मैं तुम्हे प्यार करती हूँ
अपने अमिट प्यार से
तुम्हारे विचारो को
अपनी अल्को में गुंथती रहती हूँ
मैं अकेली नही रहती ..
मेरी राते रातेँ --
तुम्हारी खुश्बुओ से गरमाती रहती है --सोचती हूँ -
जब मैं पराई होउंगी,तब क्या तुम्हे भुल पाउंगी
शायद नही --
क्योकि मैं किसी को अपना सर्वस्त्र दे सकती हूँ
अपना मन, इच्छा,जिस्म
पर क्या मैं उसे वो 'स्वप्न' दे पाऊँगी
जिनके 'नायक' सिर्फ तुम थे ?