मेरे अरमान.. मेरे सपने..


Click here for Myspace Layouts

शनिवार, 16 मार्च 2024

कश्मीर फाइल्# भाग 8

कश्मीर फाईल #भाग 7


#सोनमर्ग (श्रीनगर)
6 सेप्टेंबर 2023

कल हम गुलमर्ग घूमकर आये ।रात हमने आराम से निकाली अब सुबह हम सोनमर्ग जायेगे।सुबह नाश्ता कर हम सोनमर्ग को निकल गए।
सोनमर्ग, गुलमर्ग से भी बहुत खूबसूरत हैं। ऐसा अजित बोल रहा था ।उसकी ये बात मुझको भी सही लगने लगी जब यहाँ बहने वाली नदी हमारे साथ ही इठलाती हुई चल रही थी तो  ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हमसे होड़ कर रही हो कि मैं तुमसे पहले पहुँचूँगी।☺️
पहली बार सड़क के साथ-साथ बहती नदी देखी थी जो तेग वेग के साथ बह रही थी और हम उस नदी के विपरीत दिशा में आगे बढ़ रहे थे।एक जगह  पुलिस ने हमारी कार रोकी तो मैं खुद को न रोक सकी और फ़टाफ़ट नदी की तरफ दौड़ पड़ी यहाँ मैंने ढेर सारे वीडियो बनाये।मौसम बहुत रंगीन था और फिजा में ठंडक थी ।मैंने एक स्वेटर ओर टोपी पहन रखी थी।मन ऐसा हो रहा था कि यहाँ घण्टो बैठा जाय और इस नदी की लहरोँ से वार्तालाप किया जाय।पर अजित बार बार हॉर्न मार रहा था आखिर मन मसोसकर मैं कार में आ गई।
सोनमर्ग पहुँचकर वहाँ अजित ने कार स्टैंड पर लगा दी,अब आगे का सफर हमको घोड़े पर या गाड़ी पर करना होगा।


घोड़े वाले से बात की तो वो 3 हजार में थजी ग्लेशियर ले जा रहा था रास्ते के 1-2 पॉइंट ओर बोल रहा था पर हमने घोड़ो पर जाना बिल्कुल मना कर दिया।


तो एक कार वाला आ गया जो जोजिला पास दिखाने का 10 हजार मांग रहा था।मैंने 3 हजार बोला तो चला गया फिर 8 हजार बोलकर वापस आया ।मगर मैंने 5 हजार लास्ट बोला तो थोड़ा ना-नुकुर करके तैयार हो गया।
अब हम मोहम्मद के साथ एक बढ़िया कार में सवार हो आगे बढ़ गए। मोहम्मद एक बढ़िया आदमी और ड्रायवर था।उसने हमको रास्ते में गाड़ी रोक रोक कर हर जगह दिखाई और उसके बारे में बताया।


अमरनाथ यात्रा किधर से शुरू होती हैं । वो सब जगह दिखाई जिसे बालटाल कहते है। मैंने भी काफी वीडियो बनाये।अमरनाथ यात्रा अब तो कर नही पाऊंगी कम से कम बालटाल देखकर ही दिल खुश कर लूं।


फिर आया जोजिला के काले-काले पहाड़ ओर गहरी खाइयाँ।दूर पहाड़ों पर बर्फ चमक रही थी।सर्दियों में ये रास्ता बंद हो जाता हैं। यही से लद्दाख जाया जाता हैं।


हम जोजिला के रास्ते पर एक जगह रुके जिधर एक बड़ा सी बर्फ की चट्टान पड़ी हुई थी उसमें से पानी बह रहा था।काफी लोग उतरकर यहाँ फोटुग्राफी कर रहे थे।
फिर हम आगे गए वहाँ एक ग्लेशियर था जिस पर कुछ लोग खेल रहे थे।मैं भी उतरकर ग्लेशियर के पास गई पर काफी ठंडी हवाएं चल रही थी। इतने में अचानक धूप गायब हो गई और बारिश की मोटी मोटी बूंदे गिरने लगी।  मैं दौड़कर कार में आ गई वरना भीग जाती।थोड़ी देर में ये गुलजार ग्लेशियर अचानक सन्नाटे में तब्दील हो गया। सब अपनी अपनी कारो में समा गए और आगे बढ़ गए।हम भी बारिश में ही आगे बढ़ गए।


