मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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मंगलवार, 24 अक्तूबर 2023

525 शिवलिंग के दर्शन"




525 शिवलिंग के दर्शन"
शिवपुरी धाम 













थेगड़ा (शिवपुरी धाम ) कोटा ( राजस्थान)
करीब 37 साल पहले जब मैं राजस्थान के इस शहर कोटा में आई थी तो यह शहर काफी पुराना और नये ज़माने के बीच झूल रहा था , मैं ठहरी इंदौर (MP) शहर की एक चंचल लड़की पर मुझे यहाँ  किसी भी तरह का कोई आदेश धोपा नहीं गया और मैं कुछ समय आराम से निकाल कर करीब 83 में बॉम्बे आ गई । मेरे आने के बाद ही इस मंदिर की स्थापना हुई । इसीकारण ये मंन्दिर देख नहीं पाई ।

कल अचानक इस मंदिर का जिक्र सुना तो रहा नहीं गया।
हम सारा परिवार 4 बजे इस मंदिर को देखने निकल पड़े ,स्टेशन रोड (हमारा घर) से एक बड़ी नगरीय सेवा (

टाटा मैजिक) से हम 9 लॉगो का झुण्ड चल पड़ा।

नयापुरा, बसस्टॉप, तालाब, नहर से होते हुए बोरखेड़ा के पास ही पुराना गाँव है थेगड़ा  जहाँ ये 525 शिवलिंग है हम पहुँच गए  ।

भीड़ अधिक तो नहीं थी पर सुनसान भी नहीं था ,कुछ लोगो की गोट (पिकनिक) चल रही थी जहाँ दाल - बाटी बन रही थी और बाटी की सोंधी - सोंधी खुशबु फिजाओं में फ़ैल रही थी । मन बाटी खाने को मचल रहा था पर दर्शन करने भी जरुरी थे हम आगे बढ़ गए।

सामने ही ढाई टन का पारद का शिवलिंग था सब उस पर जल चढ़ा रहे थे शिवलिंग के नजदीक ही एक विशाल नन्दी भी बना हुआ था । 

कुछ आगे एक बाबा जैसे नागा साधु बैठे थे सब उनके चरणस्पर्श कर रहे थे उनके पास ही हवनकुण्ड बना हुआ था जिसमें अग्नि जल रही थी ये आज के इस मंदिर के संस्थापक थे ।

उनके सामने उनके गुरु का मोम से बना तपस्या में लीन पुतला था जिसके आगे भी अग्नि प्रज्वलित थी। नमस्कार कर आगे बढे तो राईट साईड में कल्पतरु का पेड था कुछ आगे बढे तो पारस पीपल का पेड़ था जो नगण्य ही पाया जाता है  ।आगे चले तो रुद्राक्ष का पेड़ नजर आया जिसपर काफी मात्रा में हरे हरे रुद्राक्ष लगे थे ,वही गिरा एक हरा रुद्राक्ष भी मिझे मिला ।

उससे आगे बढे तो एक अनोखा दृश्य मेरे सामने था सामने त्रिशूल के आकार पर स्थापित अनेक शिवलिंग थे पास ही पानी की टँकिया थी और लोटे थे जिनमें पानी भर श्रद्धालु शिवलिंग पर चढ़ा रहे थे बहुत ही भक्तिपूर्ण मनमोहक दृश्य था...

इतने शिवलिंग देखकर मन प्रफुल्लि होना स्वाभाविक था \ काफी देर तक हम इस भक्तिपूर्ण माहौल में घूमते रहे जब अँधेरा धिर आया तो सब तृप्त हो वापसी के लिए निकल पड़े। ....







