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शनिवार, 29 अप्रैल 2023

तमिलनाडुडायरी#11

तमिलनाडुडायरी #11
कन्याकुमारी,भाग 1
19 दिसम्बर 2022


3 दिन हमारे रामेश्वर में गुजारने के कारण हमारा पूर्व निश्चिंत कार्यक्रम थोड़ा बिगड़ गया था अब हम 2 दिन कन्याकुमारी में न रुककर सिर्फ 1 दिन ही रुकेंगे।
ज़्यादा रामेश्वरम में रुकने का कारण ये ही था कि हमको ट्रेन नही मिली थी।बस की सवारी मिस्टर को सुट नहीं होती हैं और कार 7 हजार से कम में जानें को तैयार ही नही थी।इसलिए ट्रेन के इंतजार में हमारे 2 दिन ओर खराब हुए।

सुबह 5 बजे हम होटल में पहुँच गए थे पर रूम न मिलने के कारण हम नजदीक ही सूर्योदय देखने चल दिये। हमने अपना सामान होटल में रख दिया और सामने की होटल के पास एक गली में चल दिये।
रास्ते पर थोड़ा अंधेरा था पर स्ट्रीट लाईट का काफी उजाला आ रहा था फिर साथ ही लोगों का हुजूम भी चल रहा था ।रास्ता थोड़ा नीचे को जा रहा था मिस्टर को उतरने में परेशानी हो रही थी फिर भी एक दूसरे के सहारे हम नीचे उतर रहे थे। साउथ में नीम के पेड़ बहुत थे लोग नए नीम के पेड़ ही उगा रहे थे।हमने कई घरों के सामने नीम ओर तुलसी के पौधे देखे।
आगे जाकर हमको समुन्द्र की आवाज़ आने लगी और अंधेरे में ही हमको काफी लोगों की आवाजें सुनाई देने लगी ।हम उन आवाजों के पीछे पीछे वहां पहुँच गए जिधर काफी भीड़भाड़ थी ,एक साफ जगह देखकर हम भी बैठ गए ।आगे हमारे समुन्द्र की लहरें किनारों पर आ आ कर टकरा रही थी सामने खुला समुन्द्र ठहाके मार रहा था ।अंधेरा होने की वजय से समुन्द्र का पानी काला नजर आ रहा था आगे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था पर पानी की आवाज़ से महसूर हो रहा था।कुछ लोग अपनी दुकानदारी भी चला रहे थे ।चाय वाले कि अच्छी बिक्री हो रही थी।नारियल पानी वाला भी अपनी भोंडी आवाज़ में सुर से सुर मिला रहा था।एक मोती की माला बेचने वाला भी घूम रहा था। 500 कि माला मुझे 100 रु में बेचकर आगे बढ़ गया था।थोड़ी देर में एक सेल्फी स्टिक वाला भी मुझे दिखाई दिया जिससे कई लोग 100₹ में स्टिक खरीद रहे थे।एक मैंने भी खरीद ली थी।😄
कुछ देर बाद आकाश पर उजास दिखने लगा दिन का उजाला निकल आया था और अब आसपास की स्थिति साफ नजर आ रही थीं।आकाश पर लालिमा नजर आने लगी।
ठीक टाइम पर सूरज देवता अपना रथ दौड़ाते हुए दिखाई दिए ।पहले काफी नरम ओर शिशु अवस्था मे नजर आए जो धीरे धीरे युवा होने लगे।चारों ओर लोगो के कैमरे धड़ाधड़ क्लिक करने लगे और सूर्यमहाराज सबके मोबाइलों में कैद होने लगे।
मैंने भी जीभर कर फोटु खिंचे पर बीच -बीच में उस मनोरम दृश्य को भी आंखों में कैद कर लेती थी। वाह !जो आंखों ने देखा वो कैमरा नही कैद कर सका।अद्भुत शमा था, लहरें उछलकर सूरज को नमन करने की जीतोड़ कोशिश कर रही थी और भास्कर समस्त अंधकार को तोड़कर सरपट भागने को आतुर दिख रहा था।
कन्याकुमारी का प्रसिध्द सूर्योदय मेरे सामने था और मैं उन सोने की किरणों को अपने मन में बसाए एक आलौकिक आभा को महसूस कर रही थी। 
थोड़ी ही देर में सूर्य की ठंडी किरणें अपने पूर्ण यौवन में आने लगी, ठंडक गरमाने लगी और धीरे धीरे वहां फैला जन समुदाय रुखसत होने लगा।
हम भी खुशी की पराकाष्ठा को महसूस करने लगे।इस खूबसूरत  दृश्य को अपने मानस पटल पर संजोए हुए हम भी अर्ध्य चेतन अवस्था मे होटल जाने को मूढ़ गए।