आगे हमको लद्दाख जाने का गेट नजर आया।यही वार मेमोरियल हैं।यहाँ एक छोटा सा रेस्टोरेंट भी था।
अचानक पानी बन्द हो गया और बर्फ गिरने लगी।मैं तो बर्फ देखकर खुशी से झूम उठी ।मैंने कार का दरवाजा खोला और बाहर छलांग लगा दी।बाहर बर्फ गिर रही थी जो मेरे काले स्वेटर पर रुई की तरह चमक रही थी।.मैं झूम-झूम कर नाचने लगी☺️


गीले होने के डर से मिस्टर चिल्लाने लगे और मैं रेस्टोरेंट के अंदर आ गई।इस बारिश से वहाँ का पारा एकदम लुढ़क गया और ठंडी तेज हो गई। मेरा सारा जिस्म ठंडी से कांपने लगा। तब मैंने गर्मागर्म चाय पी ओर एक समोसा खाया। हालत में सुधार आया।
कुछ देर बाद हम लॉट रहे थे।रास्ते पर हल्की हल्की बर्फ गिरी हुई थी ।मौसम में ठंडक थी और धूप वापस निकल आई थी।


आज का सफर पैसे वसूल रहा। रास्ते मे हमने सेव के बागों से सेव् खरीदे 300 रु में 7 किलो।
श्रीनगर पहुँचकर हमको एक गुरद्वारा नजर आया।तो लगे हाथों हम गुरद्वारे में भी चले गए।
शेष अगले भाग में....














शुक्रवार, 15 मार्च 2024

कश्मीर फाइल# भाग6

कश्मीर फाईल#6




गुलमर्ग
भाग#2
5 सेप्टेंबर 2023

आज हम गुलमर्ग की सैर करने निकले है। पिछले भाग में हम नीचे से गंडोले में बैठकर ऊपर आ गए थे। अब आगे का आंखों देखा किस्सा जारी:-----
3 हजार 50 मीटर्स ऊपर पहुँच कर हमने एक खुला मैदान देखा। इसको कोंगडोरी कहते हैं। इधर कुछ सेल्फी पॉइंट बना रखे थे।यहाँ भी पोनी वाले घूम रहे थे आगे के पॉइंट दिखाने के लिए पर हमने मना कर दिया ।हमको यही पर अच्छा लग रहा था। इन खूबसूरत वादियों को निहारना ओर ठंडी फिजाओं को सूंघना ही मेरा मकसद था।यहाँ मैं घण्टों बैठ सकती हूं।यहाँ थोड़ी ठंडी भी थी तो धूप में बैठना अच्छा लग रहा था। हम धूप में फोटू खिंचते हुए इधर-उधर घूम रहे थे ।बड़ा ही प्यारा मौसम था। यहाँ कुछ होटल बने हुए थे।काफी लोग घोड़े पर बैठकर न जाने किधर निकल गए कुछ देर दिखते रहे फिर गुम हो गए। इससे आगे फेज़ 2 का गंडोला हैं जो 14 हजार फीट ऊपर हैं अगर वहाँ जाती तो यकीनन बर्फ मिलती पर वो आजकल बन्द हैं उसका मेंटनेस चल रहा है।
यहाँ बैठकर मुझे फ़िल्म का गाना बार बार याद आ रहा था--" कितनी खूबसूरत ये तस्वीर हैं.. ये कश्मीर हैं ...ये कश्मीर हैं।"
हमने यहां बहुत फोटू खिंचे , चलते हुए गंडोले के नीचे खड़े होकर हमने खूब वीडियो बनाई। आते-जाते गंडोले बहुत अच्छे लग रहे थे। काफी देर बाद जब मन भर गया तो लौटने में ही भलाई समझी । उधर घोड़े वाले का भी बार बार फोन आ रहा था तो हम वापस गंडोले में बैठ गए।
गंडोले से वापसी में मुझे बॉम्बे का एक ग्रुप मिला जिसमें सभी युवा थे।उनमें से एक लड़के ने मुझसे पूछा कि आंटी जी, "गंडोले वाली जगह कितनी दूर है? हम पैदल जा सकते हैं।"
मैंने बोला--"जरा भी दूर नही हैं आराम से जा सकते हो।"
उनके पास खड़ा घोड़े वाला मुझे घूर रहा था । उसके बन्धे बकरे जो मैंने खोल दिये थे ☺️ओर मुझे जोर से हंसी आ गई,मानो मैंने सारे घोड़े वालो से अपना बदला ले लिया हो।😂🤣😂