संस्थापक देवलोक वासी  गुरु जी की मोम की प्रतिमा 




रुद्राक्ष का पेड़ जो नेपाल में बहुतयात में पाए जाते है 

पीपल पारस भी बहुत विरले ही दीखता है  





कच्चा रुद्राक्ष  



















पारद के  ढाई टन के शिवलिंग 


अभी के नागाबाबा  श्री सनातन  गुरु जी   


पारस  पीपल का पेड़  


 कल्पतरु का पेड़ 


शिवलिंग के विहंगम दृश्य   




कश्मीर फाईल#3

कश्मीर फाईल #भाग 3

जम्मू से श्रीनगर।

3 सेप्टेंबर 2023


कल हमने जम्मू घूमकर रात आराम से गुजारी सुबह गुल्फम बने हम श्रीनगर को निकले।
अब आगे...
मैंने कश्मीर के लिए 8 दिन ओर 7 रातों का एक टूर पैकेज लिया है जो 41 हजार का है ।जिसमें कार,होटल और लंच व डिनर सम्मलित हैं। 5 हजार मैंने एडवांस दिया हैं।ये मैंने पहला टूर पैकेज लिया है।
जम्मू के होटल में ही ड्रायवर अजीत हमको लेने आ गया और हम 9 बजे जम्मू से निकल पड़े।रास्ते मे हमने एक रेस्तरॉ में नाश्ता किया और आगे चल पड़े।
जम्मू से बनिहाल तक ट्रेन का ट्रैक बन रहा हैं ।सुरंगे खुद रही हैं , सड़क बन रही हैं।काम तेजी से हो रहा है।जल्दी ही हम जम्मू से डायरेक्ट श्रीनगर ट्रेन से पहुँच जायेगे। लेकिन उसके  कारण रास्ता बड़ा ही खराब हो गया हैं ओर मिट्टी भी काफी उड़ रही हैं। जब हमारी गाड़ी बनिहाल से आगे निकली तब रास्ता सुहाना हुआ। दूर तक फैले पहाड़ ओर चावल के हरे भरे खेत दिखाई देने लगे जो देखने पर काफी दिलकश नजर आ रहे थे।छोटे छोटे सुंदर घर ,साफ सड़के ओर लम्बे पेड़ दिखने लगे।मेरी आँखें इन खूबसूरत नजारों से एक पल के लिए भी झपकी नही,सारी ख़ूबसूरती को मैं इन आँखों से ही पी रही थी।सबकुछ एक दिवास्वप्न -सा लग रहा था।
बनिहाल से श्रीनगर एक ट्रेन भी चलती हैं ।समर सीज़न में जब बर्फ गिरती हैं तो ट्रेन से सफर करना बहुत अच्छा लगता हैं।चारों ओर सफेद बर्फ ओर उसपर चलती लाल रंग की ट्रेन।
बनिहाल के आगे हमको 2 लम्बी सुरंग मिली जो करीब 9 km लम्बी थी। एक का नाम जवाहर सुरंग हैं जो पुरानी हैं ।दूसरी नई बनी हैं। चेनानी – नैशारी सुरंग' यह NH-44 पर बनी सबसे लंबी सुरंग हैं । इसके बनने से जम्मू और श्रीनगर की 2 घण्टे की दूरी कम हो गई हैं।मैंने आजतक इतनी लंबी सुरंग नही देखी जो खत्म होने का नाम ही नही ले रही थी।☺️मेरा तो दम ही घुटने लगा😂😂😂
