मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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सोमवार, 25 जून 2012

नैनीताल भाग 8 -- अल्मोड़ा !



नैनीताल भाग 8
  अल्मोड़ा   



अल्मोड़ा -- प्रकृति का अनमोल खजाना 
  





आज नैनीताल  में हमारा दूसरा दिन है ;--

सुबह -सुबह का नजारा बहुत ही सुंदर था ..जैसे ही सुबह उठकर मैं बालकनी में आई तो सामने का नजारा  बड़ा ही प्यारा था ..चारो और रुई की तरह कुछ उड़ रहा था ..पूछने पर पता चला की यह पेड का फूल है ...जो तेज हवा से उड़ रहा है ..ऐसा लग रहा था मानो बर्फ गिर रही है .....ठंडी हवा के झोंके  मन और तन को प्रसन्न कर रहे थे...कुछ स्कूली बच्चें लाल रंग की यूनिफार्म में कतारबंध चलते हुए आ रहे थे ..बड़े प्यारे लग रहे थे ..हँसते खिलखिलाते गोरे -गोरे चेहरे लाला -लाला टमाटर जैसे गालो वाले ...मैनें सोचा की फोटू उतारी जाए.. वापस कमरे में आई कैमरा लेने , सेल लगाए और बाहर आई तब तक सब गुल हो चुके थे-- अरे ,कहाँ गए अभी तो यही थे ! मैनें चारों और निगाहें दौडाई , पर उनका कोई नामो निशान नहीं था ...वापस पलटने लगी तो पास वाले कमरे में एक अम्मान जी छोटे बच्चे को लेकर बालकनी में खड़ी थी वो मेरी हरकते देख रही थी मेरी तरफ मुस्कुराकर बोली --'बेटा, वो सब बच्चें नीचे झील में उतर गए है ..झील की सफाई करते है ..मैं रोज़ देखती हूँ ..!'  मैं मुस्कुराकर चल दी ....अम्माजी लखनाऊ से  अपने बेटी और दामाद के साथ पिछले तीन दिनों से आई हुई थी ...खेर, में फोटू न खिंच सकी इसका मुझे बड़ा मलाल है....
     
अल्मोडा :----

आज हमको अल्मोड़ा और कौसानी जाना है फिर वापस नैनीताल आना है ..रात को ही हमने विक्की से बात की थी तो उसने हमको 8 हजार में 3 दिन की यात्रा बताई ..अल्मोड़ा ,कौसानी, बैजनाथ , कैची,रानीखेत के बाद वापस नैनीताल ...पर हमको बहुत मंहगा लगा ..मैने मेरे परममित्र ' हरी शर्माजी' (SBI मैनेजर से बात की जो इन दिनों जयपुर से ट्रांसपर होकर सोमेश्वेर आए हुए है  जो की नैनीताल से 114 किलो मीटर दूर ही था और कौसानी  हमको उधर से ही धुमकर जाना था..उन्होंने बताया की बहुत मंहगा है आप सिर्फ मेरे यहाँ तक आ जाए ..आगे की यात्रा की जुम्मेदारी मेरी रही ..अब हमने विक्की को कहा की हमको सिर्फ सोमेश्वर छोड़ना है कितने पैसे होंगे, तो वो नाराज़ हो गया और गुस्से में बोला--'मुझे नहीं जाना' हमने कहा ठीक हैं हम दुसरे आदमी ले लेंगे ..फिर थोडा नरम होकर बोला ठीक हैं 6 हजार में धुमा दूंगा ...पर मैं  नहीं मानी .. आखिर हमने विक्की की छुट्टी की और दुसरा कार वाला किया जो हमको 2 हजार में सोमेश्वेर छोड़ने को तैयार हो गया ....हमने 10 बजे बुलाया और हम तैयार होने लगे .....


सुबह का रंगीन नजारा  --बहुत ख़ामोशी है सडक पर  


हम तैयार हो सारा सामान होटल के क्लार्क रूम में रखवाकर नाश्ता करने निकल पड़े  ...रास्ते में एक दो दुकानों पर लकड़ी का सामान ख़रीदा ..कुछ शो -पीस खरीदें ..वैसे हम को वापस दो दिन बाद नैनीताल आना है पर अभी तक कार वाला नहीं आया था ..इसलिए टाईम भी पास करना था ....


