केशव -सृष्ठि
" कृषि तंत्र निकेतन"
मुंबई सिर्फ सीमेंट ओर कंक्रीट का ही जंगल नहीं है , यहाँ कई प्राकृतिक वाड़ियां भी है जिन्हें "फार्म हाउस" भी कहते है। यहाँ आकर ऐसा लगता है मानो हम किसी गाँव में आ गए है ।लहराते पेड़ उनकी शीतल छाँव और ठंडा अहसास मानो उफनती हुई भीड़ को बहुत पीछे धेकल आये हो ।
इस बार सीनियर सिटीजन की टीम एक नए माहौल में ले गई ।सुबह 7 बजे हम निर्धारित जगह पर पहुँच गए ;सबको आने में समय लगा और बस साढे 7 को चली..रास्ते में हमको चॉकलेट और बिस्कुट का नाश्ता कराया गया । कुछ लोग गाना गाते हुए और हंसी मज़ाक करते हुए 2 घण्टे में केशव सृष्ठि पहुँच गए । पहाड़ों के बीच काफी हेक्टर जमीन पर बसा था केशव सृष्ठि ।
पोहे -चाय का नाश्ता कर के हम बागीचों की तरफ चल दिए....
यहाँ उगाई हुई सब्जियो में किसी भी प्रकार की किट नाशक दवाइयो का छिड़काव नहीं होता है ,पूर्णता: देशी तरीको से ही सब्जियां उगाई जाती है।
इस वाड़ी को श्री केशव जी ने बहुत छोटे पैमाने पर शुरू किया था आज इसका विस्तार देखते ही बनता है।
इस वाड़ी को श्री केशव जी ने बहुत छोटे पैमाने पर शुरू किया था आज इसका विस्तार देखते ही बनता है।
यहाँ कई आर्युवेदिक पेड़ लगे है जिनकी पहचान हम साधारण लोग नहीं कर सकते । इन्हीं पेड़ो से निकली सामग्री से ये लोग दवाइयाँ बनाते है जो यंहां बिकती भी है। कई रोगों के इलाज़ इन वनस्पतियो से कैसे होते है ये हमको बताया गया ।
यहाँ आंवला, बहेड़ा, हरड़, अश्वगन्धा, शतावरी,काली मिर्च,सफ़ेद मिर्च, कदम,सुपारी, डिकामाली,आजवाइन इनके पेड़ थे। और भी पेड़ है जिनके नाम समझ नहीं आये....
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यहाँ एग्रीकल्चर डिप्लोमा सेंटर भी है जहाँ बच्चे वनस्पतियो से सम्बंधित ज्ञान अर्जित करते है और उन पर रिसर्च भी करते है। उनके रहने और खाने का इंतजाम यही होता है ।
यहाँ एग्रीकल्चर डिप्लोमा सेंटर भी है जहाँ बच्चे वनस्पतियो से सम्बंधित ज्ञान अर्जित करते है और उन पर रिसर्च भी करते है। उनके रहने और खाने का इंतजाम यही होता है ।
यहाँ बायोगैस प्लान्ट भी है |
दोपहर को हमारे खाने पीने का इंतजाम था वही की उगाई हुई सब्जियां,दाल- चावल और सलाद परोसा गया। बहुत ही जायकेदार सब्जियां थी ।
बॉम्बे जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में उत्तन गाँव में बसी केशव- वाड़ी सुकून देती है । पेड़ो की छाँव तले समीर के हलके थपेड़ो से एक मीठी नींद का झोंका आ जाना स्वाभाविक है ये ठण्डी बुहार दिल को तरोताजा कर जाती है...