घोड़े से वापस आ रहे थे तो हमने एक पहाड़ी पर एक सुंदर मन्दिर देखा।तब याद आया कि ये तो वही मन्दिर हैं जिस पर फ़िल्म "आपकी कसम" में राजेश खन्ना और मुमताज पर एक फ़ेमस गीत फिल्माया था।भांग पीकर दोनों मस्त डांस कर रहे थे । ऐसा लगा,मानो कल की ही बात हो---" जय जय शिव शंकर ...कांटा लगे न कंकर... के प्याला तेरे नाम का पिया😂🤣😂
ओर हम भी झूमते हुए घोड़े पर ही मन्दिर की तरफ चल दिये।मन्दिर एक टेकरी पर बना हुआ था ।वहाँ तक जाने के लिए सीढियां बनी हुई थी जिससे हम जैसे लोग आराम से चढ़कर ऊपर जा सकते हैं।
शिव मंदिर:---
यह मंदिर 1915 में महराजा हरी सिंह की पत्नी महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने बनवाया था। इस मंदिर की देखरेख एक मुस्लिम परिवार करता है।106 साल पुराने इस शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कश्मीर में तैनात मिलिट्री के जवानों ने किया है।करीब तीन महीनों में सेना ने इस मंदिर की मरम्मत करके इसे फिर से पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए खोल दिया गया था। इस मंदिर में चर्च,गुरद्वारा ओर मस्जिद भी हैं।
सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर हमें शानदार सीनरी के दर्शन हुए। नीचे खड़े घोड़े ओर गाड़ियां नन्हे नन्हे खिलोने जैसे प्रतीत हो रहे थे। चारो ओर खूबसूरत मखमली हरियाली बिछी थी मानो किसी ने हरी चादर बिछा दी हो।प्रकृति का ये रूप कितना दिलकश था।
ऊपर शंकर जी का मंदिर था। रंगरोगन नये जैसा ही लग रहा था।कुछ देर बैठकर हम नीचे उतर गए ।वही गाड़ी मंगवा ली और उसमें बैठकर हम श्रीनगर को चल दिये।
कल हम सोनमर्ग चलेगे ।तो मिलते हैं कल...










