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गुरुवार, 21 मार्च 2024
कसौली यात्रा भाग #2
बुधवार, 20 मार्च 2024
यात्रा कसौली की #भाग 1
कसौली Meet पार्ट – 1
10 जनवरी 2024
~~~💝~~~~~
"मेरी आवाज ही पहचान हैं"
ये वाक्य हैं हमारे मेजबान @कंवर कुलदीप जी के जो बड़े ही फ़क्र से कहते है कि– " मेरा नाम ही मेरा लेडमार्क हैं "☺️ ओर ये सही भी हैं।
तारीख 10 जनवरी को जब मैं बॉम्बे से पश्चिम एक्सप्रेस से चंडीगढ़ को निकली थी तो मन मे ठंडी को लेकर अनेक चिंताये थी...हालांकि मैंने पहनने के कपड़े कम और गरम कपड़े ज्यादा रखे थे ।फिर भी शक था कि इतनी ठंडी को मैं बर्दास्त कर पाऊंगी की नही? कहीं मुझे ठंडी से पैरालिसिस अटैक तो नही पड़ जायेगा? कहीं मैं दुसरो के लिए मुसीबत तो नही बन जाऊंगी ? ऐसा न हो मैं चार कंधों का सहारा लेकर घर पहुँचूँ 🤔
वगैरा!वगैरा !!वगैरा!!!
ऐसे हजारों सवाल पिछले कई दिनों से मेरे ऊपर मक्खियों की तरह मंडरा रहे थे ।जिनका मेरे पास कोई जवाब नही था।
उस पर सन्नी ओर मिस्टर की बार बार काली जबान की–" मत जा! परेशानी होगी, टीवी में देख शीत लहर चल रही है और तू शिमला जा रही हैं। पागल हो गई हैं क्या???☺️
ओर मैं सारी बातें इस कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल रही थी। कई बार सोचती थी की जब सन्दीप को जनवरी के लिए हाँ की थी तब क्यो नहीं ध्यान दिया था,तुरन्त मना कर देना था की इतनी ठंडी में आना मेरे बस की बात नही हैं।शीला जी ने भी तो केंसिल कर दिया हैं। फिर मैं क्यो पहलवान बनू 😢
पर फिर सोचा कि– "छड्डो यार!जो होगा देखा जाएगा।"😃😃
जब सुबह 9 बजे घर से निकली तो सन्नी ने फिर टोका की मम्मी केंसल करो।पर एक विजय मुस्कान छोड़ते हुए मैं टैक्सी में बैठ गई। अगर Gds मीट न होती तो यकीनन मैं उसकी बात मान लेती, मगर जब बात Gds की होती हैं तो कोई समझौता हो ही नही सकता। बस चक्क दे फट्टे!😄😄😄
ट्रेन के कम्पार्टमेंट में इस बार बहुत अच्छे साथी मिले, कब टाइम निकल गया पता ही नही चला।फिर चारु तो थी ही साथ ।हमने खूब इंजॉय किया। मथुरा में धने कोहरे के बीच अनु के लाये लजीज बेड़मी,जलेबी ओर कचोरी के मजे लिए पर चारु पर गुस्सा भी किया कि बेचारे अनु को इतनी सुबह परेशान किया।☺️
11 तारीख को शाम 5 बजे हमारी रेंगती हुई 2 घण्टे लेट लतीफ गाड़ी ने चंडीगढ़ स्टेशन को छुआ तो उमंग से सारे शरीर मे तरंगे फूटने लगी क्योकि हम उस स्थान पर आ गए थे जहां से स्वर्गरोहणी की सीढ़ियां स्पष्ट नजर आ रही थी। मैंने सुना था कि कसौली स्वर्ग से भी सुंदर हैं। और कल हम कसौली की उसी पावन धरा पर पैर रखने वाले थे।
ओर जैसे ही हमने सबको Ta-ta, by-bay बोला और चंडीगढ़ के प्लेटफार्म नम्बर 1 पर अपना पैर रखा की तेज झटका लगा।😳
जी हां😢 आंखों में आंसू आ गए क्योकि अब तक हम जिस गरमा -गरम कूपे में बैठे बतिया रहे थे उससे उतरते ही ठंड के मायाजाल में ऐसे फंसे की दांत किटकिटाने लगे।
"उई मां! यहाँ तो बहुत ठंडी है 🙉मेरे मुंह से निकला!ओर हम जैसे तैसे लुढ़कते हुए स्टेशन के बाहर टैक्सी तक पहुँचे ।हमारे लिए टैक्सी की व्यवस्था पहले से ही हमारे Gds के एक वीर बालक ने कर रखीं थी और वो वीर बालक अपने हाथों में गर्मागर्म पिज़ा लिए हमारा इंतजार कर रहा था।
हमने आव देखा न ताव ओर फटाफट टैक्सी में घुस गए। अंदर पहुँचकर एक लंबी सांस ली क्योकि अब हम हवा के थपेड़ों से सुरक्षित थे। हालांकि किटकिट की ध्वनि मुंह से लगातार निकल रही थी।
धुन्ध में लिपटा हुआ चंडीगढ़ साढ़े 5 बजे ही मुझे रात 11 बजे का अहसास करवा रहा था और मैं मुम्बई की पौरि ये हजम नही कर पा रही थी कि भला साढ़े 5 बजे शाम को ही रात कैसे हो सकती हैं। क्योकि हमारे यहाँ तो अभी तक सूरज चमक रहा होगा। बाजार जगमगा रहे होंगे, खाली लोकल दूर से मुसाफिरों को टोह कर ला रही होगी। फिर,दिल को तसल्ली दी ये बॉम्बे नही है मेरी जान🥰😄
अब हमारी टैक्सी तेजी से धुंध को काटती हुई आगे सरक रही थी।
नियत स्थान पर टैक्सी रुकी ओर मैंने पर्स में हाथ डाला ही था कि बाहर से एक आवाज़ आई---" नही बुआ,पैसे मैं दूँगा!"
