मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

भटकती आत्माओं का आवहान


ऐ भटकती आत्माओं
तुम्हें सलाम!

रम का पैग 
तुम्हें समर्पित!
तुम्हारी आकांक्षाओ पे निसार !

ऐ भटकती आत्माओं
तुम्हें सलाम!!!!

बरसात की बूंदे
तुम्हारी रसद
तुम्हारी बेपरवाही
इनकी गिरती टप-टप
मुझे निहाल करती हैं।

ऐ भटकती आत्मओं!
तुम्हें सलाम👏
कलेजा काटकर रखा है मैंने प्लेट में,
नमक और मिर्च स्वाद अनुसार😀
पैग के साथ कुछ चाहिए जनाब!!

ऐ भटकती आत्माओं!
तुम्हें सलाम!!!!

अण्डे उबालकर
काला नमक लगाकर,
काली मिर्च से किया श्रृंगार!
तुम्हारे इंतजार में दिल हैं बेकरार!
ऐ भटकती आत्माओं
तुम्हें सलाम!!!

गिरती बूंदे,
मन को झिझोड़ रही हैं,
बेरहम को कोस रही हैं!
आज नुक्कड़ के पकौड़ों की याद ताजा हो रही हैं😂

ऐ भटकती आत्माओं
तुम्हें सलाम😢.
रम की बूंदे 
धीरे-धीरे
कंठ से
नीचे उतर रही हैं!
ख्यालों की ईमारत आज फिर
धीरे धीरे बन रही है!
अब, जुनून का वक्त नजदीक है।

ऐ  प्यासी आत्माओं
तुम्हें सलाम!!
भावनाओं का मिक्चर!
दिल की बेचैनी!
उसका बना नमकीन!
अब तो महफ़िल का इंतजार हैं😊

ऐ मेरी प्यासी अतृप्त आत्माओं
तुझे सलाम!!!
डगमग डगमग !
बन्द आंखें!
गिलास पर निगाहें!
ओर पीने की चाहत!
मन को झिंझोड़ रही हैं--

ऐ दिल अतृप्त___
कुछ खोजता हुआ! 
तुझमें ही संतृप्त!
आज विद्रोह कर रहा हैं।
कही भी चैन नहीं
कुछ खोज रहा हैं....

  ऐ भटकती आत्माओं___
आज दिल बहुत उदास हैं।
उसके लिए जो इस जहां में नही है।
उसको सलाम!
जिसने चाहा तो?
मगर कबूल न कर सका,
उस नेक आदमी को सलाम!
मुझे तड़पता हुआ छोड़कर जाने वाले तुझे सलाम!
इस दुनिया में तुझसे बेहतर ढूंढने की लालसा को सलाम!
 ऐ भटकती आत्माओं
तुम्हें सलाम!!!

--दर्शन के दिल से😢


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