गुरुवार, 14 मार्च 2024

कश्मीर फ़ाइल भाग#5

कश्मीर फाईल #भाग 5
#गुलमर्ग (श्रीनगर)
भाग#1
#)गंडोले की सेर
5 सेप्टेंबर 2023


कल हमने दुधपत्री देखी।इतना खूबसूरत हरा-भरा मैदान इसके पहले मैंने खजियार मैं देखा था पर वहाँ कलकल करती ऐसी नदी नही थी। जबकि दुधपत्री की पहचान ही ये नदी हैं।
सुबह मैं गुलफ़ाम बनी खुशबू उड़ाते हुऐ जब डायनिंगहॉल में पहुँची तो गुजराती फेमिली नाश्ता कर रही थी।उनको मैं दूधपत्री के किस्से सुनाने लगी, पर उनकी एक बात सुनकर मेरी सारी खुशबू पल भर में उड़न छूं हो गई।
हुआ यूं कि, कल गुजराती फॅमिली सोनमर्ग जा रही थी पर हम दुधपत्री गए तो उन्होंने भी सोनमर्ग केंसल कर के दुधपत्री का ही प्रोग्राम बनाया और हमारे बाद वहां पहुँचे गए उनका ड्रायवर जो कश्मीरी था वो थोड़ा  चालक निकला उसने उनको कार से ही अंदर नदी तक सैर करवा दी वो भी सिर्फ 300 रु में ? ओर आराम से भी ; जबकि हमने 3हजार 200 ₹ खर्च किये और परेशानी से घोड़ो पर सवारी की😥 तब मुझे याद आया कि मैंने उनकी गाड़ी सड़क मार्ग से जाती हुई देखी थी और उन्होंने भी मुझे घोड़े पर देखा था। पर मुझे क्या पता कि वो गाड़ी इन लोगों की ही थी।  ये इसलिए लिख रही हूं कि यदि आप लोग कोई जाओ तो ध्यान रखे।
अब आज......
आज हम गुलमर्ग जायेगे।सुबह नाश्ता कर हम गुलमर्ग को निकले। गुलमर्ग श्रीनगर से 52 km दूर हैं।जो 2 ढाई घण्टे में कार द्वारा पहुँचा जा सकता हैं। गुलमर्ग कश्मीर का एक फेमस हिल स्टेशन हैं। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 8,690फीट हैं।
यहाँ की केबल कार एशिया की सबसे ऊंची केबल कार परियोजना हैं। हमने गंडोला का टिकिट पहले से ही ऑनलाइन खरीद लिया था।  फेज़ 1 का टिकिट 810 रु का ओर फेज़ 2 का  टिकिट 1050 ₹ का था। हमारे टाइम फेज़ 2 का गंडोला  चल नही रहा था।उसकी रिपेरिंग चल रही थी।
खूबसूरत दृश्यों को देखते हुए हमारा कारवां बढ़ता हुआ गुलमर्ग पहुँच गया।हमारी टेक्सी जैसे ही स्टैंड पर पहुँची घोड़े वालो की भीड़ हमारे ऊपर मक्खियों की तरह भिनभिन्नाने लगी।पर आज हम थोड़ा सतर्क थे कोई धोखा खाने को तैयार नही थे।पर हाय री किस्मत🤦धोखा तो मिलना ही था!
