मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शनिवार, 20 सितंबर 2014

जब तक है जान

 
"जब तक है जान की तर्ज पर "
 

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तेरे हाथो में मेरा हाथ ,
मेरे लबो पे तेरा प्यार ,
तेरा आगोश 
नहीं भूलूँगी मैं 
जब तक है जान
जब तक है जान । 

पहाड़ो पर तेरे साथ घूमने से 
हर बात पे तेरे साथ हँसने से 
तेरे साथ छत पे बाते करने से 
मोहब्बत करुँगी मैं 
जब तक है जान 
जब तक है जान । 

तेरे झूठे सच्चे वादो से 
तेरे परेशान जवाबो से 
तेरे बेरहम सवालो से 
नफरत करुँगी मैं 
जब तक है जान 
जब तक है जान । 

तेरी आँखों की शोख मस्तियों से
तेरी लापरवाह शरारतो से 
तेरा पीछे से बाँहो में भरना 
नहीं भूलूँगी मैं 
नहीं भूलूँगी मैं 
जब तक है जान 

जब तक है जान !!!!!!!!! 


मंगलवार, 9 सितंबर 2014

बॉम्बे की सैर -- मेरी नजर में = भाग 7


"पांडवकडा वॉटर फॉल "
खारघर की सैर 




7 सितम्बर 2014 
आज आपको नवी मुंबई  की सैर कराती  हूँ ----
हम सपरिवार पहुंचे CBD  बेलापुर ---ये 'नवी मुंबई ' में है -सिडको ने इसे प्लान से बहुत ही अच्छी तरह से बनाया है ---यह कई सेक्टर में फैला है -- यहाँ का प्राकृतिक नज़ारा देखने काबिल है ---ऊँचे -ऊँचे पहाड़ देखने से किसी हिल स्टेशन का आभास होता है --
मुंबई की जनसँख्या  देखते हुये इसे और खारघर को बसाया गया आज यहाँ का रियल स्टेट काफी उँचाई पर हैं --

इतिहास :--

यह नवी मुंबई (खारघर ) में है  -- CST   (छत्रपति शिवजी टर्मिनस ) से पनवेल जाने वाली हर्बल लाईन से यहाँ पंहुचा जा सकता है -- रोड से भी आप खारघर तक जा सकते है, ये मुंबई- पूना रोड पर आता है ---यहाँ एक गोल्फ ग्राउण्ड भी बना है और सड़क पर एक गुरुद्वारा भी है ---लेकिन यह सिर्फ रैनी सीजन्स में ही रहता है ।  

आज आपको बेलापुर से लगा दूसरा स्टेशन "खारघर "ले चलती हूँ यहाँ बारिश के मौसम में एक खूबसूरत वॉटर फॉल गिरता हैं जो केवल बारिश के मौसम में ही रहता हैं --- "कहते है की यहाँ पर बनी गुफा में  'पांडव ' अपने अज्ञातवास के दौरान छुपे हुए थे इसलिए ही इसका नाम "पांडवकडा " पड़ा --- 

हम जब यहाँ पहुंचे तो 3 बज रहे थे ,कुछ सिपाही यहाँ खड़े लोगो को वॉटर -फॉल जाने के लिए रोक रहे थे ,उनका कहना था की यहाँ 2 लोग ऊपर से गिरे पत्थरो के कारण मर चुके है --काफी भीड़ थी लड़का  -लड़कियों के झुंड के झुंड खड़े थे पुलिस वालो से मन्नते हो रही थी हमने भी उनको कहा पर वो मानने वालो में नहीं दिख रहे थे।   
आखिर हम उनको छोड़ उदास से पास के गुरद्वारे में चले गए ---आधा घंटा वहाँ बिताकर जब हम वापस उसी स्थान पर आये तो  पुलिसमैन जा चुके थे और सारी भीड़ अब अंदर जाती हुई दिखी हम भी एक मिनट की देरी किये फटाफट अंदर को चले गए ---- झरना काफी दूर दिख रहा था ---जाते -जाते बैंड तो बजने वाली थी ----




ये है खारघर का गुरद्वारा 


यहाँ है वो फ़ेमस वाटर फॉल (दूर सड़क से दिखाई देता हुआ )
































कहते है इस गुफ़ा में पाण्डवाज़ ने अपने अज्ञातवास के कुछ दिन निकले थे  




और अब वापसी 

वापसी में पाण्डु हवलदार ऊपर आ  पहुंच चुके थे हमको भी एक गुस्से भरी नज़र फैंक कर सबको वहां से सिटी बजाकर वापस चलने को बोल रहे थे--शाम के 6 बज रहे थे और हम अब सेंट्रल पार्क घूमने चल दिए --