कंजिगुड आते-आते माहौल एकदम आशिकाना हो गया मतलब हवा में भी ठंड़क हो गई थी और आसमान एकदम साफ और नील नीला था।यहाँ मैंने मिलिट्री के जवान हाथो मे रायफल लिए मुस्तेदी से खड़े हुए देखे। काफी मिलिट्री की गाड़ियां भी दिखाई दी।ऐसी ऐसी गाड़ियां देखी जिन्हें सिर्फ कभी Tv पर 26 जनवरी की परेड में ही देखी थी।
श्रीनगर आने से पहले एक मिलिट्री जवान ने हमारी गाड़ी साईड में लगाने को बोला, थोड़ी देर में मैंने एक काफिला गुजरते हुये देखा जिसमे कई तरह की मिलिट्री गाड़िया थी जिस पर जवान खड़े हुए थे सबके हाथों में शस्त्र थे।मैंने तुरन्त अपना मोबाइल चला दिया ।बढ़िया वीडियो बनाने के लिए पर हाय री किस्मत🕵️ वीडियो बनी ही नही🤪 कैमरा तो चालू किया था पर स्टार्ट करना भूल गई।🤦
करीब 5 बजे हम श्रीनगर इंटर हो रहे थे। यहाँ काफी गर्मी लग रही थी।माहौल भी गर्म था। श्रीनगर में काफी चहल पहल थी।हमारी गाड़ी फेमस डल झील से होकर गुजर रही थी। झील में नावे चल रही थी जिसे शिकारा बोलते हैं उसमें बैठकर लोग बोट का आनन्द ले रहे थे।
डल लेक के नजदीक ही हमारा होटल था।हमारी गाड़ी हमारे होटल "हॉलिडे विला" में आकर रुकी ।अब 3 दिन हमारा यही बसेरा था। होटल काफी खूबसूरत था और लकड़ी का काम बड़ी बारीकी से हुआ था।
होटल में सामान रखकर थोड़ा फ्रेश हो, हम चल दिये  श्रीनगर की फेमस डल झील की तरफ।ड्रायवर हमको छोड़कर चला गया।
डल झील पर काफी भीड़ थी। अभी थोड़ा दिन था ।हम एक राउंड घूमकर वही झील की बाउंड्री पे बेठ गए। झील में तैरते शिकारे बड़े सुंदर लग रहे थे।धीरे धीरे अंधेरा छाने लगा।और हाउसबोट रंगबिरंगी लाइटों से जगमगाने लगे।
हम भी काफी थक गए थे इसलिए एक ऑटो में बैठकर अपने होटल आ गए।नीचे डायनिग हाल में जाकर खाना खाया। दाल चावल एक सब्जी और चपाती थी। पेट भर खाकर ऊपर कमरे में  आकर हम सो गए। कल हम दुधपत्री घूमने जायेगे।
तो मिलते हैं एक ब्रेक के बाद🙏