लकड़ी के सामानों से  भरी दुकाने-- काफी सस्ती चीजें  है 


कुछ शाल और सूट ख़रीदे ..यहाँ कश्मीरी कढ़ाई वाले सूट बड़े सस्ते है ..जरुर खरीदे पर मोल-भाव  करके क्योकि मोल-भाव तो होता ही है ... 





अब कुछ नाश्ता हो जाए


नाश्ता करके उठे ही थे की कार वाला आ गया ...हम वही ठहर गए और मिस्टर उसके साथ होटल आए ओर हमारा सामान लेकर लौट आए ..अब हमारा कारवां चला ...यह कार वाला बड़ा ही आलसी और गूंगा था ..गूंगा  इसलिए की मैं आखरी तक उसकी आवाज सुनने को तरस गई ..रास्ते में हमारी शर्त भी लग गई की यह गूंगा  है  पर लडकियाँ  मानने को तैयार ही नहीं थी ...आखिर में मैं शर्त हार  गई ......



 "जिन्दगी इक  सफ़र है सुहाना..यहाँ कल क्या हो किसने जाना  " 




  
कैंची धाम :---


नैनीताल शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा राजमार्ग पर हरी- भरी हरियाली से परिपूर्ण है -- कैंची गाँव ...हमारे कार वाले ने हमारी गाडी यहाँ रुकवाई ..कैची धाम का इतिहास अनोखा है  यहाँ  कई महान संतो ने  तप किए है .... उन्ही में एक थे बाबा नीम करोली ..

यहाँ ' नीम  करोली बाबा का आश्रम है इस सुंदर , आकर्षण आश्रम में पहुँचकर दिल को बहुत राहत मिली ...इसे नीम करोली बाबा का आश्रम -- कैची -धाम कहते है ।मुझे यह स्थान बहुत ही रमणीय लगा,पास ही नदी बह रही थी ..जल कम था शायद आगे कोई बाँध बंधा हुआ होगा ..चारो और ऊँचे -ऊँचे पहाड़ ,हरियाली देखकर मन खुश हो गया ...यहाँ बहुत से विदेशी भी दिखाई दे रहे थे ..काफी सैलानी भी दिखाई दे रहे थे ..कहते है यहाँ सुकून की प्राप्ति होती है और बिगड़े काम नीम करोली बाबा की कृपा से बन जाते है ...इस आश्रम की स्थापना .1962  में बाबाजी ने की थी ..

होलीवुड की हॉट हिरोइन जूलिया राबर्ट्स भी इनकी शिष्य है उसने एक पत्रिका में कहा की --'मैं  बाबाजी की एक तस्वीर देखकर इतनी मोहित हुई की मैने हिन्दू धर्म  का पालन करना शुरू कर दिया' .. बाबा के कई मशहूर लोग भक्त है जो देशी भी है  और विदेशी भी ..एप्पल कम्पनी के सीईओ  मिस्टर स्टीव जाब्स भी इनके भक्त थे । और काफी समय उन्होंने यहाँ गुजरा था ....यहाँ फोटू खींचना मना है  ...हमने भी सिर्फ बहार के ही फोटू खींचे .........


नीम करोली बाबा का आश्रम 



नीम करोली धाम में --मैं अपने पतिदेव और बेटी के साथ  




नीम करोली धाम के पास ही नदी बहती है  


 इस नदी के लिए कहते है की एक बार बाबा ने भंडारा करवाया तो घी कम पड़ गया तो बाबा ने पास की नदी से जल मंगवाकर कढ़ाई में डलवाया प्रसाद बनाने के लिए तो वो पानी घी में परिवर्तित हो गया इस चमत्कार से सारे भक्त नत मस्तक हो गए ..यहाँ हर साल 15 जून को विशाल भंडारा होता है ..हम चुक गए क्योकि आज 12 जून था और 15 जून को अभी 3 दिन बाकी थे ..फिर भी हमें नमकीन चावलो का प्रसाद मिल ही गया ....
मंदिर के अंदर  विंध्यवासिनी और माता वेष्ण्नो की मुर्तिया प्रतिष्ठित है बहुत ही  साफ सुथरा मंदिर था ...मन वापस लौटने को तैयार ही नहीं था ....पर जाना था तो चल दिए अल्मोड़ा की तरफ :---



