मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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मंगलवार, 26 मार्च 2013

होली हैं .....






कुंहू -कुंहू बोले कोयलियाँ 
होली संग खेले सावरियां !
नीले -पीले और गुलाबी
रंग भरे पिचकारियाँ  !
गाल गुलाबी हो या लाल 
आज रंगेगी दिलवालियाँ !
बुरा न मानो होली हैं भाई !
बुरा न मानो होली हैं ! 

आगे -आगे राधा दोड़े पीछे किशन-मुरारी !   
द्वारका में होली खेले रुकमनी और गिरधारी !
हुई रंग से लाल चुनरिया ! 
सुभद्रा हुई मतवाली !
बुरा न मानो होली है भाई !
बुरा न मानो होली है ! 

लक्ष्मी आई रम्भा आई !
अपने साथ में तोहफे लाई !
गुझियो की बहार लाई !
पिन्नी और पपड़ी भी लाई ! 
हरे रंग की बर्फी खाकर !
हमने भी क्या घूम मचाई !
बुरा न मानो होली है भाई ! 
बुरा न मानो होली है !

कंचन और सुधा ने मिलकर !
ठंडी -ठंडी भांग बनाई !
हमने भी एक पैग चढ़ाया ! 
सर पर मदहोशी है छाई ! 
फिर मीठा खाकर भांग चढ़ाई !
अब तो खैर, नही हैं भाई ! 
बुरा न मानो होली है भाई !
बुरा न मानो होली हैं  !

 स्रष्टि ने क्या रूप रचाया !  
फागुन ने क्या रंग जमाया !
सबके दिलो में प्यार समाया !
आज ख़ुशी से दिल भर आया !
रंगो ने सपने सजाए !
इन्द्र धनुष ने रंग दिखाए !
रंगों ने रंग डाला  साईं !
बुरा न मानो होली हैं भाई !
बुरा न मानो होली हैं !