कश्मीर फाईल#भाग 2

कश्मीर फ़ाइल #भाग2
#जम्मू 
2 सेप्टेंबर 2023

1 सेप्टेंबर को हम बॉम्बे से निकले थे और आज 3 बजे हम जम्मू स्टेशन पर थे अब आगे....
मजेदार सफर निकला ।हमारे थर्ड Ac डिब्बे में 2 बढ़िया आदमियों से मुलाकात हुई।पहले व्यक्ति थे सुशील जो 45 मेम्बरों को लेकर कश्मीर घूमने निकले थे अपनी ट्रैवलर एजंसी के थ्रू....
ओर दूसरे थे फेमस यु टीयूबर राकेश खन्ना जिनका चैनल "हर दिन एक मंदिर" नाम से हैं।बहुत बढ़िया व्यक्तित्व के स्वामी हैं । अभी आपनी कैलाश यात्रा पर निकले हैं।
टाइम का पता ही नही चला खूब बातें हुईं।जब 3 घुमक्कड़ मिल जाये तो सफर का अपना ही मजा होता हैं।ये सफर भी यादगार रहा और हम सब जम्मू उतर गए।
जम्मू उतरकर हम टैक्सी से होटल ड्रीमलेंड पहुचे जो मेन बाजार में ही था। रेल्वे स्टेशन से ही टैक्सी ली थी जिसका किराया लगा 450 सो रु । ओर होटल प्रेमबजार में था जिसका रेंट था 1हजार रु। होटल ठीक ठीक ही था।होटल पहुँचकर हम फ्रेश हुए और  जम्मू घूमने निकल पड़े।
सबसे पहले हमने एक सिम खरीदा जो मुझे 400 रु का पड़ा।फिर हमने 800 रु में एक ऑटो किया जो रात तक जितना हो सकेगा घुमा देगा।
जम्मू शहर में बड़े बड़े विशालकाय पोस्टर दिखे जिनमें अमरनाथ यात्रियों को शुभकामनाएं दी गई थी क्योंकि अभी अभी अमरनाथ यात्रा खत्म हुई थी।
आटो वाला सबसे पहले हमको " जामवन्त गुफा पीर खो मन्दिर" दिखाने गया। इस गुफा में कई फकीर,साधु संतों ने तपस्याएं की थी इसलिए इसे पीर खोह बोलते है।डोंगरी भाषा मे गुफा को खोह बोला जाता हैं।यह बड़ी रहस्यपुर्ण गुफा हैं ऐसा स्थानीय लोग कहते है।यहाँ जामवंत ने हजारों साल गुजारे थे ।इसलिए इसे जामवंत गुफा भी कहते है।
कहते है कि राम रावण के युद्ध में जामवंत भगवान राम की सेना के सेनापति थे। युद्ध की समाप्ति के बाद भगवान राम जब सब से विदा होकर अयोध्या लौटने लगे तो जामवंत जी ने उनसे कहा– "प्रभु युद्ध में सबको लड़ने का अवसर मिला परंतु मुझे अपनी वीरता दिखाने का कोई अवसर नहीं मिला। मैं युद्ध में भाग नहीं ले सका और युद्ध करने की मेरी इच्छा मेरे मन में ही रह गई।"
उस समय भगवान ने जामवंत जी से कहा–"तुम्हारी ये इच्छा अवश्य पूर्ण होगी जब मैं कृष्ण अवतार धारण करूंगा। तब तक तुम इसी स्थान पर रहकर तपस्या करो।" इसके बाद जब भगवान कृष्ण अवतार में प्रकट हुए तब भगवान ने इसी गुफा में जामवंत से युद्ध किया था।

