मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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सोमवार, 31 अगस्त 2020

सुनहरा सपना


सुनो ...❤️

हम मिलेंगे एक बार जरूर...
बुढापे में लकड़ी लेकर 
तुम आओगे मुझसे मिलने...?

जानते हो क्यों??
क्योंकि उस समय 
कोई बंदिशें नहीं होंगी 
ना तुम्हारे ऊपर ,
ना मेरे ऊपर,
वो दौर भी कितना खूबसूरत होगा?

वो दौर भी तो खूबसूरत था 😘
कितना सुन्दर कितना दिलकश था..
जब हमतुम छुप छुपकर मिलते थे...
कोई देख तो नहीं रहा हैं,
बस इसी बात से सहमे रहते थे!

पर अब ऐसा कुछ न होगा!
ना किसी का डर होगा,
ना कोई दायरा !
न कोई समझौता!!

तुम आओगे ना मुझसे मिलने ?
तुम्हारी आँखों पर मोटा-सा चश्मा होगा ...
उस चश्मे से मैं निहारूँगी....
तुम्हारी आंखों की गहराईयों को....!

फिर तुम रख देना अपना सर,
हौले से मेरी गोद में,
मैं सहलाऊंगी तुम्हारे बालों को
अपने झुर्रीयों भरे...
कोमल हाथों से..!

सुनो.... 
मैंने एक सपना देखा हैं...
आखिर सपने देखना भी तो
तुमसे ही सिखा हैं !
कहो ना !...
तुम मुकम्मल करोगे ना ?
मेरे इस सपने को ..!

मैं छूना नहीं चाहती तुम्हें.... 
बस हवाओं की हर पुरवाई में 
महसूस करना चाहती हूँ !

बेहद करीब से...।
तुम्हारे होने का अहसास,
अपनी श्वांस की गरमाहट में 
महसूस करना चाहती हूं..
ख़ुदा की इबादत की तरह,
तुम्हें पूजना चाहती हूं!!!

बोलो ना !!
आओगे ना तुम मुझसे मिलने...?💕

---दर्शन के दिल से

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

अमृतसर यात्रा भाग 10


अमृतसर यात्रा :--
भाग 10
मनिकरण भाग 2
2 जून 2019

28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले..रतलाम  में मेरी भाभी भी आ  गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये,31 मई को अमृतसर से निकलकर हम माता चिंतपूर्णी ओर ज्वालादेवी के दर्शन कर हम आनंदपुर साहिब रुके,1जून को किरतपुर गुरद्वारे घूमकर रात को मनिकरण साहब पहुंच गए ...सुबह बाजार घूम रहे थे।
अब आगे..... 

पार्वती नदी बड़े वेग से बह रही थी उसका शोर रात के मुकाबले अब थोड़ा कम था हमने कई फोटू ओर वीडियो उतारे फिर खोलते कुंड के फोटू लिए वहां आलू उबल रहे थे और खाना बनाने की तैयारी हो रही थी ...
वहां से  हम नदी के साथ -साथ चलते हुए भगवान  विष्णु के मंदिर के दर्शन करते हुए आगे बढ़ रहे थे।
आगे हम माता नैना भवानी के लकड़ी के मन्दिर के पास पहुंचे..ये एक अति सुन्दर प्राचीन मन्दिर था वहां काफी देर बैठकर हम आगे चल दिये..।
थोडा आगे जाने पर हमको प्राचीन राममंदिर  दिखाई दिया यहां काफी सीढ़िया दिखाई दे रही थी .. सीढ़ी चढ़कर हम मन्दिर के अंदर पहुंचे, अंदर से मन्दिर काफी सुंदर ओर बड़ा था राम की मूर्ति भी लुभावनी थीं।

