मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

# चिता की आग #






तुझको अग्नि के हवाले कर के ....
मैं  जड़- सी हो गई हूँ .....
कभी अपनी छाती का लहू पिलाया था  मैने ..
तेरी वो नटखट आँखें ..
वो चेहरे का भोलापन .
 वो प्यारी -सी मुस्कान ?  
वो तोतली जुबान ----
अब खामोश है ...
ठंडा- पन  लिए ..सर्द ...

**************

 मेरा सफ़ेद पडता मुंह  
आँखों से बहती अश्रु धारा 
 बिदा की अंतिम घडी 
तेरे नाम की अंतिम अरदास ...!

*************

मैं स्तब्ध ! आवाक ! तुझे जाते हुए देखती रही ....
होठ  कांपकपाये ..शरीर थरथराया ..
दिमांग शून्य ...???

************

खप्पचियों से बंधा, सफ़ेद कफ़न ....
ये लिबास तो मैने कभी चाहा नहीं था ?
फिर क्यों आज तेरे लिए यही जोड़ा मुकरर हो गया ?

 "राम नाम सत्य  हैं "

अचानक ! इस कर्कश ध्वनी से मेरे कान बजने लगे ..
"अरे , कोई रोको उसे "रॊ- ऒ- ओ- को 
  "यह उम्र है जाने की ....?"

अभी उसने देखा ही किया है ..?
अभी तो उसके दूध के दांत भी नहीं टूटे ..?
और जालिमो ने उसके अंगो के टुकड़े -टुकड़े कर दिए ...?
अभी तो हाथो में मेंहदी भी नहीं लगी ...?
और राक्षसों ने उसे चिता पे लिटा दिया ...?

" कोई रोको उसे ..कोई रोको ..यह उम्र है जाने की ..."






   

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें .....?





साँसों का बंधन /
दिल की कराहें /
काँटों का बिछौना /
ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें .....?

आँखों का रोना /
दिल का तडपना / 
रातो को जगना /
ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें .....?

अपनों से बिछड़ना /
अपनों के लिए रोना /
फिर खुद ही संभलना /
ऐसी जिन्दगी तो  चाही नहीं थी मैनें ......?

कलेजे से लगाना /
फिर दूर हटाना /
खुद के हाथो ही बिजली गिरना /
ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें ...... ?

रस्ते से गुजरना /
आवाजे लगाना /
उसका यू  खिड़की पे आना  /
मुझे तांककर  कतरा जाना /
ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें ....?

अपना बनाना /
हासिल करना /
मोहब्बत जताना /
फिर धोखा खाना /
ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं  थी मैनें .....?

ऐसी जिन्दगी तो चाही नहीं थी मैनें ....?
   

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

नींद आँखों से कौसो दूर थी










कल की  रात बहुत शौख बड़ी रोचक थी .....
आसमां था काला सितारों की बड़ी रौनक थी ..
खुली खिड़की से रौशनी कभी-कभी मुझ पर पड़ती थी ,
हवा के झौंके मेरे अंग को स्पर्श कर के छू जाते थे ..
नींद आँखों से कौसो दूर र्रर्रर थी ...

झांकता हुआ चाँद किसी की याद दिला रहा था  ......
किसी की मदहोश आवाज मुझे बेसुध किये जा रही थी  ..
वो कोई था जिसकी बांहों में मेरी जन्नत थी ..
वो मेरा खवाब! मेरा प्यार ! मेरा हमदम ! मेरा नसीब था ....
पर वो मुझसे लाखो मील दूर था ...
चाहकर भी मैं उसे छू नहीं पा रही थी ...
नींद आँखों से कौसो दूर र्रर्रर थी ...

 वो मेरे साथ तो था ,पर मेरे पास न था ...
 उसके होने का एहसास मन को सुकून दे रहा था  ..
तन मेरी गिरफ्त से दूर किसी के आगोश में था ..
अनुभूति तो थी--- पर स्पर्श नहीं था ....
हसरते जवां थी और उमंगे बेकाबू थी ....
नींद आंखों से कौसो दूरररर  थी .....

