहौल ...
बदन में रोमांच भर रहा हैं ..!
खिलें हुए फुल ..
मानो साँसों में ताजगी भर रहे हो ...!
गुलाबी चेहरें !
बेदांग धुले जिस्म !
भोली मुस्कान !
अधखुली आँखें !
प्यार से ओत -पोत शब्द !
जैसे कह रहो हो ----
" शाब -मैंम शाब "
कितना अपना -पन लिए बोलती जुबान ....
मिठास तो ऐसी.... जैसे शहद घोल दी हो ......!
आज मुझे उससे मिलना हैं
कैसा होगा वो ?
वो अजनबी शख्स ?
कठोर या निर्मल ?
प्यारा या बेजान ?
उसे मैं नहीं जानती ?
पर मन जरुर टटोला था मैनें ?
शायद, मुझ में समर्पित तो था वो ?
पर ----??????
कुछ आशंका हैं ?
मन डर रहा हैं ---
कहीं उसके दिल में मेरे लिए कोई जगह नहीं हुई तो ?
तो ???
सवाल कई हैं ????
पर ----?
मुझे आज उससे मिलना हैं --
आज उससे वाकिफ होना हैं ---!
कुछ कहना हैं ???
वो जो अधुरा हैं ---
कुछ अनसुलझे प्रश्न हैं --जिन्हें खोजना हैं...?
जो तडप ! जो पीड़ा ! मेरी आँखों में बसी हैं ..
वो उसकी आँखों में भी देखना हैं ...?
प्यार हैं या नहीं ? यह सोचना हैं .--
कुछ अनगिनत बातों को बताना हैं ?
कुछ अनलिखे खतों के जवाब लेना हैं ?
उसका प्यार मेरा मुकद्दर हैं ...
आज उसको कहना हैं ..?
मुझे आज उससे मिलना हैं
आज रस्में - उल्फत निभाना हैं ..
सदियों की प्यास को पल में बुझाना हैं...
सारी दुनियां को छोड़कर जिसको मैनें पाया हैं --
वो कोई सपना नहीं एक हकीकत हैं ..
यह आज उसको बताना हैं ..
आज मुझे उससे मिलना हैं ....
आज रस्में -उल्फत निभाना हैं ....!
कार दौडती बल खाते रास्तो पर चली जा रही हैं ...
छोटे -छोटे घर इधर -उधर नजर आ रहे हैं ...
जैसे थाली में मोती बिखरे हो ...
पतली -पतली पगडंडियाँ नसों में हरकत करती हुई प्रतीत हो रही हैं ...
ठंडा माहौल ...
बदन में रोमांच भर रहा हैं ..!
खिलें हुए फुल ..
मानो साँसों में ताजगी भर रहे हो ...!
गुलाबी चेहरें !
बेदांग धुले जिस्म !
भोली मुस्कान !
अधखुली आँखें !
प्यार से ओत -पोत शब्द !
जैसे कह रहो हो ----
" शाब -मैंम शाब "
कितना अपना -पन लिए बोलती जुबान ....
मिठास तो ऐसी.... जैसे शहद घोल दी हो ......!
आज मुझे उससे मिलना हैं
कैसा होगा वो ?
वो अजनबी शख्स ?
कठोर या निर्मल ?
प्यारा या बेजान ?
उसे मैं नहीं जानती ?
पर मन जरुर टटोला था मैनें ?
शायद, मुझ में समर्पित तो था वो ?
पर ----??????
कुछ आशंका हैं ?
मन डर रहा हैं ---
कहीं उसके दिल में मेरे लिए कोई जगह नहीं हुई तो ?
तो ???
सवाल कई हैं ????
पर ----?
मुझे आज उससे मिलना हैं --
आज उससे वाकिफ होना हैं ---!
कुछ कहना हैं ???
वो जो अधुरा हैं ---
कुछ अनसुलझे प्रश्न हैं --जिन्हें खोजना हैं...?
जो तडप ! जो पीड़ा ! मेरी आँखों में बसी हैं ..
वो उसकी आँखों में भी देखना हैं ...?
प्यार हैं या नहीं ? यह सोचना हैं .--
कुछ अनगिनत बातों को बताना हैं ?
