मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शनिवार, 4 मार्च 2023

तमिलनाडुडायरी#8

तमिलनाडुडायरी #8
16 दिसम्बर 2022

आज सुबह हम होटल से डॉ अब्दुल कलाम साहब के घर गए फिर वहां से धनुष्कोडी की यात्रा की अब आगे...
धनुष्कोडी से घूमकर हम एक रेस्त्रां में गए ।वहां रेत में प्लास्टिक के टेबल कुर्सी बिछे थे और मछलियां तली जा रही थी।बोलते है फ्रेश समुंदर से निकालकर लाते हैं और तलते हैं। पर बदबू बहुत आ रही थी। क्या करें भूख भी जोरो से लगी हुआ थी ।सुबह सिर्फ़ पोंगल खाकर निकली थीं।100 ₹ में अनलिमिटेड खाना था।तो मैंने आव देखा न ताव फटाफट चावल और कोई तरी वाली सब्जी थी उसको जैसे-तैसे निगला ओर बाहर निकल कर ऑटो में बैठ गई। मेरे लिए 1 प्लेट चावल जो मैंने खाये थे 100₹ में महंगे थे पर ऑटो वाला और मिस्टर पूरे 100 ₹ वसूल कर के ही बाहर निकले।😃

बाहर ऑटो में गर्मी इतनी थी कि कुछ कह नही सकते पर गर्मी पर ठंडी हवा के झोंके भारी पड़ रहे थे।मेरे सर में बचे 2-4बाल उड़ उड़ कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे।😃 मौसम इस गर्मी में भी सुहावना था।

धनुष्कोडी से 300-400 मीटर की दूरी पर समुंदर में बने पुल के ऊपर से  होते हुए हम विभीषण मन्दिर में गए। ये मन्दिर समुद्र के एक टुकड़े को पार कर के जमीन पर बना था। इस मंदिर का नाम "कोदण्डस्वामी मन्दिर" हैं।

कोद्ण्ड स्वामी मंदिर:--
रामेश्वरम् मंदिर से पांच मील दूर पर  ये मन्दिर उपस्थित हैं। यह  "कोदंड स्वामी का मंदिर" कहलाता है। कहा जाता है कि विभीषण ने यहीं पर राम की शरण ली थी। रावण-वध के बाद श्रीराम ने इसी स्थान पर विभीषण का राजतिलक किया था। इस मंदिर में राम, सीता और लक्ष्मण की खूबसूरत मूर्तियां हैं इस के साथ ही विभीषण की भी मूर्ति है। इस मन्दिर में विभीषण की भी पूजा होती हैं।
हर जगह की तरह यहां भी बहुत भीड़ थी फोटु खींचना यहां भी मना था।पर अंदर राम लक्ष्मण और सीता माता की खूबसूरत प्रतिमाओं को देखकर फोटु उतारने का मन था पर भीड़ के कारण जगह ही नही मिल रही थी। वैसे भी फोटु खींचना मना भी था खेर,

यहां से थोड़ा आगे पैदल चलने पर समुन्द्र के किनारे एक मीठे पानी का कुआं हैं और भगवान शिव का शिवलिंग हैं यहां फ्लोटिंग पत्थर भी थे।पर ये स्थान मैंने नही देखा मुझे Gds सदस्या "अल्पा डागली" के द्वारा पता चला फोटु भी उसी का लगाया हैं। सिर्फ जानकारी के लिए यहां लिखा हैं ताकि कोई जाए तो उस स्थान पर भी होकर आए।

हमने यहां से बाहर निकलकर सबसे पहले पीले रंग के नारियल का पानी पिया। ये नारियल मैंने रामेश्वरम के अलावा कही नही देखे थे।50 रु का एक नारियल था पर स्वाद में हरे नारियल से थोड़ा टेस्टी ओर मीठा था। यहां ये नारियल महंगा था जबकि रामेश्वरम में ये 30₹ में बिक रहा था।
इसीतरह यहां मैंने लाल केले भी देखे, वो भी 11 रु का एक केला खरीदा।स्वाद अपने केले से एकदम भिन्न। हम दोनो ने आधा आधा केला खाया।अगली बार ज्यादा लुंगी😃

यहां से निकलकर हम रामकुंड को चले, कहते हैं रावण का वध कर के सबसे पहले भगवान राम ने इसी कुंड में स्नान किया था।
इसी तरह लक्ष्मण कुंड भी बना है।दोपहर होने के कारण मैं इन मन्दिरों के दर्शन नही कर सकीं क्योकि ये बन्द थे सिर्फ मन्दिर के सामने बने रामकुंड को ही देखकर आगे बढ़ गए।इसी तरह लक्ष्मण मन्दिर के भी दर्शन नही कर सकी।

