नैनीताल भाग 8
अल्मोड़ा
आज नैनीताल में हमारा दूसरा दिन है ;--
सुबह -सुबह का नजारा बहुत ही सुंदर था ..जैसे ही सुबह उठकर मैं बालकनी में आई तो सामने का नजारा बड़ा ही प्यारा था ..चारो और रुई की तरह कुछ उड़ रहा था ..पूछने पर पता चला की यह पेड का फूल है ...जो तेज हवा से उड़ रहा है ..ऐसा लग रहा था मानो बर्फ गिर रही है .....ठंडी हवा के झोंके मन और तन को प्रसन्न कर रहे थे...कुछ स्कूली बच्चें लाल रंग की यूनिफार्म में कतारबंध चलते हुए आ रहे थे ..बड़े प्यारे लग रहे थे ..हँसते खिलखिलाते गोरे -गोरे चेहरे लाला -लाला टमाटर जैसे गालो वाले ...मैनें सोचा की फोटू उतारी जाए.. वापस कमरे में आई कैमरा लेने , सेल लगाए और बाहर आई तब तक सब गुल हो चुके थे-- अरे ,कहाँ गए अभी तो यही थे ! मैनें चारों और निगाहें दौडाई , पर उनका कोई नामो निशान नहीं था ...वापस पलटने लगी तो पास वाले कमरे में एक अम्मान जी छोटे बच्चे को लेकर बालकनी में खड़ी थी वो मेरी हरकते देख रही थी मेरी तरफ मुस्कुराकर बोली --'बेटा, वो सब बच्चें नीचे झील में उतर गए है ..झील की सफाई करते है ..मैं रोज़ देखती हूँ ..!' मैं मुस्कुराकर चल दी ....अम्माजी लखनाऊ से अपने बेटी और दामाद के साथ पिछले तीन दिनों से आई हुई थी ...खेर, में फोटू न खिंच सकी इसका मुझे बड़ा मलाल है....
अल्मोडा :----
आज हमको अल्मोड़ा और कौसानी जाना है फिर वापस नैनीताल आना है ..रात को ही हमने विक्की से बात की थी तो उसने हमको 8 हजार में 3 दिन की यात्रा बताई ..अल्मोड़ा ,कौसानी, बैजनाथ , कैची,रानीखेत के बाद वापस नैनीताल ...पर हमको बहुत मंहगा लगा ..मैने मेरे परममित्र ' हरी शर्माजी' (SBI मैनेजर से बात की जो इन दिनों जयपुर से ट्रांसपर होकर सोमेश्वेर आए हुए है जो की नैनीताल से 114 किलो मीटर दूर ही था और कौसानी हमको उधर से ही धुमकर जाना था..उन्होंने बताया की बहुत मंहगा है आप सिर्फ मेरे यहाँ तक आ जाए ..आगे की यात्रा की जुम्मेदारी मेरी रही ..अब हमने विक्की को कहा की हमको सिर्फ सोमेश्वर छोड़ना है कितने पैसे होंगे, तो वो नाराज़ हो गया और गुस्से में बोला--'मुझे नहीं जाना' हमने कहा ठीक हैं हम दुसरे आदमी ले लेंगे ..फिर थोडा नरम होकर बोला ठीक हैं 6 हजार में धुमा दूंगा ...पर मैं नहीं मानी .. आखिर हमने विक्की की छुट्टी की और दुसरा कार वाला किया जो हमको 2 हजार में सोमेश्वेर छोड़ने को तैयार हो गया ....हमने 10 बजे बुलाया और हम तैयार होने लगे .....
सुबह का रंगीन नजारा --बहुत ख़ामोशी है सडक पर
हम तैयार हो सारा सामान होटल के क्लार्क रूम में रखवाकर नाश्ता करने निकल पड़े ...रास्ते में एक दो दुकानों पर लकड़ी का सामान ख़रीदा ..कुछ शो -पीस खरीदें ..वैसे हम को वापस दो दिन बाद नैनीताल आना है पर अभी तक कार वाला नहीं आया था ..इसलिए टाईम भी पास करना था ....
लकड़ी के सामानों से भरी दुकाने-- काफी सस्ती चीजें है
कुछ शाल और सूट ख़रीदे ..यहाँ कश्मीरी कढ़ाई वाले सूट बड़े सस्ते है ..जरुर खरीदे पर मोल-भाव करके क्योकि मोल-भाव तो होता ही है ...
अब कुछ नाश्ता हो जाए
नाश्ता करके उठे ही थे की कार वाला आ गया ...हम वही ठहर गए और मिस्टर उसके साथ होटल आए ओर हमारा सामान लेकर लौट आए ..अब हमारा कारवां चला ...यह कार वाला बड़ा ही आलसी और गूंगा था ..गूंगा इसलिए की मैं आखरी तक उसकी आवाज सुनने को तरस गई ..रास्ते में हमारी शर्त भी लग गई की यह गूंगा है पर लडकियाँ मानने को तैयार ही नहीं थी ...आखिर में मैं शर्त हार गई ......