होटल आकर मैनेजर ने बताया कि अभी अभी एक रूम खाली हुआ हैं ओर हमारा सामान वही शिफ्ट कर दिया हैं ।हम मैनेजर को शुक्रिया बोल रूम की ओर चल दिये।
शेष फिर...

तमिलनाडुडायरी#10

तमिलनाडुडायरी #10
18 दिसम्बर 2022



हम 10 दिसम्बर को बॉम्बे से चले थे पहले मदुराई फिर रामेश्वर फिर मदुराई ओर वापस रामेश्वरम आने का किस्सा आप सब अब तक मेरे 9 एपिसोर्ड में पढ़ चुके है 😀
अब आगे...

कल वापस आकर हमने आराम किया बहुत ज्यादा थकान हो गई थी।सुबह उठकर हमने आराम से दिल्ली दरबार जाकर आलू के परांठे दही के साथ खाएं और रामेश्वरम मन्दिर के गेट के आगे आकर भगवान को नमन किया और वापस होटल आ गए। आज कहीं निकलने का मन नही था।होटल आकर सचिन जांगड़ा जो Gds का सदस्य और मेरे बेटे जैसा है उससे रामेश्वर से कान्यकुमारी की ट्रेन की 3Ac की 2 सीट बुक करवाई।सीट तत्काल में बुक हुई और हमको आराम से नीचे की सीट मिल गई।आज रात 9 बजे की ट्रेन हैं। हमारे पास पूरा दिन पड़ा था मगर कीधर जाए कोई जगह नही सूझ रही थी फिर नहाधोकर हम तैयार होकर थोड़ा बाजार में घूमने निकल गए। मन्दिर के पास ही सड़क पर  100-100 रु की बहुत ही शानदार साड़ियां मिल रही थी ।मैंने भी 4 साड़ियां खरीद ली। कुछ पूजा का सामान खरीदा।मन्दिर के पास काफी गरीब फकीर ,साधु लोग बैठते है वही एक खाने वाला भी बैठता हैं उसके पास कुछ खाने के पैकेट रखे होते है 25 रु एक पैकेट के हिसाब से वो देता है ।
मैंने 200 रु के पैकेट खरीदकर उन भिखारियों  में बांट दिए।
बाद में दिमाग मे आया कि पता नही वो खाना खाते है या वापस उसी को दे देते हैं? ओर पैसे ले लेते हो तो?
खेर,वो जो करे मुझे कुछ दान करना था कर दिया ,अब वो क्या करते हैं मुझे नही पता😃
हम वापस रूम में आ गए।सारा सामान समेटा आज हमको रामेश्वरम में आये 5 वां दिन था। एक बार दिल मे आया कि दोबारा मन्दिर में जाते हैं पर भीड़ की वजय से हिम्मत नही हुई।वापस इतने लंबे गलियारे पार करना और भीड़ में फसना मुझे दिल से गवारा नही हुआ।1बार दर्शन करो या बारंबार की फरक पेंदा हैं।🙏
लेकिन एक बार अच्छे से मन्दिर को दोबारा देखने का मन था। वो हसरत दिल की दिल में रह गई। खेर, रात को ऑटो बुलवाया ओर हम मन्दिर को प्रणाम कर स्टेशन को चल दिये। रामेश्वरम का रेल्वे स्टेशन महज 3 प्लेटफार्म का छोटा सा रेल्वे स्टेशन हैं और सभी प्लेटफार्म सीधे मेनगेट से जुड़े है किसी भी प्लेटफार्म से सीढ़िया नही चढ़नी होती हैं। आप किसी भी प्लेटफॉर्म पर आ जाओ आराम से बाहर आ सकते हो।
हम जल्दी ही स्टेशन पर आ गए ,अभी ट्रेन बन्द थी ।हम वही बाहर पड़ी बेंच पर बैठ गए।
अपने नियत टाइम पर ट्रेन चल दी और तीसरी बार हम पम्बन ब्रिज को पार कर रहे थे 😃
रात होने की वजय से दूर दूर तक स्याह समुन्द्र दिख तो रहा था पर कांच बन्द होने के कारण कुछ सुनाई नही दे रहा था। हम वही स्टेशनों से गुजरते हुए मदुराई आये। फिर हम सो गए।सुबह 5 बजे हम कान्यकुमारी पहुँच गए। रामेश्वरम में बहुत गर्मी थी पर कान्यकुमारी में काफी ठंडक थी।सुबह 5 बजे सारी गाड़ी खाली हो गई। क्योकि ये आखरी स्टेशन था।ज्यादातर लोगों ने यहां आकर स्वेटर पहन लिए,मुझे भी कंपकपी मची तो मैंने भी स्वेटर ओर टोपा पहन लिया कुछ राहत मिली।
बाहर आकर हम ऑटो कर के अपने बुक किये होटल #राजदा में आ गए पर ये क्या ,होटल वाला बोलता है 12 बजे से पहले रूम खाली नही होगा।
अब हम क्या करे ? बाहर काफी लोग एक साइड जा रहे थे तो होटल वाले से पूछा कि इतनी सुबह लोग कीधर जा रहे हैं तो वो बोला कि ये सब सूर्योदय देखने जा रहे हैं। तो हम भी सामान होटल में रखकर उधर चल दिये जिधर सब जा रहे थे।
शेष अगले एपिसोड में...