कुछ अनलिखे खतों के जवाब लेना हैं ?
उसका प्यार मेरा मुकद्दर हैं ...
आज उसको कहना हैं ..?
मुझे आज उससे मिलना हैं
आज रस्में - उल्फत निभाना हैं ..
सदियों की प्यास को पल में बुझाना हैं...
सारी दुनियां को छोड़कर जिसको मैनें पाया हैं --
वो कोई सपना नहीं एक हकीकत हैं ..
यह आज उसको बताना हैं ..
आज मुझे उससे मिलना हैं ....
आज रस्में -उल्फत निभाना हैं ....!
22 टिप्पणियां:
मुझे आज उससे मिलना हैं ... भावमय शब्द संयोजन रचना का ... बहुत खूब ।
बहुत सुन्दर भावमयी शब्द चित्र....
किस से मिलना है --यह तो अंत तक भी राज़ ही बना रहा .
लेकिन आप की रचनाओं में ताजगी भरा रोमांस होता है .
बढ़िया जी .
डॉ. साहेब यह तो मिलने के बाद ही मालुम होगा न ..अंत क्या हुआ ?आज तो मिल ही रही हूँ ..
थंक्स कैलाश जी....
थेंक्स सदाजी ...जर्रा नवाजी का ...
यूं ही मिलना जुलना औ मुलाकात होती रहे,
इश्क-ए-रस्म-ओ-रिवाजों की बात होती रहे
बलखाती पगडंडियों पर हाथों में हाथ डाले
दिल-ओ-गमख्वार की बात-बेबात होती रहे।
जज्बात औ अरमां मचलते रहे
आसमां के तारे रंग बदलते रहें
बिजली सी कौंधे जब यादों की
सपनों में एक सरगम बजते रहे
चित्र शब्दों क बयाँ कर रहे है.... या शब्द चित्र को बयाँ कर रहे है.... पर जो भी दिल के सारे एहसास उकेर कर शब्दों में आ गए है......
बहुत -बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
सुन्दर रचना...
बहुत ही खूबसूरत चित्रों के साथ ..एक चित्रहार सरीखी पोस्ट है दर्शन जी । आनंद और सुकून दोनों आ गए ..बहुत बहुत शुभकामनाएं
thanx shastri ji ..
Waah ! ajay ji aapka aana sukhad aehsas hei ...
Reena Maurya ji aane ka tahe dil se shukriya ..
sushmaji dil se nikle jajbaat hei ....
जैसा चाहते थे हम उन्हें ...
वो भी हमें चाहते तो कोई बात होती ...
पाने का अरमान तो था ...
बिन मांगे मिल जाते तो कोई बात होती ...
इस दिल में कितना प्यार भरा हैं ...
वो भी जान लेते तो कोई बात होती ..
हमने मांगा था उन्हें खुदा से ...
वो भी मांग लेते तो कोई बात होती ..
thanx lalitji ..is khubsurat kavita ke liae ...
सूचनार्थ: ब्लॉग4वार्ता के पाठकों के लिए खुशखबरी है कि वार्ता का प्रकाशन नित्य प्रिंट मीडिया में भी किया जा रहा है, जिससे चिट्ठाकारों को अधिक पाठक उपलब्ध हो सकें।
बेहद भावमयी रचना…………आज उससे मिलना है …………वाह !!!
bahut sundar,dharshan jee.thanks
दू.. ऊऊररर .. तक फैली हरियाली ....
गुनगुनाती फिजाए ..
हँसते नज़ारे ...
झूमते पेड ..
गिरते पात ..
पहाड़ों पर चढ़ती धूप ...
बहती नदी की कल -कल ध्वनी ...
दूर तक फैली ऊँची -ऊँची चोटियाँ ...
बहुउ उ उ त सुन्दर दर्शी जी.
आपने शानदार नज़ारे का दर्शन
करवाते हुए जो दिल की बात
लिखी है वह दिल को छूती है.
आपकी काव्य प्रतिभा को नमन.
वाकई , रचना के साथ साथ आपके लगाये गये चित्र गजब ढा रहे हैं
और उनसे रचना और भी सुंदर हो गयी है
अलग अंदाज़ ...बहुत सुंदर !
शुभकामनायें आपको !
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