यहां की शार्ट स्टोरी ये हैं कि यहां के राजा से ब्रह्म हत्या हो गई थी जिसके पश्चाताप के कारण राजा ने अपना सारा राजपाट भगवान राम को सौप दिया था ओर खुद सन्यासी हो गए थे तभी से यहां ये मनभावन मन्दिर बना हुआ है।
मन्दिर के सामने ही लकड़ी का रथ रखा हैं, जिस पर भगवान राम की रथयात्रा होती हैं ।भगवान राम के मन्दिर के बाहर भी गर्म पानी का छोटा सा कुंड बना था और यहां ठहरने के लिए  कमरे भी उपलब्ध थे।जिनका 300 रु रोज का किराया था।
यहां फ्री भोजन की भी व्यवस्था थी।

राम मन्दिर के दर्शन के बाद हम घूमते हुए आगे जा रहे थे तो रास्ते मे फल बेचने वाली एक लड़की ने हमको संगम पर जाने का बोला जिसे हमने तुरंत मानकर उसके बताए रास्ते पर चल दिये...काफी आगे चलने के बाद हमको पार्वती नदी और ब्रह्मा नदी का संगम दिखाई दिया जहां काफी लोग पानी से अठखेलियों कर रहे थे। हम भी ब्रह्मा नदी के संगम पर पहुंच गए ...ओर पत्थरों पर बैठकर ब्रह्मा नदी ओर पार्वती नदी का कलकल बहता जल देखने लगे...नदी का ठंडा जल आंखों के साथ रूह को भी सुकून दे रहा था... यहां आने की सारी कठनाईया भूलकर हम भी  लोगों के साथ पानी में मस्ती करने लगे..वहां बहुत से नए जोड़े अपनी ही मस्ती में चूर थे😀

करीब 4बजे हम यहां से रुक्सत हुए...मन तो नही मान रहा था पर जाना तो था...धीरे धीरे हम पहाड़ से उतरने लगे और बापस बाजार में आ गए ..अब हम बहुत थक गए थे ओर वापस अपने हाल में जाकर आराम करने के मूड में थे।
 बाजार में हमको एक पहाड़ी ड्रेस वाले कि दुकान नजर आई हमने यहां यादगार के लिए उस ड्रेस में फोटू खिंचवाए.. 
बहुत मजा आया... सारी थकान फ़ुर्र हो गई और हम बच्चों की तरह फोटू खिंचाते हुल्लड मचाते हुए अपने बचपन को याद करते रहे.. सचमुच जब हम अपने दोस्तों के साथ कहीं जाते हैं तो उम्र की सीमा टूट जाती हैं और हम एक अबोध बालक की तरह सबके साथ मिलकर हुल्लड़ मचाते हैं तो लगता हैं मानो समय यही ठहर जाए ...😂
हम अपने ढेर सारे फोटू खिंचवाकर वही एक रेस्तरां में चाय पीने बैठ गए।
चाय पीकर निकल रहे थे कि अचानक एक ट्रेवल्स एजंसी पर नजर चली गई ,कल हमको निकलना था क्योंकि यहां देखने को ज्यादा कुछ था नही इसलिए टाईम खराब करने से अच्छा है कि हम किसी ओर जगह को ऐक्सफ्लोर करे पर किधर जाए कुछ सोचा नही था।
पहले कुल्लू जाने का प्रोग्राम बनाया,फिर ये सोचकर केंसिल कर दिया कि पिक ओवर चल रहा हैं और कुल्लू में भीड़ बहुत होगी तो हमने हरिद्वार जाने का फैसला किया और  ऑफिस में गए ।इन्क्वारी की ओर कल रात के हरिद्वार के 3 टिकिट बुक करवाये ।
हमारा अगला डेस्टिनेशन हरिद्वार ओर ऋषिकेश था।
हमने कल रात 10 बजे  भुंतर से  वॉल्वो बुक की जिसमें एक आदमी का किराया 1400 सो रुपये।
अब हम वापस गुरद्वारे अपने हाल में आ गए ।थोड़ा रेस्ट कर ही रहे थे कि मेरे जयपुर के एक दोस्त का फोन आ गया वो भी अपनी फैमिली के साथ मनिकरण घूमने आए थे,मिलना चाहते थे तो मुझे उनसे मिलने फिर से नीचे जाना पड़ा।
नीचे गुरद्वारे के पुल पर खड़े हो हमने बातें की यहां ठंडक बहुत थी एकदम ठंडी हवा चल रही थी।
ठंडी से सुकड़ते हुए मैं वापस आकर अपनी रजाई में घुस गई।
अभी शेष है-----

