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शनिवार, 10 जून 2023

तमिलनाड़ुडायरी#17

तमिलनाडुडायरी#17
कन्याकुमारी भाग #7
(समापन क़िस्त)
20 दिसम्बर 2022


अब हमारा आखरी डेस्टिनेशन बाकी था। कोवलम बीच जाना था पर शाम होने वाली थी तो हमने वहां जाना कैंसिल किया और मन्दिर की तरफ चल पड़े।
इस बीच पूवर बैकवाटर के बाद कृष्णा हमको गर्म मसालों के मार्केट में ले गया पर हमको कुछ खरीदना नही था तो हम वापस लौट आये वैसे भी वहां काफी महंगा सामान मिल रहा था।तो हम खाना खाने चले गए।
5 बज रहे थे और हम पद्धमस्वामी मन्दिर चल पड़े।वैसे हमारा प्रोग्राम कल जाने का था पर कृष्णा ने बोला कि कल शुक्रवार हैं और साउथ के मंदिरों में मंगलवार और शुक्रवार को बहुत भीड़ होती हैं।ओर भीड़ से मुझे बहुत एलर्जी थी  तो हमने आज ही दर्शन करने का निर्णय लिया शायद आज ही भगवान का बुलावा हो।
जैसी प्रभु की इच्छा।🙏
हमने बाजार से 2 लुंगी खरीदी ओर कुर्ती के ऊपर ही मैंने लूंगी बांध ली।वैसे मैं एक साड़ी लाई थी पर अगर कल जाते तो पहनती पर अब रोड पर कैसे साड़ी पहनु😃

Padmanabha Templ :--
"दुनियां का सबसे अमीर मन्दिर"

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के मध्य में स्थित है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। विशाल किले की तरह दिखने वाला यह मंदिर विष्णु भक्तों के लिए  महत्वपूर्ण आस्था स्थल है। यहां भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम इस मंदिर में आए थे और यहां पूजा-अर्चना की थी। 

मान्यता है कि मंदिर की स्थापना 5000 साल पहले कलयुग के प्रथम दिन हुई थी। लेकिन 1733 में त्रावनकोर के राजा मार्तण्ड वर्मा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। यहां भगवान विष्णु का श्रृंगार शुद्ध सोने के भारी भरकम आभूषणों से किया जाता है। 
पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान  से भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया ।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है।
मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है ।गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है। मंदिर के पास ही सरोवर भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है।
लेकिन अंदर मोबाइल ले जाना मना हैं तो फोटु खींचने से वंचित रह गई।

दीपक के उजाले में होते हैं दर्शन
मुख्य कक्ष जहां विष्णु भगवान की लेटी हुई मुद्रा में प्रतिमा है, वहां कई दीपक जलते हैं। इन्हीं दीपकों के उजाले से भगवान के दर्शन होते हैं। स्वामी पद्मनाभ की मूर्ति में भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल पर जगत पिता ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित है। भगवान पद्मनाभ की मूर्ति के आसपास दोनों रानियों श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियां हैं। भगवान पद्मनाभ की लेटी हुई मूर्ति पर शेषनाग के मुंह इस तरह खुले हुए हैं, जैसे शेषनाग भगवान विष्णु के हाथ में लगे कमल को सूंघ रहे हों। यहां मूर्ति का दर्शन अलग-अलग दरवाजों से किया जा सकता।

मंदिर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही यहां श्रद्धालुओं के लिए नियम भी हैं। पुरुष केवल धोती पहनकर ही मंदिर में जा सकते हैं और महिलाओं के लिए साड़ी पहनना जरूरी है। अन्य किसी भी लिबास में प्रवेश यहां वर्जित है। मंदिर में एक सोने का खंभा बना हुआ है। मंदिर का स्वर्ण जड़ित गोपुरम सात मंजिल का है। जिसकी ऊंचाई करीब 35 मीटर है। कई एकड़ में फैले इस मंदिर में अद्भुत कारीगरी की गई है।

एक ओर बात इस मंदिर के लिए सुनी हुई हैं कि इस मंदिर में 7 तहखाने हैं जिसमें बेशुमार धन छुपा हुआ हैं।इसीकारण इस मंदिर को दुनियां का सबसे अमीर मन्दिर कहते है।

हमने एक शॉप से 2लुंगी खरीदी ओर उसको लपेटकर हम मन्दिर के अंदर गए। आज यहां ज्यादा भीड़ नही थी।
आगे जाकर हमने 100 ₹ की 2पर्ची कटवाई ओर लंबे गलियारे में डोलते हुए आगे बढ़ते गए। सामने ही मेरे भगवान विष्णु की सोने की प्रतिमा थी चारो ओर दीपक की मद्धम रोशनी फैली हुई थी कुछ खास तो नजर नही आया पर एक जगह सफेद फूलों का ढेर देखकर समझ गई कि यही भगवान की मूर्ति होगी।दीपक की रोशनी में ज्यादा कुछ दिखाई नही देता। वैसे भी वहां ज्यादा खड़ा रहने नही देते इसलिये हाथ जोड़कर बाहर आ गए।बाहर आकर हमने प्रसादम खरीदा जो कि 100 ₹की गुड़ ओर गेंहू की खीर थी।वो लेकर हम बाहर निकल पड़े।
अब कृष्णा को अलविदा बोल हम होटल चल दिये। रात को हमने एक केरला रेस्टोरेंट में नूडल्स खाये ओर केरला का फ़ेमस लाल पानी पिया।दूसरे दिन हमने नाश्ता किया ओर ऑटो पकड़कर आराम से मन्दिर के आसपास का जायका लिया ,मार्किट घूमे ओर 4 बजे जाकर अपनी गाड़ी में बैठ गए।

इस तरह मेरी तमिलनाडु यात्रा समाप्त हुई 🙏