तमिलनाडुडायरी#9

तमिलनाडुडायरी #9
17 दिसम्बर 2022


आज बहुत थकान लग रही थी तो कमरे मे ही मगरमच्छ की तरह पड़े रहे।😃फिर बोर हो गए तो सोचा कि आज बाणगंगा चला जाय ।फटाफट तैयार होकर कमरे से बाहर आ गए।बाहर आये तो पता चला कि आज सुबह से रामेश्वरम मन्दिर बन्द है क्योंकि भगवान आज नगर भ्रमण करने अपने पूरे परिवार के साथ निकले है।अपने भक्तों का हालचाल पूछने ओर उनके दुःख दर्द को दूर करने के लिए।
तो आज मन्दिर के आसपास के कई रास्ते बंद है आज नगर में भगवान की सवारी निकली है जो साल में एक बार ही निकलती  है ऐसा होटल का मालिक बोल रहा था।और इस दिन मन्दिर के कपाट बंद रहते है ।अब शाम 4 बजे भगवान स्नान कर के शुध्द होएगे तभी मन्दिर के कपाट खुलेंगे ओर जनता भगवान के दर्शन करेगी।
हमने भगवान का लाख लाख धन्यवाद किया क्योंकि आज मैं दोबारा मन्दिर में जाने का सोच रही थी ,पर यहाँ तो भगवान खुद हमसे मिलने आ रहे थे ,ये मेरे लिए सौभाग्य की बात थी।
हम भी पड़ोस में जाकर नाश्ता वगेरा कर आये और सवारी का इंतजार करने लगे। शुक्र है सवारी हमारे होटल Santhil Andaver के सामने से ही जाने वाली थी।
ठीक समय ढोलक ओर दक्षिणी साज़ो समान बजाते हुए हमको रथ जैसा कोई आता दिखा ,भीड़ भी नाचते कूदते साथ चल रही थी लोग फूलों से स्वागत कर रहे थे। दक्षिण भाषा के भजन मनभावन बज रहै थे। दक्षिण भाषा के संगीत और भजन मुझे बहुत पसन्द है।
जब सवारी नजदीक आई तो 2 अलग अलग सोने की गायों पर भगवान शंकर का परिवार था ।आगे भगवान शंकर के साथ माता पार्वती विराजमान थी उनके पीछे गणपति महाराज ओर सबसे पीछे साउथ में जिनको मोरगन के नाम से जाना जाता है यानी कि भगवान कार्तिकेय अपने मोर पर सवार थे जो की चांदी का बना था।
काफी लोग साथ चल रहे थे मैंने भी फोटु उतारा और वीडियो बनाई ।बहुत ही शानदार माहौल था।कुछ दूर पैदल चलकर हम रुक गए और अपने कार्यक्रम अनुसार एक ऑटो को रोका और 500 ₹ में ऑटो कर के बाणगंगा देखने निकल गए।