 खुबसूरत अल्मोड़ा के पहाड़ी जंगल 



अल्मोड़ा :---

कुछ समय इस रमणीय स्थान पर बिताकर  हम चल दिए अल्मोड़ा की और ...अल्मोड़ा नैनीताल से 70 किलो मीटर दूर है ..यह  कस्बा पहाड़ पर घोड़े की काठीनुमा आकर के रिज़ पर बसा हुआ है । रिज़ के पूर्वी भाग को तालिफत और पश्चिमी  भाग को सेलिफत  के नाम से जानते है ..यहाँ का मुख्य बाजार रिज़ की चोटी पर स्थित है ...2 किलो मीटर  लम्बा बाज़ार है पहले यहाँ छावनी हुआ करती थी ...यहाँ की जलवायु में आश्चर्यजनक रूप से निरोगी  होने की क्षमता है --गांधी जी यहाँ काफी टाइम तक रहे थे वो कहते थे की हमारे देश के लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए विदेश क्यों जाते है ? यहाँ से हिमालय की हसीन वादियाँ नजर आती है ...यहाँ की बाल मिठाई और सींगोड़ी मिठाई देश ही नहीं बल्कि विदेशो में भी मशहूर है ....यहाँ से कोसी नदी बहती है ....


बाल मिठाई ...यह खोए की बनी हुई होती है इस पर शुगर के छोटे -छोटे बाल्स लगे होते है 


इतना खुबसूरत जंगल मैने आजतक नहीं देखा 

गाडी तेजी से चली जा रही थी हमने ड्रायवर से पूछा की रानीखेत में क्या है कुछ देर रोक लेना पर वो बन्दा न जाने किस कारण से दुखी था की उसको मेरी बात समझ ही नहीं आई वो लगातार गाडी चलता रहा ....एक जगह उसने जब गाडी रोकी तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ पर मेने देखा वो एक लडकी से बात कर रहा है ...जगह तो सुनसान थी फिर यह लडकी कहाँ से आ गई ...खेर, उसने गाडी आगे बधाई ...


पहाड़ो का हुस्न ...कैमरे  में कैद नहीं हो सकता ?


कोसी नदी शायद ? क्योकि यहाँ और भी नदियाँ बहती है 


इतने में हरीशर्मा का फोन आ गया की मैं अल्मोड़ा में ही हूँ ,मेरी मीटिंग ख़त्म हो गई है आप लोग होटल शिखर में  ही आ जाए ...हम करीब 3 बजे अल्मोड़ा पहुच गए ...हरीशर्मा  वही हमारा इंतजार कर रहे थे ...हमें  देखते ही दौड़कर आए ..उनसे मिलकर ऐसा लगा ही नहीं की आज पहली बार मिल रहे है  ....बहुत अच्छे इंसान है ,जैसा सुना था वैसा ही पाया ..पिछले एक साल से दोस्ती थी पर मुलाकात आज हो पाई ...उन्होंने हमारे खाने का इंतजाम होटल शिखर में किया था ...हम होटल के रेस्टोरेंट  में पहुंचे जो टॉप फ्लोर पर था ..वहाँ  से अल्मोड़ा शहर बहुत ही खुबसूरत लग रहा था .....



मेरे मिस्टर, मेरे दोस्त हरीशर्मा और मैं --होटल शिखर की लाबी में    




खाना आने में देर है -- हसमुख शर्माजी  और गंभीर पति जी  




और अब खाने के बाद चलने की तैयारी 







होटल की बालकनी  से .दूर अल्मोड़ा की हसीनवादियाँ -----शर्माजी और हम 


अल्मोड़ा होटल शिखर से 


अल्मोड़ा से हम खाना खाकर ..चल दिए हरीशर्माजी  के घर सोमेश्वेर ...अल्मोड़ा से सोमेश्वेर 42 किलो मीटर दूर है  ...सोमेश्वर पहाड़ो की तलहटी में बसा एक छोटा - सा सुंदर -सा गाँव  है ....शुद्धय हवा और हरियाली से भरपूर यह गाँव मुझे बहुत पसंद आया ...यहाँ कुछ देर रूककर  हम जाएगे कौसानी ..रात वही रुकेगे --शर्माजी ने वहां हमारे लिए होटल बुक किया हुआ हैं ..कहते है की कौसानी का सूर्यास्त और सूर्योदय  देखने काबिल होता है ....देखते है ..क्योकि धुंध  बहुत है और इसमें वो द्रश्य नहीं दिखाई देगे जो हम देखना चाहते है  ..


