ये बात अभी 22 जनवरी 2025 की हैं ।
मैं ओर मेरे मिस्टर दमन घूमने गए थे ।शाम के 7 बजे की बात है हम नानी बीच ( गुजराती में नानी का मतलब छोटा होता हैं) पर टहल रहे थे सूरज अस्त हो गया था ठंड बड़ गई थी और काफी ठंडी हवा चल रही थी। हमारे पास स्वेटर भी नही थे।
कुछ देर बाद हमने होटल लौटने का सोचा पर आसपास कोई आटो दिखाई नही दिया।करीब आधा घण्टा हो गया हमको 1 भी आटो दिखाई नही दिया अब मुझे थोड़ी धबराहट होने लगी क्योकि हमारा होटल 10 km दूर था।अब क्या करे।
वैसे भी रात को अनजान जगह मुझे थोडी घबराहट होती हैं।
जब बहुत देर हो गई और कोई आटो नजर नही आया तो तुरंत एक तरकीब मेरे दिमाग मे याद आई मैं फूटपाथ से उतरकर सड़क पर आ गई।मेरी अगल बगल से कारे गुजर रही थी पर कोई रुक नही रही थी। इतने में मैंने अपने हाथ से कुछ स्कूटरों को रुकने का संकेत किया ।कुछ निकल गए कुछ देखते हुए आगे बढ़ गए, अचानक एक स्कूटर थोड़ा आगे जाकर रुक गया उस पर एक लड़का एक औरत ओर 2 बच्चे बैठे थे वो उतरकर पीछे आये और मुझसे बात करने लगे। तब मैंने उनको अपनी परेशानी बताई लड़के ने तुरंत बोला कि आप एक एक करके मेरे स्कूटर पर बैठ जाये मैं आपको होटल छोड़ देता हूँ पर मुझे ये अच्छा नही लगा कि वो बेचारा हमारे लिए 40 km up down करे।
मेंने उससे रिक्वेस्ट की कि आप कोई आटो इधर भिजवा दे बस।
फिर उसने अपने एक जानने वाले को फोन कर के बुलाया और जब तक वो आ नही गया दोनों पति पत्नी हमारे पास ही खड़े रहे।
एक अनजान व्यक्ति का अनजान शहर में इतना बड़ा सहयोग देखकर मेरा दिल भर आया। आंखों में पानी तैरने लगा और दिल से हजारों दुआएं निकलने लगी।मेरे मन ने यही कहा की–-"अभी भी मानवता जीवित हैं।"
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