"जिन्दगी इक सफ़र है सुहाना..यहाँ कल क्या हो किसने जाना "
कैंची धाम :---
नैनीताल शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा राजमार्ग पर हरी- भरी हरियाली से परिपूर्ण है -- कैंची गाँव ...हमारे कार वाले ने हमारी गाडी यहाँ रुकवाई ..कैची धाम का इतिहास अनोखा है यहाँ कई महान संतो ने तप किए है .... उन्ही में एक थे बाबा नीम करोली ..
यहाँ ' नीम करोली बाबा का आश्रम है इस सुंदर , आकर्षण आश्रम में पहुँचकर दिल को बहुत राहत मिली ...इसे नीम करोली बाबा का आश्रम -- कैची -धाम कहते है ।मुझे यह स्थान बहुत ही रमणीय लगा,पास ही नदी बह रही थी ..जल कम था शायद आगे कोई बाँध बंधा हुआ होगा ..चारो और ऊँचे -ऊँचे पहाड़ ,हरियाली देखकर मन खुश हो गया ...यहाँ बहुत से विदेशी भी दिखाई दे रहे थे ..काफी सैलानी भी दिखाई दे रहे थे ..कहते है यहाँ सुकून की प्राप्ति होती है और बिगड़े काम नीम करोली बाबा की कृपा से बन जाते है ...इस आश्रम की स्थापना .1962 में बाबाजी ने की थी ..
होलीवुड की हॉट हिरोइन जूलिया राबर्ट्स भी इनकी शिष्य है उसने एक पत्रिका में कहा की --'मैं बाबाजी की एक तस्वीर देखकर इतनी मोहित हुई की मैने हिन्दू धर्म का पालन करना शुरू कर दिया' .. बाबा के कई मशहूर लोग भक्त है जो देशी भी है और विदेशी भी ..एप्पल कम्पनी के सीईओ मिस्टर स्टीव जाब्स भी इनके भक्त थे । और काफी समय उन्होंने यहाँ गुजरा था ....यहाँ फोटू खींचना मना है ...हमने भी सिर्फ बहार के ही फोटू खींचे .........
नैनीताल शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा राजमार्ग पर हरी- भरी हरियाली से परिपूर्ण है -- कैंची गाँव ...हमारे कार वाले ने हमारी गाडी यहाँ रुकवाई ..कैची धाम का इतिहास अनोखा है यहाँ कई महान संतो ने तप किए है .... उन्ही में एक थे बाबा नीम करोली ..
यहाँ ' नीम करोली बाबा का आश्रम है इस सुंदर , आकर्षण आश्रम में पहुँचकर दिल को बहुत राहत मिली ...इसे नीम करोली बाबा का आश्रम -- कैची -धाम कहते है ।मुझे यह स्थान बहुत ही रमणीय लगा,पास ही नदी बह रही थी ..जल कम था शायद आगे कोई बाँध बंधा हुआ होगा ..चारो और ऊँचे -ऊँचे पहाड़ ,हरियाली देखकर मन खुश हो गया ...यहाँ बहुत से विदेशी भी दिखाई दे रहे थे ..काफी सैलानी भी दिखाई दे रहे थे ..कहते है यहाँ सुकून की प्राप्ति होती है और बिगड़े काम नीम करोली बाबा की कृपा से बन जाते है ...इस आश्रम की स्थापना .1962 में बाबाजी ने की थी ..
होलीवुड की हॉट हिरोइन जूलिया राबर्ट्स भी इनकी शिष्य है उसने एक पत्रिका में कहा की --'मैं बाबाजी की एक तस्वीर देखकर इतनी मोहित हुई की मैने हिन्दू धर्म का पालन करना शुरू कर दिया' .. बाबा के कई मशहूर लोग भक्त है जो देशी भी है और विदेशी भी ..एप्पल कम्पनी के सीईओ मिस्टर स्टीव जाब्स भी इनके भक्त थे । और काफी समय उन्होंने यहाँ गुजरा था ....यहाँ फोटू खींचना मना है ...हमने भी सिर्फ बहार के ही फोटू खींचे .........
नीम करोली धाम में --मैं अपने पतिदेव और बेटी के साथ
नीम करोली धाम के पास ही नदी बहती है
नीम करोली धाम के पास ही नदी बहती है
इस नदी के लिए कहते है की एक बार बाबा ने भंडारा करवाया तो घी कम पड़ गया तो बाबा ने पास की नदी से जल मंगवाकर कढ़ाई में डलवाया प्रसाद बनाने के लिए तो वो पानी घी में परिवर्तित हो गया इस चमत्कार से सारे भक्त नत मस्तक हो गए ..यहाँ हर साल 15 जून को विशाल भंडारा होता है ..हम चुक गए क्योकि आज 12 जून था और 15 जून को अभी 3 दिन बाकी थे ..फिर भी हमें नमकीन चावलो का प्रसाद मिल ही गया ....
