* मित्रता *
(मेरी बचपन की सहेली ..रुक्मणी और मैं .... !)
" मित्रता में शीध्रता मत करो ,यदि करो तो अंत तक निभाओं "
मेरी जिन्दगी में भी यही फलसफा हैं --की मित्रता में शीध्रता नहीं होनी चाहिए '--क्योकिं इंसान को जनम के साथ ही सभी रिश्ते मिल जाते हैं, मगर सिर्फ दोस्ती ही वो रिश्ता हैं जो इंसान अपने व्यवहार से बनाता हैं --दोस्ती वो जज्बा हैं जो हर किसी के नसीब में नहीं रहता ----
एक सच्चा दोस्त खुदा की बेमिसाल नैमत है----
(हम तीनो हैं बचपन के दोस्त )
"दोस्ती मौसम नहीं ---
जो अपनी मुद्हत पूरी करे और रुखसत हो जाए ----!
दोस्ती सावन नहीं ---
जो टूटकर बरसे और थम जाए -----!
दोस्ती आग नही ---
जो सुलगे और बुझ जाए ---!
दोस्ती आफ़ताब नही ---?
जो चमके और डूब जाए --!
दोस्ती फूल नहीं ---?
जो खिंले और मुरझा जाए ---!
दोस्ती प्यास नहीं ---?
जो पीए और मिट जाए ----!
दोस्ती नींद नहीं ---?
जो खुले और टूट जाए ----!
दोस्ती प्यास नहीं ---?
जो पीए और मिट जाए ----!
दोस्ती नींद नहीं ---?
जो खुले और टूट जाए ----!
दोस्ती --तो --सांस हैं --------------
जो चले...तो सबकुछ---और रुक जाए तो कुछ भी नहीं ----!!!!
जीवन के इन थपेड़ों में मुझे बहुत ही अच्छे 'दोस्त' मिले हैं .... जिन्होंने मेरा साथ कदम -कदम पर दिया हैं --मेरे ज्यादा तो दोस्त नहीं हैं पर जो हैं उन्हें मैनें बहुत ठोंक -बजाकर देखा हैं .. वो कहते हैं न की जिसका 'मंगल' अच्छा होता हैं, उसे यार - दोस्त भी अच्छे ही मिलते हैं ......तो मेरा मंगल बहुत अच्छा हैं .. क्योकिं मुझे सभी दोस्त अच्छे ही मिले ..
तुम सबका अभिनन्दन हैं मेरे दोस्तों, उम्र के इस पड़ाव में भी मेरा साथ निभाने के लिए और मुझे समझने के लिए ;---
तुम सबका अभिनन्दन हैं मेरे दोस्तों, उम्र के इस पड़ाव में भी मेरा साथ निभाने के लिए और मुझे समझने के लिए ;---
"अब मिलवाती हूँ मेरे कुछ चुंनिंदा दोस्तों से "
(डॉ. दिलीप और मैं ..बचपन के साथी ..आजतक नहीं छूटे हैं )
( रेखा और मैं...दोस्ती के आलावा और कुछ नहीं ..)
तेरा साथ हैं तो मुझे क्या कमी हैं
(कृष्णा शेखावत और मैं ..हम बचपन की सहेलियां हैं ...हमारी माँऐ भी काफी गहरी सहेलियां थी --और हमारे पिताजी भी ..)
(पूनम,रेखा और मैं ..हमारी मस्त तिगडी थी पर --अब पूनम नहीं रही )
(सुरमीत और मैं ..बचपन की सहेलियाँ और रिश्तेदार भी )
(कमल और मैं...उमर का फासला भी हमारी दोस्ती के आगे नहीं आया)
और अब मिलवती हूँ मैं अपने ब्लोगर दोस्तों से :--
(इनको तो आप सब लोग जानते ही हो ..नाम लिखना व्यर्थ हैं..
(ललित शर्मा )
(इनको भी काफी लोग जानते ही हैं ..हरी शर्मा )
(मुकेश कुमार सिन्हा ..जितने चुप दीखते हैं उतने ही प्रखर हैं )
( इंदु पूरी गोस्वामी..एक जिंदादिल शख्सियत )
(अरुण कुमार शर्मा ....)
शर्मा मेरे ज्यादा दोस्त हो गए न ....? हा हा हा हा हा
और अब मिलवाती हूँ मेरे फेसबुक दोस्तों से :--
(सुनील खत्री )
( सबसे पहले बने मेरे अजीज दोस्त ..उमर जरुर कम हैं पर दोस्ती को क्या मालुम सामने वाला कितनी उमर का हैं ..हा हा हा हा .. )
(अरविन्द भट्ट....बहुत हंसमुख और खुशमिजाज़ इंसान .. )
(विनोद शर्मा....शांत और प्रतिभावान )
(और आखरी दोस्त अल्ज़िरा लोबो ...मस्त,बेफिक्र, जिंदादिल..मुझसे अक्सर पूछती हैं की-- 'मुझ में क्या हैं जो इतनी जल्दी भा गई'--तो उसको मेरा एक ही जवाब हैं :---
" जिन्दगी से यही गिला हैं मुझे
की तू बहुत देर बाद मिली हैं मुझे .."
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तो यह रहे हमारे दोस्त और यह रहे हम
*अलविदा दोस्तों *
"वो दोस्ती क्या जिसको निभाना पड़े .
वो प्यार क्या जिसको जतलाना पड़े.
ये तो एक खामोश अहसास हैं दोस्तों--
वो अहसास क्या जो लफ्जों में बतलाना पड़े ."