हमने सोचा था कि हम लोग बैटरी कार से गंडोले तक चले जायेंगे और पोनी नही करेंगे पर कश्मीरियों की चालाकी देखो, 2 km पहले ही टैक्सी स्टैंड बना डाला,जिधर हमको अपनी टैक्सी खड़ी करनी थी और हमारा ड्रायवर इतना शरीफ बन्दा था कि न अपना दिमाग इस्तेमाल करता था न अपने हाथ पैर 🙆
अब गंडोले तक हम जैसे लोग न पैदल जा सकते थे, न  पोनी पर, ओर अगर पोनी करे तो लुटे।
इधर पोनी वाला हमको गंडोले के पास छोड़ने का 4 हजार मांग रहा था।फिर मोलभाव कर के हमने 2 हजार में पोनी की ओर 'मरता क्या न करता' वाली स्थिति में हम पोनी से चल दिये।चलने के टाइम 2 आदमी  "मदद" करने हमारे आसपास चलने लगे। दोनों ने हम दोनों के घोड़े सम्भाल लिए।
 मैंने पूछा ---"आप लोग कौन?"
वो बोले– " हम मददगार है आपको सही सलामत घुमाकर यही छोड़ेंगे"
मैंने बोला---" हम टूटे फूटे हैं क्या?जब बॉम्बे से कश्मीर आ सकते हैं तो यहाँ अकेले क्यों नही घूम सकते।"  "वैसे आप लोग फोकट में चल रहे हो तो चलो"--मैंने बोला।
वो मुस्कुराये ओर तेजी से बोले--"अरे मेमसाब! जो मर्जी हो दे देना" अब मेरी हंसने की बारी थी😂😂
बड़ी मुश्किल से मैंने उनसे पीछा छुडाया।
आगे हमको फोटू वाले ने पकड़ लिया। "1 फोटू का 30 रु  हैं मेमसाब!" उससे भी बड़ी मुश्किल से पीछा छुडाया। अब हम गंडोले तक पहुँच गए। यहाँ के कर्मचारी बड़े अच्छे निकले ,क्योकि 50-60 लोगो की लाइन लगी थी उन्होंने  हमको शार्टकट रास्ते से अंदर जाने दिया और गंडोले में भी दूसरे लोगों को रोककर हमको पहले बैठाया।यहाँ Sr. सिटीजन होने के कारण थोड़ी Vip फीलिंग आई🤪
कश्मीर में पुलिस और मिलिट्री आपकी बहुत सहायता करते हैं।पर घोड़े के मालिक और टैक्सियों के मालिक खून चूसने वाली जोंक हैं।ये लोग पूरी तरह पर्यटको का खून चूसते हैं। परन्तु कश्मीर का आम आदमी जिससे पैसे का कोई व्यवहार नही हैं वो बहुत हेल्प करता हैं।
गंडोले में बैठकर हम ऊपर जा रहे थे। रास्ते के खूबसूरत दृश्य देखकर शुरू की कड़वाहट काफी कम हो गई थी। खूबसूरत पहाड़, मिट्टी के घर ओर टेढे मेढे रास्ते काफी खूबसूरत दिख रहे थे।
ऊपर पहुँचकर क्या देखा ।ये अगले एपिसोर्ट में।
मिलते हैं शब्बाखेर✋

