अमृतसर की यात्रा भाग 5
(आनंदपुर साहिब)
31 मई 2019
28 मई को मैं ओर मेरी सहेली रुक्मणि बम्बई से अमृतसर गोल्डन टेम्पल ट्रेन से अमृतसर को निकले..रतलाम में मेरी भाभी भी आ गई ...तीसरे दिन 30 मई को सुबह 6 बजे हम सब अमृतसर पहुँच गये,अमृतसर अच्छे से घूमकर आज सुबह हम अमृतसर से निकलकर माता चिंतपूर्णी के बाद माता ज्वालादेवी के दर्शन करके अब हम आनंदपुर साहिब जो एक ऐतिहासिक स्थल हैं उसके दर्शन करने जा रहे थे अब आगे...
अब हम हिमाचल प्रदेश से वापस पंजाब की ओर लौट रहे थे .. आनंदपुर साहिब जिसे केशगढ़ साहिब भी कहते है... पंजाब के जिला रूपनगर में स्थिति है...आनंदपुर साहिब की स्थापना सिक्खों के नवें गुरु गुरु तेगबहादुर सिंह जी ने 1665 में की थी....यह स्थान सिक्ख- पंथ के 4 तख्तों में दूसरे नम्बर पर है यही पर सिक्ख पंथ की स्थापना हुई थी इसलिए ये स्थल सिक्ख श्रद्धालुओं में पूजनीय हैं।
अब हमको 161 km का फासला तैय करना था जिसके लिए करीब 3 घण्टे का समय लगना था...शाम हो चली थी और हम गुरद्वारा साहिब रात तक पहुंचने वाले थे आज के सफर में हम काफी थक गए थे ओर अब हम सबको बिस्तर दिख रहा था...वैसे भी आज हम आनंदपुर साहब में ही रुकने वाले थे।
हम करीब रात के 10 बजे आनंदपुर साहिब पहुंचे.. शहर बन्द हो रहा था ,कुछ दुकानें तो बन्द भी हो गई थी हमने देखा गुरद्वारा दूर से जगमगा रहा था... बहुत ही सुंदर लग रहा था ...लेकिन उधर से इंट्री नही थी हमारे सरदारजी ने नीचे जाकर इन्क्वारी की ओर फिर वापस गाड़ी को उधर ही घुमा लिया जिधर से आये थे, फिर एक गली जैसी सकरी सड़क के अंदर जाकर गाड़ी को गुरद्वारे के पीछे वाले हिस्से में रोक दिया वही पर पार्किंग भी थी और रूम का ऑफिस भी था, पास ही काफी लंबा चौड़ा गार्डन बना हुआ था ...वही समान उतारकर हमने सबसे पहले रूम लिया 400 रु में हमको अच्छा 3 बेड वाला Ac रूम मिल गया ,अब हम रूम में जाकर थोड़ा लेट गए सब बहुत थक गए थे फिर फ्रेश होकर गुरद्वारे चल दिये, गुरद्वारे का मेनगेट बन्द था, हम साईड की सीढ़ियों से चढ़कर गुरद्वारे के अंदर गए मथ्था टेका ओर लँगर करने चल दिये...लँगर हाल कहीं दिख नही रहा था तो एक बन्दे से पूछा तब पता चला कि लँगर हॉल तो 3 माला नीचे है ,मेरी तो जान ही निकल गई आखिर जैसे तैसे हम सब लुढ़कते हुए लँगर हाल तक पहुंच ही गए। भूख जोरों की लग रही थी हम सब खाने पर टूट पड़े... गरमा गरम दाल रोटी खाने से शरीर में जान तो आ गई लेकिन दिमाग में नींद भी अपने पैर पसारने लगी और हम जैसे तैसे लँगर खाकर वापस 3 माला चढ़कर ऊपर आये और अपने कमरे में जाकर जो बिस्तर पर पड़े तो सुबह ही नींद खुली...😂😂😂
रात को एक भी फोटू नही खींचा था इसलिए सॉरी😢
शेष भाग आगे..
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