जिन्दगी के इस तीसरे पहर में ---
जब मुझे तुझसे प्यार हुआ!
तो महसूस हुआ मानो जलजला आ गया हो !
और मुसलाधार बारिश उसे शांत कर रही हो !
मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व मानो निखर गया हो !
मेरे जीवन का कोई सपना जैसे साकार हो गया हो ....!!!
जब तेरी गुदाज़ बांहों में मेरा जिस्म आता हैं ____
तो यू लगता है मानो मृग को कस्तूरी का भान हुआ हो !
और वो कुलांचें भर इधर -उधर दौड़ रहा हो !
जैसे कस्तुरी की चाह में कुछ खोज रहा हो ..!!!!
तब तेरे जलते हुए होंठ मेरे प्यासे होठों को छूते है,
तेरा अस्तित्व मेरे समूचे व्यक्तित्व को निगलता है,
तब रगों में दौड़ने वाला रक्त अमृत बन जाता है,
तब मदहोशी का यह अमृत मैं घूंट -घूंट पीती हूँ ..!!!
तब प्यासी लता बन मैं तेरे तने से लिपट जाती हूँ,
तुम मुझे अपनी बांहों में समेट लेते हो,
तब मेरी अनन्त की प्यास बुझने लगती है,
और मैं तुम्हारी बांहों में दम तोड़ देती हूँ --!!!!
तब मेरा नया जनम होता है
एक बार फिर से -----
तेरे सहचर्य का सुख भोगने के लिए ---- ?
----दर्शन के दिल से
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