मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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गुरुवार, 29 जून 2017

श्री हरिशर्मा जयपुर वाले


*ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले रे हम रह गए अकेले*

28 जून 2017   

आभासी दुनियां के हमारे अभिन्न मित्र,ब्लॉगर  श्री  हरिशर्मा जयपुर वाले काल के क्रूर पंजो में समां गए। आज 28 जून 2017 की मनहूश धड़ी उनको हमसे दूर ले गई।  उनके जाने के बाद वो स्थान हमेशा  ख़ाली रहेगा जिसे अब कोई नहीं भर सकता।  


इतनी भी क्या जल्दी थी 
तुमको रब से मिलने की
अभी तो पैरो के
महावर भी नही छूटे
कलाइयों की चूड़ियां भी
नही खनकी,
मेंहदी भी लगी है
हाथों में---
ओ.. दूर के मुसाफिर
तनिक, इक पल मेरा तो इंतजार करते ? 
तसव्वुर में सजा लेती !
जुड़े में छिपा लेती !!
आंखों में समा लेती !!!
या खुद ही साथ हो लेती ----
ओ... दूर के मुसाफिर
तनिक, इक पल मेरा तो इंतजार करते ?




2 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

जीवन की डोर कब छूट जाये, कोई नहीं जानता,
मैं मिला तो कभी नहीं, ब्लॉग के जरिए इन्हे पहचानता हूँ। नमन .......

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

वो बहुत ही मिलनसार ओर गजब का इंसान था