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रविवार, 18 अप्रैल 2021

जयपुर मेरी नजर में #1



जयपुर मेरी नजर में
"गलता जी"
भाग #1

26 जनवरी 2021
24 जनवरी को मैं,मिस्टर के साथ अपने छोटे भाई की लड़की की शादी में सम्मलित होने कोटा जाने को निकली।रात का सफर कटने के बाद सुबह हम कोटा पहुँच गए। सारा दिन आराम से गप्पे मारते हुए गुजरा ओर अचानक जयपुर जाने का प्लान बना लिया।टिकिट बुक करवाकर हम आराम करने लगे...ठंडी अपने जोरो पर थी ।
सुबह 5 बजे कड़कड़ाती सर्दी में हमारे कदम कोटा के रेल्वे स्टेशन की तरफ बढ़ रहे थे... चारों ओर धुंध छाई हुई थी... स्टेशन पर नाममात्र की भीड़ थी। ठीक 6:30 पर हमारी बॉम्बे -जयपुर ट्रेन प्लेटफार्म पर आई और हम फटाफट अपने Ac कम्पार्टमेंट में घुसकर दुबक गए। करोना काल अपनी आखरी सांसे गिन रहा था फिर भी हम सचेत थे।
12 बजने से पहले ही हम कोटा से जयपुर देवर के बेटे के घर मे चाय पी रहे थे।
कल 26 जनवरी थी और छुट्टी थी इसलिए सबने जयपुर के किले ओर ग़लता जी जाने का प्रोग्राम बनाया।
हम टोटल 6 परिवार के ही मेम्बर थे।  किराये की टैक्सी 2,500 में पूरे दि
न की कि थी सो टेंशन नही थी।
सबसे पहले हमारा इरादा गलताजी जाने का था।

गलताजी मंदिर:--
गलता जी का मन्दिर जयपुर शहर से महज 10 किमी दूर स्थित है...मंदिर परिसर में प्राकृतिक ताजा पानी का झरना और 7 पवित्र कुण्ड हैं..इन कुण्डों के बीच, 'गलता कुंड', भी शामिल है जो  कभी सुखता नहीं है। यहां पत्थरों के बीच एक गौमुख से शुद्ध पानी आता रहता हैं...कहते है गालव नामके एक संत ने यहां 100 साल तक तपश्या की थी जिससे देवताओं ने खुश होकर यहां प्रचुर मात्रा में पानी होने का आशीर्वाद दिया था...यह भव्य मंदिर, गुलाबी बलुआ पत्थर से बना हुआ है... पहाड़ियों के बीच बना ये सूर्य मंदिर यहां की प्राकृतिक और  शांत वातावरण के लिए प्रसिध्द हैं...यहां ओर भी कई मन्दिर हैं यहां बंदरों की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं।

इतिहास:--
18 वीं शताब्दी में दीवान राव कृपाराम ने सवाई जयसिंह द्वितीय के लिए गलताजी मंदिर का निर्माण किया था।
यह मन्दिर अरावली की पहाड़ियों में घने पेड़ों और झाड़ियों से घिरा हुआ है। हर साल, 'मकर संक्रांति', पर यहां काफी लोग पवित्र कुंड में डुबकी लगाने आते हैं । 
यहां आराम से टैक्सी द्वारा सूर्योदय से सूर्यास्त तक आ सकते है। 
गलता जी बहुत ही मोहक स्थान हैं ...मुझे यहां का सोंदर्य मोहित कर गया पर मैं ऊपर चढ़कर सूर्य मंदिर नही देख सकी क्योकि मेरे साथ ऊपर चढ़ने में कुछ लोग असहाय थे इसकारण मैं मन्दिर तक नही चढ़ सकी...वो फिर कभी पर छोड़कर हम सभी आगे को बढ़ गए।
अब हम जयगढ़ किला फ़तह करने निकल पड़े थे।
क्रमशः..





  
   

5 टिप्‍पणियां:

सुशांत सिंघल ने कहा…

जयपुर दो बार जा कर भी जो गलता जी मैं आज तक नहीं देख पाया था, वह आज आपने दिखा दिया, दर्शन बुआ! आपका हार्दिक आभार!
सही बात ये है कि मुझे एहसास नहीं था कि गलता जी में इतना कुछ है, मैं तो बस एक छोटे से मंदिर का अंदाज़ा लगाये हुए था!

लिखती तो आप बढ़िया हैं ही, उस बारे में क्या कहूं!

विरेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा…

जयपुर जाता रहता हूं पर गलता जी नही गया अबकी बार जाने का प्रयास रहेगा, जय गढ़ देख लिया मेने

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

धन्यवाद सर जी,अगली बार जरूर जाए😊

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

जरूर जाएगा शेखावत साहब😊ओर जो सूर्य मंदिर मैं न जा सकी वो भी देखकर आइयेगा।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

जरूर जाएगा शेखावत साहब😊ओर जो सूर्य मंदिर मैं न जा सकी वो भी देखकर आइयेगा।