नैनीझील
खुरपाताल से हम निकले और गए लवर्स पॉइंट्स ! वहां की रंगीनियाँ और ऊँचे -ऊँचे पहाड़ देखने के बाद हम चले 'हिमालय -दर्शन ' को ....रास्ते में विक्की के किस्से चालु थे ..बहुत ही हंसमुख लड़का था ...और टाईम कितना भी लगे उसको कोई जल्दी नहीं थी वो आराम से सब जगह घुमा रहा था,इसका भुगतान हमें लास्ट में भुगतना पड़ा ! खेर,हमारी गाडी चली हिमालय व्यूह देखने ....
हम स -परिवार ता. 9 को मुम्बई से नैनीताल घुमने निकले हैं .....आज 11 तारीख हैं और हम आज ही सुबह नैनीताल पहुँचे हैं ..और अब होटल से तैयार होकर नैनीताल - साईट देखने निकले हैं ...
3. हिमालय दर्शन :--
अब आगे :--
3. हिमालय दर्शन :--
अब आगे :--
हम हिमालय -दर्शन के लिए निकल पड़े यह पॉइंट नैनीताल शहर से 5 किलो मीटर दूर हैं .. इसकी उंचाई हैं 2300 मीटर हैं ! यहाँ से हिमालय का शानदार व्यूह दिखाई देता हैं और नैनीझील का खुबसूरत अक्स भी ..इस रोड को किलबरी रोड कहते हैं ..साफ़ -सुधरी रोड पर चलना अपने आप में सुखद अनुभव हैं ....पर हमें व्यू नहीं दिखाई दिया क्योकि आज काफी धुंध थी , वैसे कहते हैं यहाँ से चाईना -वाल भी दिखती हैं ..पता नहीं सही हैं या झूठ , क्योकि जब चाँद से चाइना वाल दिखती हैं तो हम तो धरती पर ही खड़े हैं हा हा हा हा और यह धरती कहते हैं गोल हैं, तो जनाब हमने बहुत कोशिश की पर न तो वाल दिखी न हिमालय ... आप भी देखिए :--
दूर तक फैले पहाड़ और ऊँचे -ऊँचे पेड साथ ही धुंध में लिपटा हुआ हिमालय ...
धुंध न हो तो हिमालय ऐसा दीखता हैं ---चित्र -गुगल जी से
" हुश्न पहाड़ो का क्या कहना हैं बारो महीने यहाँ मौसम जाड़ो का "
हिमालय का कोई दर्शन नहीं पर दर्शन के तो दर्शन हो रहे हैं ...हा हा हा हा
चाय के इन्तजार में मैं
धुंध की वजय से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ..पर कुल मिलकर बड़ा सुहाना शमा था ..जब हम हिमालय दर्शन के लिए गए तो काफी भीड़ थी ..लोग चाय और मेगी खा रहे थे ,- कहीं -कहीं भुट्टे भी सिक रहे थे ..पर भीड़ बहुत थी ..कई लोग निशाने लगा रहे थे ..पास ही बंदूकें राखी हुई थी ...दूर पहाडियों पर करीने से बोतले टंगी हई थी ..मैं सोच रही थी की यहाँ बोतले टांगी कैसे होगी ..? इतनी ऊपर आखरी पेड़ की डाली पर कैसे कोई पहुँचा होगा ...? खेर, हम चल दिए टेलिस्कोप से पहाडो का नजारा देखने ....
टेलिस्कोप से काफी लोग हिमालय का नजारा देख रहे थे , मैने पूछा कितने पैसे लोगे तो बोला--'एक आदमी के 30 रु. ! पर मैने कहा --'हमें नहीं देखना' ? वैसे भी कुछ दिखाई तो दे नहीं रहा था पर वो पीछे पड़ गया ,20 रु दे देना ...न -न करते -करते आखिर में हम सब ने 30 रु. में टेलिस्कोप का मजा लिया ...हा हा हा हा ...
प्रकृति का मज़ा लुटते हुए ..न कोई मंदिर दिख रहा हैं न चीन की दिवार ..'जेस कह रही हैं ..:)
यह स्कूल बना था फिल्म --"मैं हूँ ना " में ..पता नहीं स्कूल ही हैं या कुछ और ..
नैनीझील का लुत्फ़ लेते हुए --- हम -तुम
खुबसूरत शमा प्यारा -प्यारा .."ये हंसी वादियाँ .. ये खुला आसमान .." यह नज़ारे फिर कहाँ ?
यहाँ से नैनीताल का विहंगम द्रश्य दीखता हैं और झील देवी की एक आँख की तरह नजर आती हैं ..