मंदिर के अंदर विंध्यवासिनी और माता वेष्ण्नो की मुर्तिया प्रतिष्ठित है बहुत ही साफ सुथरा मंदिर था ...मन वापस लौटने को तैयार ही नहीं था ....पर जाना था तो चल दिए अल्मोड़ा की तरफ :---
खुबसूरत अल्मोड़ा के पहाड़ी जंगल
अल्मोड़ा :---
कुछ समय इस रमणीय स्थान पर बिताकर हम चल दिए अल्मोड़ा की और ...अल्मोड़ा नैनीताल से 70 किलो मीटर दूर है ..यह कस्बा पहाड़ पर घोड़े की काठीनुमा आकर के रिज़ पर बसा हुआ है । रिज़ के पूर्वी भाग को तालिफत और पश्चिमी भाग को सेलिफत के नाम से जानते है ..यहाँ का मुख्य बाजार रिज़ की चोटी पर स्थित है ...2 किलो मीटर लम्बा बाज़ार है पहले यहाँ छावनी हुआ करती थी ...यहाँ की जलवायु में आश्चर्यजनक रूप से निरोगी होने की क्षमता है --गांधी जी यहाँ काफी टाइम तक रहे थे वो कहते थे की हमारे देश के लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए विदेश क्यों जाते है ? यहाँ से हिमालय की हसीन वादियाँ नजर आती है ...यहाँ की बाल मिठाई और सींगोड़ी मिठाई देश ही नहीं बल्कि विदेशो में भी मशहूर है ....यहाँ से कोसी नदी बहती है ....
अल्मोड़ा से हम खाना खाकर ..चल दिए हरीशर्माजी के घर सोमेश्वेर ...अल्मोड़ा से सोमेश्वेर 42 किलो मीटर दूर है ...सोमेश्वर पहाड़ो की तलहटी में बसा एक छोटा - सा सुंदर -सा गाँव है ....शुद्धय हवा और हरियाली से भरपूर यह गाँव मुझे बहुत पसंद आया ...यहाँ कुछ देर रूककर हम जाएगे कौसानी ..रात वही रुकेगे --शर्माजी ने वहां हमारे लिए होटल बुक किया हुआ हैं ..कहते है की कौसानी का सूर्यास्त और सूर्योदय देखने काबिल होता है ....देखते है ..क्योकि धुंध बहुत है और इसमें वो द्रश्य नहीं दिखाई देगे जो हम देखना चाहते है ..
बाल मिठाई ...यह खोए की बनी हुई होती है इस पर शुगर के छोटे -छोटे बाल्स लगे होते है
इतना खुबसूरत जंगल मैने आजतक नहीं देखा
गाडी तेजी से चली जा रही थी हमने ड्रायवर से पूछा की रानीखेत में क्या है कुछ देर रोक लेना पर वो बन्दा न जाने किस कारण से दुखी था की उसको मेरी बात समझ ही नहीं आई वो लगातार गाडी चलता रहा ....एक जगह उसने जब गाडी रोकी तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ पर मेने देखा वो एक लडकी से बात कर रहा है ...जगह तो सुनसान थी फिर यह लडकी कहाँ से आ गई ...खेर, उसने गाडी आगे बधाई ...
इतने में हरीशर्मा का फोन आ गया की मैं अल्मोड़ा में ही हूँ ,मेरी मीटिंग ख़त्म हो गई है आप लोग होटल शिखर में ही आ जाए ...हम करीब 3 बजे अल्मोड़ा पहुच गए ...हरीशर्मा वही हमारा इंतजार कर रहे थे ...हमें देखते ही दौड़कर आए ..उनसे मिलकर ऐसा लगा ही नहीं की आज पहली बार मिल रहे है ....बहुत अच्छे इंसान है ,जैसा सुना था वैसा ही पाया ..पिछले एक साल से दोस्ती थी पर मुलाकात आज हो पाई ...उन्होंने हमारे खाने का इंतजाम होटल शिखर में किया था ...हम होटल के रेस्टोरेंट में पहुंचे जो टॉप फ्लोर पर था ..वहाँ से अल्मोड़ा शहर बहुत ही खुबसूरत लग रहा था .....
मेरे मिस्टर, मेरे दोस्त हरीशर्मा और मैं --होटल शिखर की लाबी में
और अब खाने के बाद चलने की तैयारी
होटल की बालकनी से .दूर अल्मोड़ा की हसीनवादियाँ -----शर्माजी और हम
अल्मोड़ा होटल शिखर से