                      विष्णु मंदिर

                      माता का मन्दिर

                       राम मंदिर 

                        रथ
                     बस स्टैंड

               संगम का रास्ता
  
  




                 अरविंद जी से मुुुलाकात

  

  

शनिवार, 15 अगस्त 2020

अमृतसर यात्रा भाग 9


अमृतसर यात्रा भाग-9
(मनिकरण)
2जून 2019


28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले..रतलाम  में मेरी भाभी भी आ  गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये,अमृतसर अच्छे से घूमकर आज सुबह हम अमृतसर से निकलकर माता चिंतपूर्णी के बाद माता ज्वालादेवी के दर्शन करके हम रात को आनंदपुर साहिब आये, रात हमने आनंदपुर साहिब में ही गुजरी,सुबह हम विरास्ते खालसा देखकर फिर किरतपुर साहेब दर्शन कर के हम कल रात मनिकरण पहुंचे,
अब आगे.....
मनिकरण में,मैं 1995 को भी आई थी तब इतनी भीड़ नही थी ओर तब हमने होटल में रूम लिया था ।
अभी तो खतरनाक भीड़ थी । रात 12 बजे ऐसा लग रहा था मानो 8 ही बजे थे ,माहौल एकदम ठंडा था हवा बहुत बह रही थी ...रात को हमने सारे हथकंडे अपना लिए थे पर गुरद्वारे से बाहर निकलना मुश्किल था,हमको रास्ता भी पता नही था।जो इकलौता दरवाजा था वो गुरद्वारे से निकलता था वो बन्द था ख़ेर,जैसे तैसे रात गुजारी ..सोने में कोई प्राब्लम नही थी...नीचे मस्त गद्दे बिछे हुए थे साफ सुधरी चादर ओर  रजाईयां दे दी थी... पंखे नही थे पर हवा एकदम ठंडी थी ।रात को पार्वती नदी का शोर बहुत था लेकिन थकान की वजय से हमसब गहरी नींद में सो गए। सुबह उठे तो एकदम फ्रेश थे , हाल के बाहर टॉयलेट बने हुए थे वहां जाकर फ्रेश हुए और नहाने नीचे गर्म पानी के कुंड में चल दिये...
काफी देर गर्म पानी से नहाकर हम बाबूजी बनकर हॉल से निकल पड़े।
पहले गुरद्वारे में जाकर शीश नवाया फिर लँगर खाकर कल के बन्द दरवाजे से बाहर निकलकर एक गली में आ गए जो बाजार में खुलती थी ...धीरे धीरे बाजार घुमते हुए हम शंकर जी के मन्दिर में गए जहां गरम पानी के कुंड में आलु उबल रहे थे वही लोगों ने छोटी छोटी पोटलियाँ भी डाल रखी थी पूछने पर पता चला कि ये चावल की पोटलियाँ हैं जो इस उबलते हुए पानी के कुंड में पक रही हैं।प्रकृति का अनुपम रूप था एक तरफ बर्फ जैसा ठंडा पानी था तो दूसरी तरफ  किनारे पर पानी उबल रहा था...
काफी गर्म भाप मन्दिर के आसपास घूम रही थी चारों ओर ठंडी हवा और गरम भाप का मिलाजुला रूप देखने को मिल रहा था।

मनिकरण:--
मणिकर्ण भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर पश्चिम में पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा है, जो हिन्दुओं और सिक्खों का एक तीर्थस्थल है। यह समुद्र तल से 1760  मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। और कुल्लू से इसकी दूरी लगभग 45 किमी है। भुंतर में छोटे विमानों के लिए हवाई अड्डा भी है।