अब ऑटो वाला हमको पंचमुखी हनुमानजी के मन्दिर में ले गया।यहां हनुमानजी की 5 मुख वाली काले पत्थर की मूर्ति हैं। इस मंदिर को तैरते पत्थरों का मन्दिर भी कहते है। क्योंकि धनुषकोटि में  आये सुनामी के बाद ये पत्थर  यहां लाए गए थे।यहाँ फोटू खिंचना मना था पर मैं कीधर मानने वाली थी 
मैंने चुपके से सिर्फ पत्थरों के फोटु लिए वो भी एक ही, क्योकि वहाँ लगी तख्तियों पर लिखा था कि ---"अगर फोटू य्या वीडियोग्राफी करते पकड़े गए तो जुर्माना लगेगा"। जुर्माना भरने से अच्छा है कि हम सारा मंजर आँखों मे ही कैद करें।😃
यहां पर महाकवि तुलसीदास जी की भी समाधि हैं।

इसके बाद हम सामने ही एक आश्रम में गये जो काफी बड़ा था और उसी में नटराज मन्दिर था। यहां कोई सत्संग चल रहा था ।काफी भीड़ थी इसलिए हम बाहर से दर्शन कर के लॉट आये।
अब हम वापस अपने होटल लौट आये थे ।शाम हो चली थी ।हम रूम पर जाकर फ्रेश होकर वापस बाहर आ गए।सामने ही रामेश्वर मन्दिर का पश्चिमी द्वार दिख रहा था। रात होने से  इंट्री बन्द थी। मैने बाहर से ही मन्दिर  का एक फोटु खीचा  ओर वापस चल दी। वापसी में देखा रास्ते पर बाजार लगा हुआ था।100₹ में काफी खूबसूरत साड़ियां बिक रहीं थी।3 मैंने भी खरीद ली।😂
अब एक केक की दुकान को ढूढ़ना था , मन्दिर के गेट पर खड़े पुलिसमैन से केक शॉप के लिए पूछा तो उसने सामने जाती रोड की तरफ इशारा कर दिया और मैं भी नाक की सीध में आगे बढ़ती गई। नजदीक ही बड़ी सी केक की दुकान मिल गई वहां से केक लेकर पार्सल में खाना लेकर वापस होटल लौट आये।
आज एनिवर्सरी थी तो केक भी काटना था।आज पहली बार बच्चों से अलग ये दिन मनाया था तो रात को वीडियो कॉल करके सबके साथ केक काटा ओर खाना खाया। आज का दिन खास था और इस यात्रा ने इसको ओर भी खास बना दिया था।
जय श्रीराम🙏
क्रमशः....











बुधवार, 1 मार्च 2023

तमिलनाडु डायरी#7

तमिलनाडुडायरी# 7
16दिसम्बर 2022

कल रामेश्वरम को गुडबॉय बोलकर हम निकल गए थे पर रामजी कीधर मानने वाले थे। उन्होंने हमको तुरंत वापस बुला लिया और बोले कि– "बेवकूफ नारी, काहे बगैर देखे मेरी नगरी से प्रस्थान कर रही हैं ।वापस जाकर अपने ग्रुप में क्या मुंह दिखाएगी। अधूरा ज्ञान और अधूरा भ्रमण किसी काम का नहीं हैं बाद में पछताएगी" 😀
मैंने भी श्रीरामजी को--- "जो हुक्म मेरे मालिक " बोलकर हाथ जोड़ लिए🙏
ओर फटाफट दिन में मदुराई से दोबारा उसी ट्रेन में बैठ गई और रात 10:30 को दोबारा रामजी की नगरी रामेश्वरम में अपने कदम रक्खे।🙏
आज 16 दिसम्बर था और इसी दिन के कारण ही तो मैंने यहां आने का प्रोग्राम बनाया था। सोचा था रामजी के चरणों में ये शुभ दिन मनाऊंगी😃ओर आज मुझे मालिक ने इस शुभ दिन पर वापस बुला लिया था😀
तो दोस्तों! ज्यादा सस्पेंस में नही रखती हूं  क्योकि आज हमारा शहीदी दिन था यानी कि वैवाहिक सालगिरह हैं।ओर आज हम निकलने वाले हैं धनुषकोटि।🥰