लीजिए आ गया सोमेश्वेर 
     


 अब अगली यात्रा अगले पोस्ट पर जयहिंद :---- 

जारी --

सोमवार, 18 जून 2012

नैनीताल भाग 7



 मालरोड की सैर  

शाम का रंगीन नजारा है और शमा प्यारा -प्यारा है  


हम स- परिवार 9 जून को बाम्बे से नैनीताल चले थे ..आज तारीख 11 है और हम सुबह से घूम रहे है ...सारे साईट सीन देखकर और  नैनीझील की सैर करके अब हम माल रोड घुमने निकले है ....



 झील में घुमने का अपना ही मजा हैं ..ठंडी -ठंडी हवा से हमें ठंडी लगने लगी ...हम झील से निकलकर चल दिए मालरोड पर घुमने ,सारा मालरोड खचा -खच भरा था ..सैलानी,बच्चे .बड़े सब मस्ती से चले जा रहे थे ..हम  भी चल दिए ...एक जगह रूककर हमने चाय और नाश्ता किया ..होटल का नाम था अन्नपूर्ण -होटल नाम के अनुसार खाना और बिल दोनों अच्छे थे ....माल रोड पर दुकाने सजी हुई थी ..नैनीताल की फेमस मोमबतियो की दुकानो में  तरह -तरह की मोमबतियो सजी थी ..यहाँ लकड़ी का सामन भी  सस्ता मिलता  हैं  ...


नैनीताल की फेमस मोमबतीयाँ 


मालरोड की रंगीनियाँ अपने शबाब पर 


चलिए गोलगप्पे खाए जाए 


आलू टिकियाँ और आलू चाट 



यह हैं  मुंग की दाल का वेज आमलेट ..टेस्टी -टेस्टी 


यह हैं चाकलेट और बादाम की खीर 40 रु की एक  ...वैरी टेस्टी !



ठंडी बढ़ने लगी हैं ..हवा भी तेज चल रही हैं ...पीछे पुराना चर्च दिख रहा हैं  पर मिस्टर ऊपर न जाने  क्या देख रहे हैं ....???


 
ठंडी ज्यादा लगने लगी तो एक ताजा शाल खरीद कर ओढना पड़ा  





यह हैं मिलिट्री -बैंड ...कुछ राशि देकर लोग इनके संगीत का मजा लेते हुए ..


 भारत के पहले राष्ट्रपिता   डॉ, राजेन्दर प्रसाद  का यह स्टेचू मालरोड पर  हैं .. यहाँ से बाए और का रास्ता नैनादेवी माता के मंदिर को जाता  हैं ..वही पास ही एक गुरुद्वारा हैं और नेपाली मार्केट भी  ....


नयनादेवी माता का मंदिर 






मंदिर में प्रवेश करते ही हनुमानजी की प्रतिमाँ  



जब हम नयना देवी मंदिर पहुंचे तो  मंदिर में  आरती चल रही थी  


आरती के बाद मंदिर की सीढियों पर हम लोग 




यह हैं माता के दरबार में मन्नतो की चुनरीयां  


और यह हैं नैनीताल  शहर की रोशनियाँ और रोशनियों में नैनीझील का अक्स 



और यह हैं नयना देवी मंदिर के पास ही गुरुद्वारा साहेब ..यहाँ ठंडी हवा काफी चल रही थी हमने वही से कुछ शाले और स्वेटर खरीदे ...


यह हैं गुरूद्वारे साहेब का अंदर का द्रश्य ,रागी जत्था अमृत रस बरसा रहा हैं 



मंदिर से लौटते हुए रात  हो गई ..और भूख  भी लगाने लगी  सो, खाना खाने चल  दिए ..वापसी में अपने होटल लौट आए ..आज बहुत थक गए थे .कल हमको  अल्मोड़ा और कौसानी जाना हैं .... 

