जयपुर की सैर == भाग 4
तारीख 13 को हम बॉम्बे से 3 सहेलियां निकली थी जयपुर जाने को 'सम्पर्क क्रांति ट्रेन ' से और वो रात कयामत की थी। ...
अब आगे -----
15 अप्रैल 2016
सुबह 4:30 को जब जयपुर स्टेशन के बाहर निकले तो ऑटो की कतारें लगी हुई थी और सबने एक साथ झुण्ड में हल्ला बोल दिया अब ये डिपार्टमेंट अल्ज़िरा को सोप में आराम से जयपुर स्टेशन का मुआयना करने लगी , स्टेशन अच्छा था इतनी सुबह भी गर्दी थी इतने में अलजीरा ने एक ऑटो वाले को 150₹ में जाने को तैयार कर लिया । हम अपना सामान ले चल दिए ... राजाबाग़ की और ...
नीना का मकान भी तीसरे माले पर था और हम सामान लेकर जो ऊपर चढ़े तो , कुछ मत पूछो हमारा हाल ...उफ़ !!!!हम और ऊपर चौथा माला देखने चढ़ गए गोल सीढ़ियों पर ऊपर चढ़ना अपने आप में काफी रोमांचक था ! ऊपर चौथे माले कीबालकनी से आधा जयपुर दिख रहा था सामने ही रमण्डा होटल और पास ही गुरुद्वारे की गुंमद भी दिख रही थी जहाँ हमने पहले अपना शीश झुकाया। .....
दिनभर आराम किया बहुत थक गए थे और रात को चांडाल चौकड़ी की महफ़िल जम गई गाने ,कव्वालियां,अंताक्षरी का दौर चला साथ ही कुछ खाना पीना भी ..न न न न दारू नहीं भाई कोक और वेज खाना क्योकि माताजी के दिन चल रहे है और आज तो नवमी भी थी 2 फ्रेंड जयपुर के मिलने आये हुए थे ...देर रात तक महफ़िल जमी रही फिर हम सो गए .....
16 अप्रैल 2016
सुबह देर तक बेफिक्री वाली नींद सोते रहे , आज का दिन फ्री था सो, इतने दिन तक फूल पत्ती खाने से पेट का हाजमा खराब हो गया था तो सबसे पहली शुरुआत अंडो से की 2 -2 मस्त आमलेट पर हाथ साफ़ किये तीसरे की भी इच्छा थी पर उसे कल पर छोड़कर हम चाय पर आ गए और चाय की चुस्कियों के साथ जयपुर टूरिज्म पर ध्यान लगाया ।गूगल खोलकर देखा तो एक बढ़िया प्लान नजर आया जो दोपहर को फ़लाना जगह से लेकर हमको 2 किले जयगढ़ और आमेर का किला दिखाकर रात को डिनर और साथ ही राजस्थानी नृत्य भी , मात्र 450 ₹ में मज़ा आ गया जय हो जयपुर की ...
हमको लगा जयपुर तो बड़ा सस्ता है । हम जाने के लिए रेड्डी होने लगे ।
ठीक टाईम पर हम बताई जगह पर पहुँचे पर यह क्या ! अब, उनका टाईम टेबल चेंज हो गया था । वो विज्ञापन पुराना था ऐसा उन्होंने कहा , नए विज्ञापन के अनुसार अब किले दूर से दिखाते है और रात को डिनर के साथ डांस नहीं होता और पैसे भी 750 ₹ एक मेंबर के ...
हम लोगो को बहुत गुस्सा आया ।मैंने 2 -4 सिम्पल गलियां दी और वापस आ गए ,पहले ही दिन मुड़ खराब हो गया था ।जयपुर के नाम से गुस्सा आ रहा था।सबका मूड ऑफ़ हो गया..
इतने में अनिल जो नीना और अब हमारे फ्रेंड थे ,और जिनकी कार में हम यहाँ तक आये थे उनको हमारा खराब मूड अच्छा नहीं लगा वो बोले नो टेंसन मैँ ले चलता हूँ जयगढ़ बाकी कल देखेगे । वो जयगढ़ का किला दिखाने को तैयार हो गए और हम सब जयगढ़ का किला देखने निकल पड़े।फिर पुराने माहौल ने अपनी जगह बना ली और हम गाने गाते हुए आगे निकल पड़े।
अब हमारे गाईड भी वही थे रास्ते के बाजार, मेन गेट, और जलमहल दिखाते हुए आगे बढ़ते रहे ।
जलमहल में रुकने का बोला तो अनिल बोले आते वक्त रुकेंगे पहले जयगढ़ ...
जलमहल में रुकने का बोला तो अनिल बोले आते वक्त रुकेंगे पहले जयगढ़ ...
पर हाय री किस्मत !!! पहाड़ पर गाडी खड़ी हो गई पता चला की इंजन में पानी नहीं है और पानी हमारे पास भी नही था सो, किसी दूसरी गाड़ी से पानी लिया और हम सबने जंगल में मंगल मनाया कुछ फोटू खिंचे यहाँ एक गजब वाकिया हुआ मैँ मोर (पिकॉक के फोटो उतारने थोड़ा जंगल के किनारे गई इतने मेंएक कार वाला चिल्लाने लगा -- '' मैडम ऐसे मत घूमिये यहाँ पेंथर है फौरन कार में ही रहिये और फटाफट ऊपर या निचे उतर जाइये यहाँ रहना खतरे से ख़ाली नहीं " शाम का धुंधलका हो गया था और हम सब थोड़ा डर भी गए थे रात होने वाली थी उपर जाने से कोई फायदा नहीं था हम लोग वापस लौट चले। मूड ख़राब हो गया था , वापसी में जलमहल का नजारा देखा पर रात होने के कारण कुछ खास अच्छा नहीं लगा फिर भी कुछ देर घूमकर कुछ फोटू खीचकर कुछ शॉपिंग कर,पापड़ खाकर दिल को तसल्ली देते हुए अपने घर को वापस चल दिए , भूख लगने लगी थी इसलिए रास्ते के एक चाईनीज रेस्त्रां से वेज ममोज् लिए काफी सस्ते थे सिर्फ 40 ₹ के 12 ममोज् ! हमने 24 ममोज् पैक करवाये और आराम से घर आकर मस्त AC में बैठकर खाये ....
इस तरह आज घुलामिला दिन रहा।
शेष अगले अंक में ----
गुरद्वारे में नमन
गोल सीढ़ियाँ
4 दीवाने जंगल में
सुनसान सड़क और मैँ
जंगल में मंगल
गाड़ी ख़राब हो गई
जलमहल
पापड़ वाली --- पापड़ खिला
पीछे जलमहल है .. पर अँधेरा है
चलिए राम राम सा