तो सुबह फटाफट गुलफ़ाम बने हम नए कपड़े धारण किये और होटल से बाहर आ गए,पड़ोस के साफ सुथरे रेस्तरां में नाश्ता किया।
आज कुछ अजीब सी खिचड़ी के स्वाद वाला पोंगल खाया ।वैसे टेस्टी था।पर बस एक बार ही,  बार2 नही खा सकती।😂😂

नाश्ता से फ्री होकर हमने एक ऑटो वाले से सम्पर्क किया उसने 5 स्थान घुमाने का 1हजार ₹ बोला ।पर मैंने तुरंत हा नही की बल्कि  दूसरे ऑटो वाले को रोका उसने भी जब 5 स्थान घुमाने का 1हजार  बोला तो हम बगैर सोचे समझे ऑटो में सवार हो गए।
पहले वो हमारे देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति और फेमस वैज्ञानिक अब्दुल कलाम साहब के घर ले गया।वहां हमने उनका घर, ओर उनका संग्राहलय देखा। सादगी के मालिक कलाम साहब को नमन कर के कुछ फोटु उतारकर हम आगे बढ़ गए।

अब हम धनुषकोटि जा रहे थे।ये धनुषकोडी इसलिए भी फ़ेमस हैं क्योकि भगवान राम ने अपने वनवास काल में सीता माता को मुक्त करवाने के लिए अपनी वानर सेना द्वारा लंका पर चढ़ाई के लिए ब्रिज बनाया था और वो ब्रिज पत्थरों से बना था जो पानी मे डूबते नही थे।ये ब्रिज अब दिखाई तो नही देता लेकिन यहां तक पहुँचने वाला रास्ता बड़ा ही दिलकश था।नज़ारे इतने सुहावने थे कि मेरा मोबाइल उनको कैद कर कर के थक गया ।दोनो तरफ समुंदर एक तरफ हिंदमहासागर ओर दूसरी तरफ बंगाल की खाड़ी बीच मे रास्ता, जिस पर दौड़ता हमारा ऑटो ओर हमारे साथ चलती सुहानी हवा !मुझे एक  गीत याद आ गया--- "मौसम मस्ताना.. रास्ता अनजाना ..जाने किस मोड़ पे बन जाये कोई अफसाना... लल्लला ला ..ला ..ला 🥰🥰🥰क्या कहने😀

धनुष्कोडी:--
धनुषकोडी को भारत की अंतिम भूमि के रूप में जाना जाता है, रामेश्वर से धनुष्कोडी जाने वाली सड़क को भारत की अंतिम सड़क कहते हैं। धनुषकोडी की इस सड़क से श्रीलंका केवल 31 किलोमीटर दूर है और स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। लगभग 54 साल पहले पंबन द्वीप पर धनेश्वर लिंकी एक रेलवे स्टेशन, पुलिस स्टेशन, चिकित्सा केंद्र और सुविधाओं के साथ दक्षिण पूर्व भारत के तट पर बसा एक शहर था। 21 दिसंबर 1964 को इस पूरे क्षेत्र में एक चक्रवती तूफान आया था जिसकी 20 फीट ऊंची लहरे उठी थी जिसने पूरे शहर को तहस नहस कर दिया था। कहते हैं तब इस रेल्वे लाइन पर एक यात्रियों से भरी हुई ट्रेन भी जा रही थी जिसे इस चक्रवात ने निगल लिया था।कोई भी यात्री नहीं बचा था।
तभी से सरकार ने इस स्थान को निर्जीव घोषित कर दिया।यहां अभी भी पुराने रेल्वे स्टेशन,चर्च के अवशेष देखे जा सकते हैं।
हमने घूमकर इन अवशेषों को देखा ।यहां एक दुकान में हमको पानी में तैरते पत्थर भी दिखे जिसे श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करते समय पुल बनाने के लिए इस्तेमाल किये थे।कुछ अजीब से पत्थर थे।

अब हम यहां से थोड़ी दूर पर बने धनुष्कोडी के आखरी स्थल पर पहुचे जिधर काफी भीड़ थी और लोग इस खूबसूरत मंजर को अपने अपने कैमरे में कैद कर रहे थे। भारत भूमि के अंतिम छोर को निहारना अपने आपमें एक सम्मोहन-सा था।चारों ओर समुंदर ढहाके मार रहा था।हिंदमहासागर ओर बंगाल की खाड़ी का यहां मिलन होता हैं। दोनों के पानी का अंतर यहां स्पष्ट देखा जा सकता है।यहां कुछ समय बिताकर हम वापस चल दिये।
शेष अगले अंक में.