इस बार हमने स- परिवार नैनीताल जाने का प्रोग्राम बनाया ..3 महीने पहले से ही टिकिट बुक करवाई ताकि कोई परेशानी न हो .. वसई से हमने 'मडगाव -निजामुधीन ' सम्पर्क -क्रान्ति एक्सप्रेस से रिजर्वेशन करवाया जो रात को 9 बजे वसई से ही चलती हैं ...हम ठीक टाईम स्टेशन पर आ गए ...
गाडी चली और हम मुंबई की इस गर्मी को अलविदा कह कर चले तालो की रानी नैनीताल की और ....सुबह
मेरा ससुराल 'कोटा' आ पंहुचा 10 बजे और हमारे लिए आ गया गरमा -गर्म खाना ...कोटा की खस्ता कचोरी और गरमा -गर्म जलेबी मुझे बेहद पसंद हैं ...कोटा में भी गर्मी अपने योवन पर थी ..हम वापस अपने A.C. कम्पार्टमेंट में आ गए ...कुछ राहत मिली ! फिर भूख को काबू में किया खाना खाकर ....और सो गए ..शाम को आना था दिल्ली निजामुधीन ....अब मैं अपने कुछ परिचितों को फोन करने में मशगुल हो गई ...
सबसे पहले अपने चाहते बेटे अतुल को फोन किया तो पता चला की वो उदयपुर में मटरगस्ती कर रहा हैं ..कल तक आने की कोशिश करेगा .. 'नीरज जाट ' ने पहले ही दिया था की वापसी में मिलूँगा !अब नंबर आता हैं ..संदीप जाट का ! उससे मिलने की बहुत इच्छा थी, हमेशा 'बुआ' के गुण गाता हैं यानी मेरे, आज पहली बार मिलने का मौका आया था ..फोन घुमाया पर नदारत ..घंटी बज रही थी पर खुद गायब 5-6 बार कोशिश की पर कोई फायदा नहीं ,एक बार तो लगा बन्दा मिलना ही नहीं चाहता हैं क्या ? पर अपनी ही बात पर यंकी नहीं हुआ..क्योकिं घुमक्कड़ लोग हैं कहीं चले गए होगे अपनी मोटर साइकिल उठाकर ....खेर, फिर कोशिश करुँगी गे ...सोचकर अपने दुसरे फेसबुक परिचित 'कमलेश भट्ट को फोन घुमाया ..चलो वो तो मिल गया, उनको नैनीताल आने के बारे में बताया .उन्होंने सब कुछ अरेंज करने के लिए एक घंटा माँगा ...और हमने दे भी दिया ...तब तक एक दुसरे फेसबुक दोस्त हरदीप का फोन आ गया जो हमारा दिल्ली में निजामुधीन पर इन्तजार कर रहा था ..खाने में क्या खाएगे, वो सुनने को बेकरार था , अभी तक कोटा का आया खाना पचा भी नहीं था की एक और खाना ...????
खेर ,कमलेश भट्ट का फोन आया की आप का होटल बुक हो गया ..और कोई परेशानी हो तो बताए ? बस समस्या हल हो गई ..अब संदीप को फिर फ़ोन लगाया तो इस बार फोन ही बंद था ? मुकेश कुमार सिन्हा को भी फोन लगाया तो उन्होंने भी कहा देखता हूँ खेर, .....दिल्ली वालो की प्रीत निराली ....
इतने में अतुल का फोन आ गया की आज मैं शायद ही आ पाऊंगा ..कोई व्हीकल नहीं मिल रहा हैं ..खेर, मैनें उससे कहा की जरा संदीप को फोन लगा ,जब उसने फोन लगाया तो संदीप मियां मिल गए,,,,संदीप के पास कई फोन नंबर हैं ..उसको मेरा सन्देश दे दिया अतुल ने ,अब में संदीप के फोन का इन्तजार करने लगी ...
शाम को 5 बजे गाडी दिल्ली (निजामुधीन ) पहुंची ..गर्मी बहुत थी ...5 बजे भी दिल्ली जल रही थी ..हरदीप खाना लेकर मुश्तेदी से खड़ा था ..देखते ही पहचान गया .. सामान लेकर हम पास के ही एक रेस्टोरेंट मैं गए जहाँ हमारे सामान की भी जांच हो रही थी ..यहाँ दीप ने हमारा वेलकम किया और हमने नाश्ता किया और चल दिए पुरानी दिल्ली की और ...टेक्सी की प्री- पेड़ किराया हुआ ..290..और हम पहुंचे लेडिस वेटिंग रूम में क्योकिं जेंट्स -वेटिंग रूम खाली नहीं थे जिसके कारण मिस्टर को बाहर ही खड़ा होना पड़ा ,पर कुछ समय बाद रेलवे का बन्दा होने के कारण अंदर आने का मौका मिल ही गया ...गर्मी अपने पुरे शबाब में थी ..लौटते वक्त 1 दिन दिल्ली रहने का प्रोग्राम खारिज करना पड़ा ...बच्चे दिल्ली रहना ही नहीं चाहते थे ...जैसे हमारे बॉम्बे में तो बर्फ गिरती हैं ...हा हा हा हा
यह हैं पुरानी दिल्ली का गन्दा -सा फर्स्ट -क्लास वेटिंग रूम
अभी हमारे पास कुल 4घंटे थे 10.40 की गाडी थी .रानीखेत एक्सप्रेस जो सुबह हमें पहुचाएगी काठ गोदाम ! हम पुरानी दिल्ली के वेटिंग रूम में बैठे थे की संदीप का फोन आया की कोशिश करता हूँ आने की मैने तो मना कर दिया कहाँ इतनी गर्मी में कहाँ आएगा, फिर मिलेगे ..पर वो नहीं माना और हम उसका इन्तजार करते रहे .....