जारी ----


बुधवार, 13 जून 2012

नैनीताल भाग 6




नैनीझील का सोंदर्य 

" आज सिर्फ फोटू खुबसूरत नैनीझील के"

नैनीझील में घुमने का अपना ही मजा हैं यहाँ आप चप्पू वाली नाव लेगे तो 150 रु. में पूरी नाव होगी और यदि आप पैडलवाली नाव लेगे तो 100 रु । पेडल वाली नाव को आप एक घंटे तक चला सकते हैं ।और चप्पूवाली को नाव वाला चलाता हैं जो आधा घंटे तक झील में राउंड लगवाता हैं ..झील में कुछ खाने का सामान  ले जाना मना हैं ..यदि किसी के हाथ में कोई पैकेट होता भी हैं तो उस पर फाइन लग जाता हैं...   क्योकि इसी झील का पानी पीने के लिए भी इस्तेमाल  होता हैं ..चप्पू वाली नाव में सुरक्षा ज़ैकेट पहनना जरुरी हैं वरना पुलिस फाईन लगाती हैं ..पर पैडल वाली में सुरक्षा जैकेट पहनना जरुरी नहीं हैं  क्यों? पता नहीं ..?  


नैनीताल भाग 1, भाग 2, भाग 3, भाग 4, भाग 5 पढने के लिए यहाँ क्लिक  करे ...    


इतिहास :---


नैनीताल शहर की खोज मिस्टर पी. बैरन ने 1840 में की थी । इस शहर के मध्य में स्थित हैं नैनीझील ,इसका आकर आँख की तरह हैं कहते हैं सती की एक आंख यहाँ गिरी थी ..यह पुरानी मान्यता हैं ...इस झील का रंग कभी  हरा तो कभी नीला हो जाता हैं...इसी में नौकायान द्वारा बहुत आन्नद मिलता हैं ...  

नैनीताल का इतिहास पोराणिक कथाओ में कितना सच हैं, यह कह नहीं सकते पर यह शहर  अंग्रेजों की हुकूमत का साक्षी हैं, यहाँ की हर चीज़ पर अंग्रेजी हुकुमरानो की छाप हैं,यहाँ का माल रोड़ अंग्रेजो ने दो हिस्सों में बाटा था एक निचे का मार्ग जो झील के साथ ही चलता हैं ..जिसे हिन्दुस्तानी इस्तेमाल करते थे ,दूसरा ऊपर का जो वो खुद इस्तेमाल करते  थे ,यहाँ हिन्दुस्तानियों को आने की मनाई थी ...  


     

यह हैं दोनों रास्ते ....ऊपर वाला अंगरेजों का निचे वाला हिन्दुस्तानियों का ..आज दोनों पर सिर्फ  हिन्दुस्तानी ही चल रहे हैं .....



शाम का सुहाना अंदाज -- मानो पानी में सूरज  उतर  आया हो ..."ये  शाम कुछ अजीब हैं ... "


" हम चार " 

किनारे पर नाववाले का  इन्तजार करते हुए 



दूर नैनादेवी का मंदिर और साथ ही गुरुद्वारा 




नाव पर सैर और दूर दीखते मकान 


"मांग के साथ तुम्हारा मैने मांग लिया संसार "


ग्रीन रंग,  ग्रीन पहाड़ियों की वजय से   



रुके हुए छोटे छोटे ड्रेगन ,जब झील में चलते हैं तो झील में चार चाँद जड़ जाते हैं 





पानी में तैरती ये सफ़ेद बदके, मानो  मोती तैर रहे हैं 


सरोवर की नगरी 

हनुमान जी का इकलोता मंदिर ...जहाँ वो राम भक्ति में लीन  हैं 



हुस्न पहाड़ो का क्या कहना हैं  

हुरे रे रे रे रे रे  फुल मस्ती 


हम भी किसी से कम नहीं 



तैरती  नौकाए  




झील में मटरगश्ती करके हम चल दिए  मालरोड की रंगीनियाँ  देखने और नैनी माता  के दर्शन करने   .....

जारी ----