अमृतसर यात्रा भाग-9
(मनिकरण)
2जून 2019
28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले..रतलाम में मेरी भाभी भी आ गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये,अमृतसर अच्छे से घूमकर आज सुबह हम अमृतसर से निकलकर माता चिंतपूर्णी के बाद माता ज्वालादेवी के दर्शन करके हम रात को आनंदपुर साहिब आये, रात हमने आनंदपुर साहिब में ही गुजरी,सुबह हम विरास्ते खालसा देखकर फिर किरतपुर साहेब दर्शन कर के हम कल रात मनिकरण पहुंचे,
अब आगे.....
मनिकरण में,मैं 1995 को भी आई थी तब इतनी भीड़ नही थी ओर तब हमने होटल में रूम लिया था ।
अभी तो खतरनाक भीड़ थी । रात 12 बजे ऐसा लग रहा था मानो 8 ही बजे थे ,माहौल एकदम ठंडा था हवा बहुत बह रही थी ...रात को हमने सारे हथकंडे अपना लिए थे पर गुरद्वारे से बाहर निकलना मुश्किल था,हमको रास्ता भी पता नही था।जो इकलौता दरवाजा था वो गुरद्वारे से निकलता था वो बन्द था ख़ेर,जैसे तैसे रात गुजारी ..सोने में कोई प्राब्लम नही थी...नीचे मस्त गद्दे बिछे हुए थे साफ सुधरी चादर ओर रजाईयां दे दी थी... पंखे नही थे पर हवा एकदम ठंडी थी ।रात को पार्वती नदी का शोर बहुत था लेकिन थकान की वजय से हमसब गहरी नींद में सो गए। सुबह उठे तो एकदम फ्रेश थे , हाल के बाहर टॉयलेट बने हुए थे वहां जाकर फ्रेश हुए और नहाने नीचे गर्म पानी के कुंड में चल दिये...
काफी देर गर्म पानी से नहाकर हम बाबूजी बनकर हॉल से निकल पड़े।
पहले गुरद्वारे में जाकर शीश नवाया फिर लँगर खाकर कल के बन्द दरवाजे से बाहर निकलकर एक गली में आ गए जो बाजार में खुलती थी ...धीरे धीरे बाजार घुमते हुए हम शंकर जी के मन्दिर में गए जहां गरम पानी के कुंड में आलु उबल रहे थे वही लोगों ने छोटी छोटी पोटलियाँ भी डाल रखी थी पूछने पर पता चला कि ये चावल की पोटलियाँ हैं जो इस उबलते हुए पानी के कुंड में पक रही हैं।प्रकृति का अनुपम रूप था एक तरफ बर्फ जैसा ठंडा पानी था तो दूसरी तरफ किनारे पर पानी उबल रहा था...
काफी गर्म भाप मन्दिर के आसपास घूम रही थी चारों ओर ठंडी हवा और गरम भाप का मिलाजुला रूप देखने को मिल रहा था।
मनिकरण:--
मणिकर्ण भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर पश्चिम में पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा है, जो हिन्दुओं और सिक्खों का एक तीर्थस्थल है। यह समुद्र तल से 1760 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। और कुल्लू से इसकी दूरी लगभग 45 किमी है। भुंतर में छोटे विमानों के लिए हवाई अड्डा भी है।
मणिकर्ण अपने गर्म पानी के चश्मों के लिए भी प्रसिद्ध है।देश-विदेश के लाखों प्रकृति प्रेमी पर्यटक यहाँ बार-बार आते है, विशेष रूप से ऐसे पर्यटक जो चर्म रोग या गठिया जैसे रोगों से परेशान हों यहां आकर स्वास्थ्य सुख पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां उपलब्ध गंधकयुक्त गर्म पानी में कुछ दिन स्नान करने से ये बीमारियां ठीक हो जाती हैं।
आगे हम गणपति मन्दिर ,नैना भवानी मंदिर और राजाराम मंदिर देखने चल पड़े।
शेष अगले अंक में---
भाप से लँगर बनने की तैयारी
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