एक कथा के अनुसार राजा सत्यजीत ने सुर्य भगवान की तपस्या की तो भगवान ने प्रसन्न होकर राजा को प्रकाश मणि प्रसाद के रूप में दी। राजा का भाई मणि को चुराकर भाग गया पर जंगल में शेर के हमले में मारा गया और शेर ने मणि धारण कर ली। इसके बाद जामवंत ने युद्ध में शेर को हराकर मणि प्राप्त की। कृष्ण से हारने के बाद ये मणि जामवंत ने कृष्ण को दे दी।

यहीं से कृष्ण और जामवंत फिर से मिले। जामवंत ने कृष्ण को अपने घर आमंत्रित किया यहीं पर जामवंत ने कृष्ण के समक्ष अपनी पुत्री सत्य भामां से विवाह करने का अनुरोध किया और दहेज स्वरूप प्रकाश मणि दी।

पीर खोह् तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु मुहल्ला पीर मिट्ठा के रास्ते गुफा तक जाते है। मंदिर की दीवारों पर देवी देवताओं के मनमोहक चित्र उकेरे गए हैं। आंगन में शिव मंदिर के सामने पीर पूर्णनाथ और पीर सिंधिया की समाधिंया हैं। जामवंत गुफा के साथ एक साधना कक्ष का निर्माण किया है।जो तवी नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। यह गुफा घने जंगलो के बीच स्थित है। स्थानीय लोग मानते है कि यह मंदिर भारत के बाहर के मंदिरों और गुफाओं से जुड़ा हुआ है। हजारों भक्त हर साल यहां के मंदिर में पूजा करने आते है।
गुफा के आसपास का दृश्य बड़ा ही सुहावना था।नजदीक ही तवी नदी बह रही थी। जिसके नाम से पहले जम्मूतवी ट्रेन चलती थी। दूर एक गंडोला भी दिखाई दे रहा था जो पहाड़ पर स्थित मां काली  के मंदिर में भक्त्तों को ले जा रहा था।वैसे मन्दिर तक सड़क भी बनी हैं जिस पर होकर हम भी माता के मंदिर में जायेगे।
हम जामवंत गुफा से निकलकर सीधे  नदी के अपोजिट साइड  में स्थित "हर की पौड़ी" मन्दिर में गए ।ये मंदिर नया नया बना है। मन्दिर का  प्रागण्ड काफी विशाल था। हमारा मोबाइल गेट पर ही जमा कर लिया था इसलिए कोई फोटू न ले सकी। इसका मुझे बहुत अफसोस हैं। खेर,इसी मंदिर में नीचे बहती हुई तवी नदी पर घाट बना हुआ हैं जिसमे सीढियां थी । उसी घाट का नाम हर की पौड़ी हैं। यहाँ बहुत बड़े गणेश, माता दुर्गा की ओर शिव जी की काफी विशाल प्रतिमाएं बनी हुई है ,देखकर ही मन प्रसन्न हो गया। मन्दिर परिसर एकदम शांत था । बैठने के लिए बेंचे लगी हुई थी ओर यहाँ भी बड़े बड़े पोस्टर अमरनाथ यात्रियों के स्वागत हेतु लगे थे।शानदार जगह थी पर फोटू न लेने के कारण मन उदास था। अंदर काफी भगवान की प्रतिमाएं थी। मुझे ये मन्दिर कम पिकनिक स्पॉट ज्यादा लगा।😀 शाम होने में कुछ देर थी और हम नदी की सीढियो पर कुछ देर बैठकर अपने आटो में वापस आ गए। इसके बाद हम एक छोटे से मन्दिर में ओर गए ।
अब हम माँ महाकाली के शक्तिपीठ मंदिर में जा रहे थे। जो कठुआ में था। ये मन्दिर पहाड़ पर बना है और काफी बड़ा और विशाल हैं। यहाँ थोड़ी चढाई थीं मन्दिर तक पहुँचे पहुचे अंधेरा हो चला था ।यहाँ काफी भीड़ थी और चेकिंग भी हो रही थी।यहाँ भी मोबाइल ले जाने पर रोक थी। पर मोबाइल काउंटर नीचे था जब पुलिस वाली ने मोबाइल जमा करने को बोला तो मुझे गुस्सा आ गया  मैंने बोला कि मैं ऊपर आ गई हूं अब वापस नीचे नही जा सकती अगर आप नही जाने देगी तो मैं इधर ही बैठकर माता का नमन कर लुंगी। पर वो लेडी पुलिस घोड़ी दयालु थी बोली ठीक है जाओ पर वादा करो कि फोटू नही लोगी😀मैंने बोला कि ठीक है माता का फोटू नही लुंगी ओर मैंने वादा निभाया।😄 मैंने मन्दिर में एक भी फोटू नही लिया लेकिन बाहर आकर मन्दिर परिसर के फोटू खिंचे। यहाँ एक छोटा भंडारा जैसा भी चल रहा था कुछ लोग खा रहे थे पर हमारे पहुँचने से पहले ही सब्जी और पकौड़े खत्म हो गए  सिर्फ पूड़ी ही बची थी तो हमने 1 पूड़ी प्रसाद समझकर खा ली☺️
यहाँ एक साउंड ओर लाइट का प्रोग्राम भी चल रहा था जो शायद हर दिन होता हैं।कुछ फिश एक्वेरियम जैसा भी था जिसका 100 ₹ टिकिट था और शाही बाग़ भी था जिसका 20 रु टिकिट था पर रात होने के कारण हम नही गए।इधर किला भी था अगर दिन होता तो देखते पर हमने नही देखा क्योकि हम थके हुए भी थे और नींद भी आ रही थी। इस कारण  हम तिरुपति मन्दिर, बलिदान स्थल वगेरा नही देख सके और नजदीक के एक ढाबे में खाना खाने चले गए।  छककर खाना खाया और अपने होटल आ गए।कल श्रीनगर के लिए जो निकलना था।
कल मिलते है शब्बाखेर🙏






