कसौली Meet पार्ट – 1
10 जनवरी 2024
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"मेरी आवाज ही पहचान हैं"
ये वाक्य हैं हमारे मेजबान @कंवर कुलदीप जी के जो बड़े ही फ़क्र से कहते है कि– " मेरा नाम ही मेरा लेडमार्क हैं "☺️ ओर ये सही भी हैं।
तारीख 10 जनवरी को जब मैं बॉम्बे से पश्चिम एक्सप्रेस से चंडीगढ़ को निकली थी तो मन मे ठंडी को लेकर अनेक चिंताये थी...हालांकि मैंने पहनने के कपड़े कम और गरम कपड़े ज्यादा रखे थे ।फिर भी शक था कि इतनी ठंडी को मैं बर्दास्त कर पाऊंगी की नही? कहीं मुझे ठंडी से पैरालिसिस अटैक तो नही पड़ जायेगा? कहीं मैं दुसरो के लिए मुसीबत तो नही बन जाऊंगी ? ऐसा न हो मैं चार कंधों का सहारा लेकर घर पहुँचूँ 🤔
वगैरा!वगैरा !!वगैरा!!!
ऐसे हजारों सवाल पिछले कई दिनों से मेरे ऊपर मक्खियों की तरह मंडरा रहे थे ।जिनका मेरे पास कोई जवाब नही था।
उस पर सन्नी ओर मिस्टर की बार बार काली जबान की–" मत जा! परेशानी होगी, टीवी में देख शीत लहर चल रही है और तू शिमला जा रही हैं। पागल हो गई हैं क्या???☺️
ओर मैं सारी बातें इस कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल रही थी। कई बार सोचती थी की जब सन्दीप को जनवरी के लिए हाँ की थी तब क्यो नहीं ध्यान दिया था,तुरन्त मना कर देना था की इतनी ठंडी में आना मेरे बस की बात नही हैं।शीला जी ने भी तो केंसिल कर दिया हैं। फिर मैं क्यो पहलवान बनू 😢
पर फिर सोचा कि– "छड्डो यार!जो होगा देखा जाएगा।"😃😃
जब सुबह 9 बजे घर से निकली तो सन्नी ने फिर टोका की मम्मी केंसल करो।पर एक विजय मुस्कान छोड़ते हुए मैं टैक्सी में बैठ गई। अगर Gds मीट न होती तो यकीनन मैं उसकी बात मान लेती, मगर जब बात Gds की होती हैं तो कोई समझौता हो ही नही सकता। बस चक्क दे फट्टे!😄😄😄
ट्रेन के कम्पार्टमेंट में इस बार बहुत अच्छे साथी मिले, कब टाइम निकल गया पता ही नही चला।फिर चारु तो थी ही साथ ।हमने खूब इंजॉय किया। मथुरा में धने कोहरे के बीच अनु के लाये लजीज बेड़मी,जलेबी ओर कचोरी के मजे लिए पर चारु पर गुस्सा भी किया कि बेचारे अनु को इतनी सुबह परेशान किया।☺️
11 तारीख को शाम 5 बजे हमारी रेंगती हुई 2 घण्टे लेट लतीफ गाड़ी ने चंडीगढ़ स्टेशन को छुआ तो उमंग से सारे शरीर मे तरंगे फूटने लगी क्योकि हम उस स्थान पर आ गए थे जहां से स्वर्गरोहणी की सीढ़ियां स्पष्ट नजर आ रही थी। मैंने सुना था कि कसौली स्वर्ग से भी सुंदर हैं। और कल हम कसौली की उसी पावन धरा पर पैर रखने वाले थे।
ओर जैसे ही हमने सबको Ta-ta, by-bay बोला और चंडीगढ़ के प्लेटफार्म नम्बर 1 पर अपना पैर रखा की तेज झटका लगा।😳
जी हां😢 आंखों में आंसू आ गए क्योकि अब तक हम जिस गरमा -गरम कूपे में बैठे बतिया रहे थे उससे उतरते ही ठंड के मायाजाल में ऐसे फंसे की दांत किटकिटाने लगे।
"उई मां! यहाँ तो बहुत ठंडी है 🙉मेरे मुंह से निकला!ओर हम जैसे तैसे लुढ़कते हुए स्टेशन के बाहर टैक्सी तक पहुँचे ।हमारे लिए टैक्सी की व्यवस्था पहले से ही हमारे Gds के एक वीर बालक ने कर रखीं थी और वो वीर बालक अपने हाथों में गर्मागर्म पिज़ा लिए हमारा इंतजार कर रहा था।
हमने आव देखा न ताव ओर फटाफट टैक्सी में घुस गए। अंदर पहुँचकर एक लंबी सांस ली क्योकि अब हम हवा के थपेड़ों से सुरक्षित थे। हालांकि किटकिट की ध्वनि मुंह से लगातार निकल रही थी।
धुन्ध में लिपटा हुआ चंडीगढ़ साढ़े 5 बजे ही मुझे रात 11 बजे का अहसास करवा रहा था और मैं मुम्बई की पौरि ये हजम नही कर पा रही थी कि भला साढ़े 5 बजे शाम को ही रात कैसे हो सकती हैं। क्योकि हमारे यहाँ तो अभी तक सूरज चमक रहा होगा। बाजार जगमगा रहे होंगे, खाली लोकल दूर से मुसाफिरों को टोह कर ला रही होगी। फिर,दिल को तसल्ली दी ये बॉम्बे नही है मेरी जान🥰😄
अब हमारी टैक्सी तेजी से धुंध को काटती हुई आगे सरक रही थी।
नियत स्थान पर टैक्सी रुकी ओर मैंने पर्स में हाथ डाला ही था कि बाहर से एक आवाज़ आई---" नही बुआ,पैसे मैं दूँगा!"