इन्तजार करते -करते हमारी ट्रेन का टाईम हो गया और हम चल दिए प्लेट फार्म नंबर 12 पर जहाँ हमारी गाडी अजमेर से आने वाली थी 10 .40 की गाडी 11 बजे तक भी नहीं आई थी और नहीं आ सके संदीप जाट भी ,,हा, फोन जरुर आया की लौटते वक्त जरुर मिलुगा ...पर अब हमारा इरादा रुकने का नहीं था तो संदीप ने कहा की वो ट्रेन में सुबह 5 बजे आ जाएगा ...चलो ख़ुशी हुई , लौटे समय नीरज जाट ,अतुल और संदीप सबसे मुलाक़ात हो जाएगी और हम चल दिए अपनी गाडी की तरफ .......
शेष अगले भाग में ....
जारी .....
30 टिप्पणियां:
दर्शन जी ......
बहुत खूब और अच्छा लिखा आपने.....| बड़ी उत्सुकता से पढ़ा मैंने आपका यह लेख |
नैनीताल हिल स्टेशन मेरे लिए शुरू से ही आदर्श स्थल रहा है....और मुझे बहुत ही खूबसूरत लगता हैं |
अगले लेख में मिलते हैं.......
धन्यवाद...|
दर्शन जी नमस्कार, काफी दिन बाद आपका ब्लॉग देखा अच्छा लगा, आप नैनीताल गए, नैनीताल की पुरानी यादे ताज़ा हो आयी हैं, नैनीताल में मेरा बचपन गुज़रा हैं, कई कई महीने पड़ा रहता था, मेरे मामा जी रहते थे, चलो आपके बहाने एक बार फिर नैनीताल की सैर हो जायेगी. अगली पोस्ट का इंतज़ार रहेगा....
Bahut rochak varnana...vaise maine aapke nainitaal ke photo face book par dekh liye the...bahut ghazab ke hain...
रेल यात्रा भी एक झंझट का काम है . विशेषकर गर्मियों में , बाहर निकलते ही लू लगनी शुरू हो जाती है . लेकिन नैनीताल का नाम सुनते ही गर्मी उड़न छू हो जाती है . देखते हैं आपके साथ नैनीताल .
बढ़िया पोस्ट भारतीय रेल के सफर की बात ही कुछ ओर है। खैर उम्मीद है आपका आगे का सफर भी बढ़िया और रोच ही रहेगा आगे की यात्रा वृतांत का इंतज़ार भी रहेगा। आपकी शेष यात्रा मंगल मय हो शुभकामनायें।
एक दिन जरुर मिलेंगे
आमंत्रित सादर करे, मित्रों चर्चा मंच |
करे निवेदन आपसे, समय दीजिये रंच ||
--
बुधवारीय चर्चा मंच |
jarur sandip ...
Thanx neerajji ...
हा, रितेश सही कहा नैनीताल हैं ही इतना सुंदर ..वेसे मुझे हर हिल - स्टेशन खुबसुरत ही लगते हैं ..जब भी वहाँ से आती हूँ तो यु लगता हैं मानो मेरी उम्र १० साल कम हो गई हैं हा हा हा हा
थंक्स रविकर जी ...
सही कह्य डॉ साहेब ..इसलिए हम ३ महीने पहले से ही प्लानिंग बना लेते हैं ..
Thanx pallaviji ....
bahut hi khubsurat safar yatra vritant hai sath me aapki mohak tasweer .. family ke sath jane ka maja hi alg hai .. badhai ho yaar ..
Thanx sunita ...sahi kaha ..
बहुत खूबसूरत सचित्र वर्णन
badhiyaa varnan, main to nainital aata jaata rehta hoon mere in-laws waheen ke hain!
बड़ी चंगी गल हैं जी ...तुस्सी तो स्वर्ग के दामाद निकले ..हा हा हा हा
दिल्ली वालों की बात मत पूछो जी :)
अब आपने सारी दिल्ली को ही बुला लिए इमरजेंसी कॉल पर तो बताओ कैसे पहुंचेगें?
आगे का हाल भी जानेगें। चलते हैं 7 - 7
बहुत बढ़िया!
दिल्ली तो दिल वालो की हैं ....नेता लोगो की हैं और नेताओ से फोन पर काम करवाना हमें बहुत अच्छी तरह आता हैं ललित .....हा हा हा हा हा
dhanywad shastri ji ...
आप ने आकर बुधवारीय चर्चा मंच की शोभा बधाई ।
आभार ।।
बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत खूबसूरत सचित्र वर्णन
vaah! suhaane safar ka suhaana varnan.
Nainitaal ke aankhon dekhe haal ka intjaar hai.
बहुत दिनों बाद दर्शन हुए राकेश जी किस दुनियां में हैं ...
सचित्र ही नहीं सजीव वर्णन ऐसा प्रतीत होता है कि हम आपके साथ यात्रा कर रहे हैं ........ बहुत खूब
Lady Ghumakkar:)... baap re.. har dus din bad pata chalta hai aap kahin gayee hui ho...:)
photos achche hain... aur commentry.. lajabab:)
darshan ji,aaj hi aapka blog padha,main bhi family k saath mata vaishno k darshn kp gaya tha
रोचक वृतांत
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