मणिकर्ण अपने गर्म पानी के चश्मों के लिए भी प्रसिद्ध है।देश-विदेश के लाखों प्रकृति प्रेमी पर्यटक यहाँ बार-बार आते है, विशेष रूप से ऐसे पर्यटक जो चर्म रोग या गठिया जैसे रोगों से परेशान हों यहां आकर स्वास्थ्य सुख पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां उपलब्ध गंधकयुक्त गर्म पानी में कुछ दिन स्नान करने से ये बीमारियां ठीक हो जाती हैं।

आगे हम गणपति मन्दिर ,नैना भवानी  मंदिर और राजाराम मंदिर देखने चल पड़े।
शेष अगले अंक में---

                    उबलते आलू

                          कुण्ड
             भाप से लँगर बनने की तैयारी

                 पारवती नदी


अमृतसर यात्रा भाग 8


अमृतसर यात्रा भाग-8
(मनिकरण)
1जून 2019


28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले..रतलाम  में मेरी भाभी भी आ  गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये,अमृतसर अच्छे से घूमकर आज सुबह हम अमृतसर से निकलकर माता चिंतपूर्णी के बाद माता ज्वालादेवी के दर्शन करके हम रात को आनंदपुर साहिब आये, रात हमने आनंदपुर साहिब में ही गुजरी,सुबह हम विरास्ते खालसा देखकर फिर किरतपुर साहेब दर्शन कर के अब मनिकरण को चल दिये, अब आगे...

किरतपुर से हम सीधे #मणिकरण साहेब को चल दिये.. शाम के चार बज रहे थे और ड्राइवर ने बोला कि मणिकरण पहुंचते पहुंचते रात हो जाएगी।
हमको नींद के झोंके आ रहे थे और गाड़ी हवा से बातें कर रही थी...एक तरफ नदी और दूसरी तरफ पहाड़ दिल को सुकून दे रहे थे। सुंदर नगर में पहुंचकर जबरजस्त ट्रैफिक जाम मिला क्योकि यहां चार लेन बन रही थी पहाड़ों को काटा जा रहा था,यहां 3 km लम्बी सुरंग बनकर तैयार थी हमारी कार जब सुरंग से निकल रही थी तो  उसका दूसरा सिरा नजर ही नही आ रहा था...
आखिर रात 12 बजे हम मणिकरण साहेब पहुंच गए।
गुरद्वारे में जबरदस्त भीड़ थी ,रूम के लिए बहुत धक्का मुक़्क़ी हो रही थी हम लेडिस थे तो हमको रूम फटाफट मिल गया ...लेकिन ये क्या यहां तो रूम था ही नही? यहां तो बड़ा सा हॉल था जिधर बिस्तर बिछे हुए थे ,क्या हम यहां रहेंगे ?हम बहुत परेशान हुए? अब 12 बजे कौन होटल देखने जाएगा।गुरद्वारे का दरवाजा भी बन्द था इसलिए हमने वही रुकने का प्रोग्राम बनाया ...रात सुकून से गुजरी...बाहर पार्वती नदी के शोर ने हमको लोरिया सुनाकर सुलाया उफ़्फ़फ़!!!!
पिक्चर अभी बाकी हैं मेरे दोस्त😊




जिंदगी की करवट


जिंदगी किस करवट बैठेगी
कुछ पता नही
न आज का गम हैं।
न कल की खुशी हैं।
अंधेरे साये मेरे इर्द गिर्द मंडरा रहे हैं।
कल के ख़ौफ़नाक मंजर से शायद डर रही हूं।
कल, जो अकाल के क्रूर पंजे में दबा हुआ हैं
छटपटा रही हूँ,
खुद को बचाने का असफल प्रयास कर रही हूं।
मौत के गाल में समाना,
किसे पसन्द हैं।
पर लगता हैं किसी भंवर जाल में फंसती जा रही हूं।
हाथ पैर मार रही हूं!
खुद को बचाना चाहती हूं!
पर होनी को शायद कुछ और ही मंजूर हैं 
तो क्या करूँ???
सिवाय इंतजार के😢

---दर्शन के दिल से

रविवार, 9 अगस्त 2020

लौटते कदम

                          "कहानी" 


"लौटते कदम"

