मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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बुधवार, 2 दिसंबर 2020

कर्नाटक डायरी#11

कर्नाटक-डायरी
#मैसूर -यात्रा
#भाग=11
#कुर्ग-यात्रा
#भाग=4
#22मार्च 2018

कल स्वर्ण मंदिर और दुबाले घूमकर हम शाम तक कुर्ग पहुंच गए।आज हम तालकावेरी घूमकर अब "राजा की सीट" नामकी जगह चल दिये अब आगे..
ताल कावेरी से हम वापस कुर्ग कि ओर चल दिये..शाम के 5 बज रहे थे और अब हम शहर में ही स्थित "राजा की सीट" नामकी जगह पर थे... सूरज अभी डूबा नही था और तेज धूप लग रही थी...यह एक छोटा -सा सुंदर पार्क था लेकिन इसमें ज्यादा भीड़ नही थी।

राजा की सीट  :--

राजा की सीट नामका एक सुसज्जित गार्डन है..फूलों और कृत्रिम फव्वारों से इसका सोंदर्य ओर भी निखर कर आता है। ठंडे मौसम में इसका शबाब देखने लायक होता है...कुर्ग यानी कि मडिकेरी का यह सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है।
मोटे पत्थर के मेहराब, खूबसूरत बगीचे, मजबूत बेंच और रीगल ओक के पेड़ इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
राजा की सीट के नाम से जाना जाने वाला यह पार्क हरियाली ओर धुंध का मिलाजुला सरूप है... साथ ही ऊँची-नीची ओर ऊंची ऊंची पहाड़ियों की श्रृंखला देखने लायक है.. राजा की सीट गार्डन कुर्ग के राजाओं का पसंदीदा पार्क हुआ करता था.. डूबते  सूरज की अनोखी छटा को देखने राजा अपनी रानियों के साथ  यहां समय बिताते थे...यह गार्डन प्राकृतिक नही है बल्कि ईंट ओर पत्थरों से बनाया गया है.. बैठने के लिए चार खंभे  लगाकर बनाया गया कलात्मक चौकोर छज्जा हैं,  यह पार्क पहाड़ पर पश्चिम की ओर चट्टानों और घाटियों को देखने के लिए है.. सुबह  सूरज जैसे- जैसे उगता है नीचे धुंध में डूबी घाटी एक दुर्लभ दृश्य प्रस्तुत करती है।यहां बच्चों के लिए एक टॉय ट्रेन भी चलती है।

शाम को जब हम यहां पहुंचे तो सूरज अपनी आखरी तेज किरणे जमीन पर भेज चुका था जिससे वातावरण में थोड़ी गर्मी थी,लेकिन धीरे-धीरे सूरज शिथिल होता गया और राजा की सीट से एक मदहोश करने वाला दृश्य दिखाई देने लगा। चारों ओर धुंध में लिपटा दूर तक का खुला मैदान हमको नजर आ रहा था। जिसमें अनगिनत पेड़ छोटे छोटे नजर आ रहे थे दूर तक फैली घाटी खुले मैदान सी नजर आ रही थी ..हल्की-हल्की ठंडक हवा में रस घोल रही थी जिसके कारण माहौल ठंडा हो गया था..ओर ठंडी हवा हमारे इर्दगिर्द फैल रही थी।
गार्डन बहुत खूबसूरती से मैनेज किया हुआ था। गार्डन में घूमते -घुमते कब रात घिर आई पता ही नही चला।

गार्डन से निकलकर हम कल वाले रेस्ट्रोरेन्ट में ही चले गए ,कल इसने बहुत तीखा खाना बनाया था ,लेकिन आज हमारी शिकायत पर इसने नार्मल खाना बनाकर दिया।
रात को हम अपने कमरों में आकर सो गए।
कल कुर्ग में हमारा आखरी दिन था। कल हम किला देखकर चल देगे मैसूर की ओर..
क्रमशः...



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