मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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बुधवार, 1 जुलाई 2020

महिला -दिवस

# महिला दिवस #
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'हा' --- "मैं एक लड़की हूँ ?"
महज...16 साल की 
चलती हूँ जब भी सड़कों पर
लोग मुझे वासनामयी ,
निगाहों से ताकते है
मेरे जिस्म से कपड़े उतारकर
मुझे वस्त्रहीन कर देते है
और टूट पड़ते है अपने ख्यालो में,
मेरी देह पर ---
जैसे शेर टूटता है ---
 मासूम हिरन पर।
ये पुरुष समाजी नहीं देखते 
मेरी मजबूरी !
मेरी मासूमियत !!
उनको तो दीखता है 
सिर्फ बिस्तर ?
क्षणिक सुख की खातिर
वो तार- तार कर देते है 
मेरा जिस्म ! 
मेरी आत्मा!!
और सभ्य समाज में 
मेरा तिरस्कार करते है ।
मैं सहम जाती हूँ -----
क्योकि मैं एक अबोध बाला हूँ ?
लेकिन ये बाला ,
कब ज्वाला बन जाये ---
पता नहीं .........
और कब तुम लोग काल के ग्रासी बन जाये 
पता नहीं ........
इसलिए आज प्रण करो ,
औरत की इज्जत करो !
उसको माँ, बहन, बेटी की नजरों से सम्मान करो !
तभी *महिला दिवस* की सार्थकता है ।।

 --- दर्शन के 💓से ।

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