मेरे दिमाग में सीटियां बज रही थी
सरगोशियां अपने ज़ेहन से पर्दा हटाकर रास्ता देख रही थी।
दिमाग जैसे सुन्न पड़ गया था
अवचेतन मन अपने ख्याली स्वेटर बुन रहा था..
अचानक शून्य में एक खिड़की खुली ओर मेरे मानस पटल पर छा गई।
अपनी अधखुली आंखों से मैं उसके कंधे पर अपना सर रखे ,मसूरी की उस ठंडी सड़क पर बढ़ी जा रही थी, 
उसका हाथ मेरे इर्दगिर्द कमर से लिपटा हुआ था...फिजाओं में अमृत बरस रहा था...देवनार के लंबे लम्बे पेड़ हवा के झोंको से मस्ती में अटखेलिया कर रहे थें...फॉग भी पूरी रफ्तार से घाटी को अपने रूप जाल में फंसाने का असफल प्रयास कर रहा था.....

ओर मैं अपने खयालों के भंवर से निकलने को छटपटा रही थी।
दूर पहाड़ों की चोटी पर बर्फ चमक रही थी...सूरज अपनी अंतिम किरणों के साथ धरती से मिलने निकल पड़ा था.. ओर ठंडी हवा के झोंक मुझे अपने घेरे में समेट रहे थे।

मैं उसके नजदीक थोड़ा और सिमट गई थी और उसने भी अपनी बांहों का घेरा थोड़ा ओर कस लिया था।
कल सुबह उसको जाना था और ये हसीन पल आज धीरे धीरे अपनी शख्सियत खत्म कर रहा था।
शाम अब रात में तब्दील होने लगी थी दूर मैदान में देहरादून शहर रोशनी से जगमगा रहा था.. लेकिन मेरे मन के किसी कोने में व्याप्त डर अपनी सीमाएं लांघने को बेताब था।
मन किसी आशंका से ग्रस्त था --- "यदि वो फिर नही आया तो?"

मेरी तो सारी फिजाये खिजां में तब्दील होने में एक मिनट भी देर नही करेगी ...तब मैं क्या करूंगी 😢 .. 
ये बात दिमाग मे आते ही आंसू की एक बूंद मेरी आँखो से लुढ़क पड़ी..जिसे उसकी प्यासी निगाहों ने चूम लिया...मैं शर्म से दोहरी हो गई और उसके ठहाके मालरोड पर गूंजने लगे ...
ठंडी सड़क सिंदूरी आभा से चमकने लगी और मेरी निगाहें फॉग में अपने कल को ढूंढने लगी...उस पल को खोजने लगी जो हमने साथ गुजारे थे....
समय अपनी रफ्तार से बढ़ रहा था और मसूरी शहर कि सर्द रात अपने आगोश में धीरे धीरे सिमट रही थी और मैं लुटे हुये कदमों से अपने कॉटेज में लौट रही थी। 
"शायद कल वो आ जाये"😢