विल्लीरणि तीर्थ
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 रामेश्वरम मन्दिर से करीब तीन मील पूर्व में एक गांव है, जिसका नाम तंगचिमडम है। यह गांव रेल मार्ग के किनारे ही बसा है। यहां स्टेशन के पास समुद्र में एक तीर्थकुंड है, जो विल्लूरणि तीर्थ कहलाता है। समुद्र के खारे पानी के बीच से मीठा पानी निकलना आश्चर्यचिकित कर जाता है, यह बड़े ही अचंभे की बात है। कहा जाता है कि एक बार सीताजी को बड़ी प्यास लगी। पास में समुद्र को छोड़कर दूर-दूर तक कहीं भी  पीने का पानी नजर नहीं आ रहा था। तब, भगवान श्रीराम ने अपने  धनुषबाण की नोक से इस कुंड को खोदा था ओर सीता मैया ने अपनी प्यास बुझाई थी।
ये वही कुंड था जिसे बाणगंगा  के नाम से जानते है।
मैंने देखा वहां कुछ लोग खड़े थे।
कुंड के पास जाने के लिए हम एक लंबे पुल से समुद्र के अंदर चलकर उस कुंड तक पहुचे जिसे अब कुएं की तरह बना दिया है। कुएं के पास एक आदमी की ड्यूटी थी वो सबको पानी निकालकर पिला रहा था। पहले वो सबको समुन्द्र का खरा पानी चखाता था फिर वो कुएं से निकालकर मीठा पानी चखाता था। जिसकी एवज में लोग उसे कुछ पैसे दे रहे थे।
हमको भी उसने एक छोटी सी बाल्टी से पहले समुद्र से निकालकर खारा पानी चखाया जो बिल्कुल खारा ओर कडुवा था फिर उसी बाल्टी से कुएं का पानी निकालकर पिलाया जो एकदम मीठा था।
मैंने तो पेट भरकर मीठा पानी पिया ओर थोड़ा अपनी बॉटल में भी भर लिया।
मैंने अपनी आंखों से देखा ये कुदरत का करिश्मा, सचमुच भगवान की लीला अपरम्पार हैं। और ऐसी अनोखी चीजों ने ही हमारे देश को महान बनाया है।
इस कुंड के किनारे एक मन्दिर भी बना था। ओर समुन्द्र का किनारा भी था तो पहले मन्दिर में दर्शन किये फिरु ठंडी हवा के झोंके खाने बीच पर उतर गई।
मुलायम बालू पर चलकर समुन्द्र की लहरों के साथ कुछ देर अठखेलिया खेलकर मैं वापस लौट आई। अपना ऑटो तैयार था उसमे बैठकर हम वापस होटल लॉट आये।
क्रमशः....