हमने टेलिस्कोप से प्रकृति के नजारों का जायका लिया ..पर न तो वहाँ कोई मंदिर दिखा न कोई दिवार हा, दूर से वो घर दिखा जहाँ 'मैं हूँ न ' फिल्म की शूटिंग हुई थी जिसमें शाहरुख़ और जावेद की लड़ाई के द्रश्य हैं ..यहाँ पर हमने - गर्म चाय पी और हम चल दिए अपने अगले पड़ाव की तरफ .....
रात का नजारा नैनी झील का उपर से लिया चित्र ..गूगल जी की मेहरबानी से
हिमालय व्यू देखकर हम चले सुखाताल देखने......
4. सुखाताल :--
सूखाताल इस तालो की नगरी में उसे कहते हैं ...जहाँ बारिश के दिनों मैं पानी भर जाता हैं और तालाब बन जाता हैं ..इस समय यह जगह खाली और बंजर दिख रही थी और लोग -बाग़ आराम से आ -जा रहे थे !यह सीन विक्की ने कार में बैठे - बैठे ही दिखा दिया ..इसलिए कोई फोटू नहीं उतारा ..वैसे यहाँ कुछ था भी नहीं ....:)
5. हनुमान गाढ़ी :--
नैनीताल में यह स्थान ,पर्यटकों और धार्मिक यात्रियों के लिए बहुत महशूर हैं ..यहाँ से पहाडो की कई चोटियों के दर्शन होते हैं ..मैदानी जगह भी सुंदर दिखाई देती हैं .यहाँ एक वेधशाला भी हैं ..जहाँ नक्षत्रों का अध्यन किया जाता हैं ....यहाँ एक हनुमानजी का बड़ा मंदिर हैं उस पर हनुमानजी की बड़ी आदमकद मूर्ति प्रतिष्ठित हैं ..शायद इसीलिए यहाँ का नाम 'हनुमान गाढ़ी ' हैं ...पर यहाँ फोटू खींचना मना हैं इसलिए कोई फोटू नहीं खिंच सके ......आँगन में एक प्यारा कुता बंधा था ..सफ़ेद रंग का ..हमें देख कर अपनी जंजीर खींचने लगा ..मेरे बच्चे उसके साथ खेलने लगे ..फिर हम उसकी एक तस्वीर खींचने लगे तो पुजारीजी ने कहा की आप 'बिट्टू' को भी बाहर ले जाए और खूब फोटू खींचे ..बच्चो ने बिट्टू के फोटू खींचे .....जिसे खुद पुजारीजी की पत्नी बाहर लेकर आई ...आप भी देखे ...
प्यारा-सा कुता जिसका नाम था 'बिट्टू '
इसके बाद हमारा काफिला चला ' एको -केव्ज ' की तरफ ...भूख भी लग रही थी ..2 बज गए थे अब हमने होटल ढूंढना शुरू किया तो हमें कहीं भी होटल नहीं मिला ...भूख बड़ी जोरो से लग रही थी ..हमें विक्की की बाते याद आने लगी की आगे कही भी खाना नहीं मिलेगा .... धुप भी बड़ी तेज थी पर हवा बहुत ठंडी चल रही थी.... ....अगले भाग में पढ़े ..हमने क्या खाया ...? और मजेदार प्राकृतिक गुफाए ....
जारी ...
18 टिप्पणियां:
नयनाभिराम चित्रावली से सजी पोस्ट
वाह प्रभु ! शुभारम्भ कर दिया ...
Bahut hi sundar or suhaani yatra .....
Mazedaar photos..
darshan ka darshan ho gaya,ha ha ha, lage rahiye masi maa.thanks.
नैनीताल की सुन्दर चित्रवली पेश करने के लिए धन्यवाद!
bahut sundar
बहुत खूब...बहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति....
आज का आगरा
Thanx shastri ji
Thanx Sawaiji
dhanywad Fakeera ji ..aate rahe
dhanywad amanvaishnaviji ..
Dhanywad Sureshji ..
बहूत सुंदर चित्र ...
हरे सूट में दरसी जी,वाह!
हरे रंग की रंगत भी न्यारी होती है.
हनुमान गाढ़ी है या हनुमान गढ़ी ?
जो भी हो, हनुमान लीला पर भी आपको
आना अच्छा लगेगा जी .
'रात का नजारा नैनी झील का उपर से लिया चित्र' मेरा खींचा हुआ है, उम्मीद हैं अच्छा लगा होगा... नवीन जोशी, नैनीताल
वाह
थॅंक्स नवीन जोशी जी
थॅंक्स हर्षा
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