गंडोले में जाने के लिए

गंडोले की लाइन में

गंडोले के अंदर

कश्मीर फाइल # भाग 4

कश्मीर फाईल #भाग 4
#दुधपत्री (श्रीनगर)
4 सेप्टेंबर 2023



कल हम श्रीनगर आ गए ।रात को डल लेक घूमकर कमरे में आ गए।
अब आगे,... रातभर मस्त नींद आई ।सुबह खिड़की से बाहर का नजारा देखा तो देखती ही रह गई। होटल के पीछे गॉर्डन था ओर उसमें खूबसूरत गुलाब खिले थे ।मुझे आश्चर्य हुआ हमारे इधर गुलाब के पौधे होते है मगर यहाँ पेड़ था और उस पर इतने गुलाब थे जितने हमारे इधर पेड़ पर आम भी नही होते।सफेद गुलाब देखकर मन खुश हो गया। पास ही अनार का पेड़ था और उस पर भी अनार लदे हुए थे।
इतने में फोन की घण्टी बजी होटल के केन्टीन का फोन था "नाश्ता तैयार हैं आ जाइये" हमने 2 चाय रूम में मंगवा ली और फ्रेश होने चल दिये।
थोड़ी देर में गुलफ़ाम बने हम दोनों नीचे उतर रहे थे। होटल का डायनिंग हॉल नीचे बेसमेंट में बना हुआ था। काफी खूबसूरत,नक्कासीदार बड़ा हॉल था। नाश्ते में आज पोहे,उपमा बना था साथ ही ब्रेड मक्खन ओर ब्रेड जाम भी था। हमने छककर नाश्ता किया। हम इन्दोरियों को पोहे दूसरी जगह के अच्छे नही लगते फिर भी ठीक ठीक ही थे।
नीचे 3-4 फैमिली ओर मिली जिन्होने टूर पैकेज हमारी कम्पनी से ही लिए थे। कोई गुजरात से था तो कोई केरल से था एक गोवा का था और एक फारनर था। सभी ने हमारी कम्पनी से ही पैकेज लिए थे।
नाश्ता कर के हम चल दिये दुधपत्री देखने।श्रीनगर से 45 km दूर 2 घण्टे के अंतराल में पड़ता हैं दुधपत्री।
समुद्र तल से देखा जाय तो 2,730 मीटर की ऊँचाई पर है ये हिल स्टेशन।
हमारी गाड़ी श्रीनगर की भीड़ को चीरती हुई लगातार आगे बड़ रही थी ।रास्ते मे छोटे छोटे खूबसूरत गांव ओर गांव के सकरे रास्ते दिल को मोह रहे थे।बच्चे स्कूल जा रहे थे ओर औरतें बच्चो को बस में चढ़ा रही थी।
यहाँ मैंने एक चीज देखी हैं महिलाये, जवान हो या बच्ची सभी के सर पर चुन्नी थी कोई भी महिला बगैर चुन्नी के घर से नही निकल रही थी। महिलाएं स्कूटी चला रही हो या कार चला रही हो पर सबके सर पर पल्लू था। मेरे ख्याल से सिर्फ मुस्लिम महिलाएं ही बुरखा पहने थी। लेकिन हिन्दू ओर सिख महिलाएं भी सर पे पल्लू रखे घूम रही थी।बड़ा ही मनभावन दृश्य था।मुझे याद हैं मेरी माँ और मोसिया भी ऐसे ही सर पर पल्लू रखे रहती थी।
दुधपत्री
~~||~~~
कहते हैं, दुधपत्री को देखे बिना कश्मीर की यात्रा अधूरी समझो।
दुधपथरी का अर्थ है दूध की घाटी। ऐसा कहा जाता हैं कि कश्मीर के प्रसिध्द सन्त शेखउलआलमशेखनूरदिननूरानी को नमाज़ पढ़ना था और उसके लिए (वजू के लिए) पानी चाहिए था तो पानी की तलाश में उन्होंने अपनी निगाहे इधर उधर घुमाई पर उनको दूर-दूर तक पानी दिखाई नही दिया तो उन्होंने अल्लाह से प्रार्थना की ओर अपनी छड़ी से जमीन को खोदा तो दूध निकला, परन्तु उनको दूध नही पानी चाहिए था तो तुरंत पानी का चश्मा फूट पड़ा ।मतलब दूध की तरह दिखने वाला पानी निकला तभी से इस जगह को दुधपथरी कहते हैं।
हमारी गाड़ी ने दुधपत्री में जैसे ही प्रवेश किया तो सामने ही बड़ा सा बोर्ड लगा था।चारो ओर हरियाली बिखरी पड़ी थी। हम आगे बढ़ गए।
