मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

यादें


भरे -पूरे घर के इस कमरे में ,
मैं एकांकी बैठी हूँ --
मेरे साथ कैद हैं तेरी यादें,
सिलवटे -भरी चादर ,
तेरी हंसी ---
मेज की धूल भरी सतह पर,
दीखता हैं तेरा अक्स --
आँखे बंद कर लेती हूँ--
तेरी हंसी मेरे कानो मैं शहद घोल रही हैं --
अचानक उठ बैठती हूँ --
हवा मैं ठंडक का एहसास महसूस हो रहा हैं --
शायद बाहर मुसलाधार बारिश हो रही हैं--  
याद आता हैं --इन क्षणों में --
तुम्हारा स्पर्श !
तुम्हारा प्यार !!
तुम्हारी याद --!!!

---दर्शन के दिल से😎

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