तभी कही से अचानक एक आवाज़ आई -----
"जागते रहो "

कोई पास न था ? कोई साथ न था  ????
सिर्फ खामोशियाँ थी और मैं थी और मेरे एहसास !





गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

पुणे क सफ़र -- भाग 2


पुणे क सफ़र -- भाग 2
( आगा खां पैलेस )



आगा खाँ पैलेस   




दगडू शेठ के गणपति देखकर हम चल दिए "आगा खाँ  पैलेस " देखने....यहाँ पहुँचकर हमने 5 रु की टिकिट कटाई ---सारा महल सुनसान पड़ा था ..बहुत ही सुंदर महल था ...और बागीचे के तो क्या कहने ....

आग़ा खां पैलेस के बाहर लगा बोर्ड 



विस्तृत जानकारी 


महल के अन्दर मैं और मेरे पीछे शानदार बागीचा 



इतिहास :---
आगा खान पैलेस पुणे के येरावाड़ा मे स्थित एक ऐतिहासिक भवन है। सुल्तान मुहम्मद शाह आगा खान दिवतीय ने 1892 में बनवाया था। इस भवन में "महात्मा गांधी" को उनके अन्य सहयोगीयो से साथ सन 1940  में बंदी बना कर रखा गया था। कस्तूरबा गांधी का निधन इसी महल में हुआ था। उनकी समाधी भी यहॉ स्थित है। अब यह भवन एक संग्राहलय है।
यह स्मारक ६.५ हेक्टेयर में फैला हुआ है। 1892  में शाह आगा खान तृतीय ने इसे बनवाया था। 1956 तक यह भवन उनका महल रहा। 1969 में,आगा खान चतुर्थ ने इसे भारत सरकार को दान में दे दिया था।महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी और महात्मा जी के सचिव महादेवभाई देसाई ३५ वर्ष तक यहां रहे और इसी प्रवास के दौरान उनकी मृत्यु हुई थी उनकी अस्थियां स्मारक के बागीचे में रखी गई हैं। गांधी जी के जीवन पर एक फोटो-प्रदर्शनी और उनकी व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं जैसे उनकी चप्पलें और चश्मे यहां रखे गए हैं।





महल के अन्दर गांधी जी  और बा के दैनिक उपयोग की वस्तुए ...




गांधी जी की प्रतिमा एक बालक के साथ खेलते हुए 



कस्तूरबा गांधी 


9 अगस्त 1942 को जब बापू को मुंबई से गिरफ्तार करके यहाँ नजर बंद रखा गया था तो उनके साथ कस्तूर बा गांधी और उनके सचिव मनोहर भाई देसाई भी थे ...यहाँ आकर महज 6 दिन बाद ही मनोहर देसाई जी की  मृत्यु हो गई  थी  ...उनकी याद में यहाँ उनका स्मारक बना है .. 




यह है गांधी जी, कस्तूर बा गांधी, ओर उनके सचिव महादेव भाई  देसाई का स्मारक  

9 अगस्त 1942 को शिवाजी पार्क (मुंबई )से गिरफ्तार करके कस्तूरबा गाँधीजी  को पुणे के इसी आगा खां  पैलेस में रखा गया था जहाँ  22 फरवरी 1944 को उनका देहांत हुआ ..उनका स्मारक भी यहाँ बना है ..गांधी जी की मृत्यु यहाँ नहीं हुई पर उनका स्मारक भी यहाँ बना हुआ है ..



पैलेस के शानदार बगीचे की कुछ तस्वीरे 



अलविदा ..आगा खां  पैलेस 


और इस तरह हम चल दिए आगा खां पैलेस देखकर वापस अपने एक दोस्त के पास ....जहाँ खाना खाकर हमको जाना है   शिर्डी के साईं बाबा के  पास ....तो मिलते है .......

शिर्डी के साईं बाबा के यहाँ ......जारी ----