मैंने चौककर बाहर देखा-- "अरे ये वीर बालक तो अपना विमल हैं" जो पिज़ा के 3 पैकेट हाथ मे लिए मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।
चढ़िगढ़ में हमारे रहने की सारी जुम्मेदारी प्यारे विमल ने अपने भारी भरकम कंधों पर ले रख्खी थी।वो एक अबोध बालक की तरह सबकुछ करने को आतुर था। हर काम को ऐसा कर रहा था जैसे एक बाप अपनी लाडली बेटी की शादी में लड़के वालों पर निछावर हो जाता हैं।
ये बात इसलिए लिख रही हूं कि उसकी स्फूर्ति देखने लायक थी जब वो मेरी भारीभरकम अटैची को पहले माले तक लाया । कैसे लाया होगा ? आज मैं ये सोच रही हूं🤔
अब हम दोनों टैक्सी से उतरकर उसके घर की तरफ जा रहे थे।हालांकि कंपकपी थी पर सबसे मिलने का उत्साह उस कंपकंपी के ऊपर ज्यादा भारी था।चारों ओर सन्नाटा पसरा पड़ा था।
थोड़ी देर बाद ही हम विमल के गर्म कमरे में हीटर के पास हाथ सकते हुए चाय की चुस्कियों के साथ गर्म -गर्म पिज़ा खा रहे थे।
Gds मीट की यही खासियत हैं कि यहाँ सब मिलकर आनंद के सागर में डुबकियां लगाते हैं और परम आनंद की प्राप्ति करते हैं।✋आज का ज्ञान खत्म☺️
रात को चारु ने खिचड़ी ओर कढ़ी बनाई और हम सबने मिलकर खाई।इतने मैं भिलाई के 1 मतवाले कपल सोनाली ओर सन्दीप भी आ गए उनसे प्रथम मिलन था पर प्रथम जैसा कुछ था ही नही सब ऐसी बातें कर रहे थे जैसे काफी पुराने परिचित हो।😄
गोल मटोल ,हिरनी की तरह चंचल आंखों वाली सोनाली ओर उनके मस्तमौला पति सन्दीप जी दोनों ऐसे घुलमिल गए जैसे बरसो से याराना हो🥰 हम सब छोटे से कमरे में रजाइयों में घुसे हुए आपस मे बतिया रहे थे कि अचानक दादा ने कमरे में प्रवेश किया।दादा यानी कि बोकारो से पधारे हमारे भकिल अमन दादा जिनसे मैं 2017 के रांशी मीट के बाद अब मिल रही थी।
दादा ने सबसे पहले झुककर मेरा अभिवादन किया तो दिल गदगद हो गया।☺️
रात ढाई बजे तक ये सिलसिला जारी रहा। बातें खत्म होने का नाम ही नही ले रही थी और फिर रात 3 बजे के बाद हमारी आबकारी मैडम अर्पणा अपनी माताजी के साथ आई तो हम सब कुछ अलसाये हुए मदहोशी के आलम में थके हुए उसका वेलकम कर उसे भी सुलाकर फिर सो गए।☺️
कल एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए.....
क्रमशः
सोनाली,चारु,अमन दादा ,मैं ओर विमल
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