शनिवार, 8 अगस्त 2020

सपनों का दर्द

सपनों का दर्द
~~~~~~~~~★

मैंने सपनों को चुराकर
तकिये के नीचे छुपा रखे है।
तुम अपनी आंखों को मूंदकर
मेरी अँखियों  में समा जाओ,
मैं तुम्हें सपनों की बस्ती में ले चलूंगी ।।

टूटे चांद के उजाले में,
अपनी बाहों के झूले में
लोरिया गाकर –
तुम्हें झूला झुलाऊंगी।

ओर तकिये के नीचे रखे अपने सपनों को 
हकीकत का जामा पहनाऊँगी।।

तुम मेरे आग़ोश में अपना सर रख देना,
मैं अपनी उंगलियों से तुम्हारा ललाट सहलाऊंगी
फिर कोमल लबों से उन्हें चूमकर 
अपने प्यार की मोहर लगाउंगी ।।

तब तुम मदहोश हो मुझसे लिपट जाआगे,
और मैं अपनी समस्त लज्जा खोकर 
अमर बेल बन तुममें सिमट जाऊंगी।।

तब तकिये के नीचे रखे सारे सपनों को आजाद कर दूँगी,
ओर खुशी के रंग बिखेर तेरी जोगन बन चिल्लाऊंगी___
मुझे तुमसे मोहब्बत है!
मोहब्बत हैं !!
मोहब्बत_है!!!"

____दर्शन के दिल से💝

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

जीवन की विभीषिका

💜 जीवन की विभीषिका 💕💕
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अपने चेहरेे पर झूठ का मख़ौटा चढ़ाती हूँ 
दिल के अरमानों को हर दिन दफ़नाती हूँ
अपनी उड़ानों के पंख कतरते हुए,
रोज सूली पर चढ़ जाती हूँ....!

दुखों के सैलाब को आग़ोश मेँ छुपाती हूँ
रोज़ ख़ुशी के आंसू सौगात में लाती हूँ
दिल के जख्मो को मरहम लगाती हू
सन्नाटें में खूब चीखती चिल्लाती हूँ 
और हर दिन यू ही सूली पर चढ़ जाती हूँ....!

रातों की रौनक बनने को संवरने लग जाती हूँ
भोर की रश्मियों से चेहरे को छुपाती हूँ 
चाँद की चाँदनी में कालिख को मिटाती हूँ
फिर चूल्हे की लकड़ियों को सुलगाते हुए 
भरी हुई आँखों से सूली पर चढ़ जाती हूँ ....!

मायूसीयो के नकाब पर 
हंसी का लबादा ओढ़कर
महफ़िल की जान बन जाती हूँ
गजरे की खुशबु से तन का पसीना पोंछकर
खुशबूदार गिलौरी से होठों को सजाती  हूँ
सैंया की सेज पर करहांटें भूलकर 
खुद को समर्पित करते हुए सूली पर चढ़ जाती हूँ।

(यहाँ "सूली पर चढ़ने'' का मतलब  जिंदगी की जटिलता भरे रोजमर्या  कामों से हैं )

---दर्शन कौर ।

रविवार, 2 अगस्त 2020

अवचेतन-मन

★अवचेतन-मन★


"मैंने वो ख़त मेज की दराज़ में बंद कर दिए है ____ !
कभी फुरसत मिली तो फिर से पढूंगी,
तब मेरी आँखें डबडबा जायेगी,
ओर सुनी आंखों से गिरती बूंदे कराह उठेगी,
धुंधले शब्द पुकारेंगे ...
क्या उस समय तुम मेरी आवाज सुनकर आ जाओगे ???

तुम्हारी धुंधली -सी आकृति,
मेरे मानस-पटल पर आज भी अंकित है----!
तुम वैसे ही हो ना ???
दुबले-पतले-मरियल से,
ढीले- ढाले -से लिबास में,
अपने घुंघराले बालों को झटका देते हुये!
ये तुम ही हो ना 🤔

जरा नही बदले😜😜
उस दिन जब तुमने मेरे सम्मुख,
अपने गीले बालों को झटक दिया था !
तो मैं चौक पड़ी थी।
ओर तुम खिलखिला दिये थे ।
तुम्हारी वो मासूम हंसी से,
सारी कायनात झूमने लगी थी,
फिजायें चहकने लगी थी,
मानो सावन की झड़ी लग गई हो,
तब, सावन तो नही था,
पर चैत्र का महीना भी तो नही था!
हा, पहाड़ों पर ठंडक जरुर थी।

तुम्हें याद है ----
जब हम रात को खाना खाकर लौट रहे थे,
तुम मुझे प्यार से निहार रहे थे
ओर मैं___
मैं शर्म से दोहरी हुई जा रही थी ।
वो पल ! आज सिमट गया है,
कहीं खो गया हैं...
इन कागजों को रंग गया है ।
ये काले स्याह अक्षर, 
आज मेरा मजाक उड़ा रहे  है----
तुमको मुझसे दूर कर के,
मेरी खिल्ली उड़ा रहे है ।
ऐ सुनो ! क्या तुम लौटकर आओगे?😍
वहां से जहां से कोई वापस नहीं आता😢
आ जाओ ना !!!!😎

#दर्शन के 💝दिल से