कश्मीर फ़ाइल भाग 1

कश्मीर -फाईल ★भाग 1
यात्रा की रूपरेखा।।
~~~~~~~`~💝

1Sep 2023

4 मई 2023 को मैंने एक ग्रुप के साथ अपनी कश्मीर यात्रा की रूपरेखा बनाई।
कश्मीर कैसा होगा?
कश्मीर वैसा होगा?
कहीं आतंकी मिल गए तो?
हमको किसी हिजबुद्दिन ग्रुप ने पकड़ लिया तो?
खर्चा कितना होगा?
अकेले जाये या ग्रुप के साथ?
जैसे अनेक सवाल मेरे ज़ेहन में घूमने लगे। फिर शुरू हुआ कश्मीर से सम्बंधित यू टियूब के सीरीज देखने का सिलसिला। तभी हमारे ग्रुप घुमक्कड़ी दिल से" पर इस यात्रा की काफी चर्चा हुई ।सारी  चर्चा मैंने स्टार कर ली और अप्रैल में हमारे ग्रुप के मेम्बर सन्दीपजी जब कश्मीर की यात्रा सकुशल कर आये तो दिल के सारे भ्रम भी खत्म हो गए। अब मन पक्का बना लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये, मुझे कश्मीर जाना ही है।
मन पक्का बनाकर सबसे पहले मिस्टर को जम्मू का फ्री-पास (रेल्वे) लाने को तैयार किया ।एक काम खत्म हुआ।अब पक्की मोहर लग गई कि अब कश्मीर जाना ही हैं।
सारी इन्क्वारी इक्क्ठा करने में मेरी,सबसे ज्यादा मदद मेरे ग्रुप वाले घुमक्कड़ी दिल से के मेम्बरों ने की जिनका दिल से आभार हैं ।स्पेशली प्रतीक गांधी आशीष और संदीप शर्मा ने काफी अच्छे ढंग से समझाया ओर एक रूपरेखा भी बनाकर पकड़ा दी।
उन्हीं दिनों  प्रतीक ने मुझे एक ग्रुप के बारे में बताया जो इंदौर से काफी कम बजट में कश्मीर घुमाता हैं।मैंने उस ग्रुप के मालिक दीपक जी से  बात की ओर उनका ऑफर मुझे इतना पसंद आया कि अपना ओर मिस्टर का नाम लिखवा कर ग्रुप ज्वाइन कर लिया।
उनका ग्रुप 16 मई को निकल रहा था 20 लोग हो गए थे तो मैंने भी 16 मई का टिकिट बुक करवा लिया।
पर होनी को कुछ और ही मंजूर था। ओर शायद मेरा दाना पानी अभी कश्मीर में नही था क्योंकि अचानक छोटी बेटी ने ऐलान कर दिया कि वो अपनी पहली डिलवरी मेरे घर करने आ रही हैं। वैसे उसकी डिलवरी की डेट 1 जून थी पर उसने मुझे 16 मई को बाहर जाने के लिए साफ मना कर दिया।
अब, मरता क्या करता! मैंने अपने आंसुओ को पीकर बेटी की खुशी में अपनी खुशी मिलाकर अपना प्रोग्राम केंसिल कर दिया। कोई नी, फिर चलेगे।।कश्मीर किधर भागा जा रहा हैं।☺️
16 मई को दीपक भाई की टीम खूब मजे करके, बर्फ में खेलकर वापस इंदौर आ गई ।
पास निकला हुआ था 5 महीने तक वेलिट था  तो चिंता की कोई बात नही थी।जून में बेटी को बेटा हुआ और सवा महीने बाद वो अपने ससुराल लौट गई। फिर पोते का पहला बर्थडे निपटाकर मैं अगस्त में फ्री हुई और अब मैंने 22 अगस्त का प्रोग्राम बनाया । ओर इंतजार करने लगी।पर तब बारिश बहुत थी। सारा कुल्लू,मनाली,पँजाब जलमग्न था तो क्यो रिश्क ले और इस बार भी टिकिट केंसिल हुए।
हमारे रेल्वे के पास पर आप 2 बार टिकिट केंसिल करवा कर तीसरी बार यात्रा कर सकते हो।
तो फिर से तीसरी बार मैंने 1 सेप्टेंबर का रिजर्वेशन करवाया।अब तक मैं बहुत बोर हो चुकी थी।इस बार कोई ग्रुप भी नही जा रहा था।मुझे अकेले ही यात्रा पर निकलना था।मैंने भगवान का नाम लिया और 1 सेप्टेंबर को दिन के 11 बजे की जम्मूतवी एक्सप्रेस जिसे अब स्वराज्य एक्सप्रेस कहते है उससे कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़ी।
बहुत इंतजार के बाद आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका मुझे इंतजार था।
मन में जोश हिलोरे ले रहा था।कश्मीर में फिल्माए कई फिल्मी गीय आंखों में नाच रहे थे और मैंने सुबह 10 बजे ही स्टेशन पर पहुचकर दम लिया☺️
शेष अगले एपिसोर्ट में🙏