सर्दियों में इस बोर्ड के आगे गाड़ीयां नही जाती क्योकि भारी हिमपात के कारण सड़क मार्ग बंद हो जाता हैं पर लोग पोनी की मदद से दुधपत्री देखने जाते है। हमारे टाइम ऐसा कुछ नही था हमारी गाड़ी जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी रास्ता ऊपर-नीचे लहराता हुआ चल रहा था।लम्बे पेड़ और घास के मैदान खूबसूरती बिखेर रहे थे।सड़क के साइड में  बड़ी बड़ी छत्रीयां लगी थीं जिन पर सरसों की रोटी और हरा साग परोसा जा रहा था और गुलाबी रंग की नमकीन  चाय का लुत्फ़ लोग उठा रहे थे।
कुछ घुमाव के बाद मानो स्वर्ग के दर्शन हो गए। हमारे सामने थी हरे घास से भरी एक विशाल कटोरी-नुमा घाटी। दाएं से बाएं, दूर-दूर तक फैली हरियाली पृष्ठभूमि में चीड़ और देवदार के पेड़ों का चौड़ा और ऊंचा परदा और इस परदे के पीछे क्षितिज पर पीर पंजाल की बर्फ से ढंकी पर्वत शृंखला। लगता था कि ईश्वर ने एक भव्य स्टेज बनाया हैं और मैं इस रंगमंच की एकमात्र कलाकार हूँ।
हमारी गाड़ी एक पॉइंट पर पहुँची जिधर  कुछ घोड़े वाले खड़े थे। हमको देख एक पोनी वाला आ गया मैंने भाव पूछा तो 3200 में एक पोनी बोल रहा था यानी कि 2 पोनी का 6हजार रु मांग रहा था। मुझे पता था कि यहाँ बहुत स्केम चलता है तो मैंने दोनों पोनी का आधा रेट लगाकर बोला।पहले तो वो तैयार नही हुआ फिर 3 हजार,2 हजार बोलने लगा।पर मैंने 2 घोड़ो का सिर्फ 3 हजार ही बोला और वो आखिर में तैयार हो गया। मैं बड़ी खुश ,की मैंने एक किला फतेह कर लिया लेकिन हाय री किस्मत! मैंने यहाँ भी 1हजार ज्यादा दे दिया। अगर थोड़ी देर ओर मोलभाव कर रही होती तो वो हम दोनों को 2 हजार में भी ले जाता।
खेर,पोनी पर बैठकर हम आगे चल दिये ।उबड़ खाबड़ रास्ता था पर बहुत ही खूबसूरत था।हम बड़े मजे से चल रहे थे । हमारे घोड़े वाले दोनों बहुत ही सज्जन आदमी थे, उन्होंने हमको एक बच्चे की तरह आराम से पोनी पर बैठाया ओर सम्भालकर आगे बढ़े।बीच-बीच मे हमारे फोटू ओर वीडियो भी उतार रहे थे।
20 -25 मिनिट बाद हम दुधपत्री नामक जगह पर पहुँचे  जिधर एक नदी उछलती हुई आगे बढ़ रही थीं।ये शालीगंगा नदी थी जिसका पानी एकदम साफ था।ओर बर्फ की मानिंद ठंडा! मैं जब इसमें उतरी तो मेरे दोनों पैर सुन्न हो गए।पर ये जगह इतनी खूबसूरत ओर सुकूनभरी थी कि कह नहीं सकते। यहाँ की ठंडी हवा, पानी का कल-कल करता शोर और फिजा  में फैली खुशबू दिल को सुकुन दे रही थी।
में काफी देर तक इन पत्थरोँ पर बैठी आंख बंद कर के दिन दुनियां से बेखबर ख्यालों में घूमती रही।फिर घोड़े वाले ने आवाज लगाई तो मैं उठ खड़ी हुई।
फिर हमने कहवा पिया जो मुझे ज्यादा पसंद नही आया। कुछ देर रुककर हम पोनी से अपनी कार तक आ गए। आने के टाइम पोनी वाले बहुत पीछे पड़ते है उनको 100-100 ₹ दिए पर उन्होंने नही लिए फिर 200-200 दिए तब भी ओर मांग रहे थे।अब हमने पीछा छुड़ाने में ही अपनी समझदारी दिखाई और कार में बैठ गए।
3 घण्टे हमने यहाँ व्यतीत किये पर मन नही भरा।वापसी में हमने भी एक टेंट वाले के पास बैठकर मक्के की रोटी, नदरु का अचार ओर कोई हरा साग खाया।टेस्टी था।फिर गुलाबी चाय भी पी।सस्ता ही था
100₹ मे 1मक्की की रोटी,अचार ओर साग।
4 बजे हम वहां से रुक्सत हुए।अब 2 घटे में श्रीनगर आएगा तब तक 1 नींद ली जाए।कैसा रहेगा🤪

वैसे इस साग ओर रोटी से हमारी थोड़ी तबियत खराब हो गई थी ।शायद हमने ज्यादा खा ली थी☺️