तुझको अग्नि के हवाले कर के ....
मैं जड़- सी हो गई हूँ .....
कभी अपनी छाती का लहू पिलाया था मैने ..
तेरी वो नटखट आँखें ..
वो चेहरे का भोलापन .
वो प्यारी -सी मुस्कान ?
वो तोतली जुबान ----
अब खामोश है ...
ठंडा- पन लिए ..सर्द ...
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मेरा सफ़ेद पडता मुंह
आँखों से बहती अश्रु धारा
बिदा की अंतिम घडी
तेरे नाम की अंतिम अरदास ...!
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मैं स्तब्ध ! आवाक ! तुझे जाते हुए देखती रही ....
होठ कांपकपाये ..शरीर थरथराया ..
दिमांग शून्य ...???
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खप्पचियों से बंधा, सफ़ेद कफ़न ....
ये लिबास तो मैने कभी चाहा नहीं था ?
फिर क्यों आज तेरे लिए यही जोड़ा मुकरर हो गया ?
"राम नाम सत्य हैं "
अचानक ! इस कर्कश ध्वनी से मेरे कान बजने लगे ..
"अरे , कोई रोको उसे "रॊ- ऒ- ओ- को
"यह उम्र है जाने की ....?"
अभी उसने देखा ही किया है ..?
अभी तो उसके दूध के दांत भी नहीं टूटे ..?
और जालिमो ने उसके अंगो के टुकड़े -टुकड़े कर दिए ...?
अभी तो हाथो में मेंहदी भी नहीं लगी ...?
और राक्षसों ने उसे चिता पे लिटा दिया ...?
" कोई रोको उसे ..कोई रोको ..यह उम्र है जाने की ..."
ये लिबास तो मैने कभी चाहा नहीं था ?
फिर क्यों आज तेरे लिए यही जोड़ा मुकरर हो गया ?
"राम नाम सत्य हैं "
अचानक ! इस कर्कश ध्वनी से मेरे कान बजने लगे ..
"अरे , कोई रोको उसे "रॊ- ऒ- ओ- को
"यह उम्र है जाने की ....?"
अभी उसने देखा ही किया है ..?
अभी तो उसके दूध के दांत भी नहीं टूटे ..?
और जालिमो ने उसके अंगो के टुकड़े -टुकड़े कर दिए ...?
अभी तो हाथो में मेंहदी भी नहीं लगी ...?
और राक्षसों ने उसे चिता पे लिटा दिया ...?
" कोई रोको उसे ..कोई रोको ..यह उम्र है जाने की ..."
10 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (बिटिया देश को जगाकर सो गई) पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
इतनी सुंदर रचना ! पत्थर दिल वाले भी पिघल जाए! काश हमारे समाज में भी पत्थर दिल आदमी रहता ! अफ़सोस सिर्फ पत्थर ही है!
samvedna se parpurn marmik abhivyakt karti sundar rachna....
दिल आहत है।
वर्तमान परिस्थितयां पुनर्विचार मांगती हैं।
hradayvidarak satya
uff ye umra hai uske jaane ki :(
jo hua bahut galat aur bahut sharmsaar karne wala..:(
सुंदर रचना !
मन व्यथित है ...
देश का हाल।
♥ लोहड़ी की बहुत बहुत बधाई और हार्दिक मंगलकामनाएं ! ♥
साथ ही
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
राजेन्द्र स्वर्णकार
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