मैंने चौककर बाहर देखा-- "अरे ये वीर बालक तो अपना विमल हैं" जो पिज़ा के 3 पैकेट हाथ मे लिए मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।
चढ़िगढ़ में हमारे रहने की सारी जुम्मेदारी प्यारे विमल ने अपने भारी भरकम कंधों पर ले रख्खी थी।वो एक अबोध बालक की तरह सबकुछ करने को आतुर था। हर काम को ऐसा कर रहा था जैसे एक बाप अपनी लाडली बेटी की शादी में लड़के वालों पर निछावर हो जाता हैं।
ये बात इसलिए लिख रही हूं कि उसकी स्फूर्ति देखने लायक थी जब वो मेरी भारीभरकम अटैची को पहले माले तक लाया । कैसे लाया होगा ? आज मैं ये सोच रही हूं🤔
अब हम दोनों टैक्सी से उतरकर उसके घर की तरफ जा रहे थे।हालांकि कंपकपी थी पर सबसे मिलने का उत्साह उस कंपकंपी के ऊपर ज्यादा भारी था।चारों ओर सन्नाटा पसरा पड़ा था।
थोड़ी देर बाद ही हम विमल के गर्म कमरे में हीटर के पास हाथ सकते हुए चाय की चुस्कियों के साथ गर्म -गर्म पिज़ा खा रहे थे।
Gds मीट की यही खासियत हैं कि यहाँ सब मिलकर आनंद के सागर में डुबकियां लगाते हैं और परम आनंद की प्राप्ति करते हैं।✋आज का ज्ञान खत्म☺️
रात को चारु ने खिचड़ी ओर कढ़ी बनाई और हम सबने मिलकर खाई।इतने मैं भिलाई के 1 मतवाले कपल सोनाली ओर सन्दीप भी आ गए उनसे प्रथम मिलन था पर प्रथम जैसा कुछ था ही नही सब ऐसी बातें कर रहे थे जैसे काफी पुराने परिचित हो।😄
गोल मटोल ,हिरनी की तरह चंचल आंखों वाली सोनाली ओर उनके मस्तमौला पति सन्दीप जी दोनों ऐसे घुलमिल गए जैसे बरसो से याराना हो🥰 हम सब छोटे से कमरे में रजाइयों में घुसे हुए आपस मे बतिया रहे थे कि अचानक दादा ने कमरे में प्रवेश किया।दादा यानी कि बोकारो से पधारे हमारे भकिल अमन दादा जिनसे मैं 2017 के रांशी मीट के बाद अब मिल रही थी।
दादा ने सबसे पहले झुककर मेरा अभिवादन किया तो दिल गदगद हो गया।☺️
रात ढाई बजे तक ये सिलसिला जारी रहा। बातें खत्म होने का नाम ही नही ले रही थी और फिर रात 3 बजे के बाद हमारी आबकारी मैडम अर्पणा अपनी माताजी के साथ आई तो हम सब कुछ अलसाये हुए मदहोशी के आलम में थके हुए उसका वेलकम कर उसे भी सुलाकर फिर सो गए।☺️
कल एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए.....
क्रमशः
सोनाली,चारु,अमन दादा ,मैं ओर विमल
मंगलवार, 19 मार्च 2024
कश्मीर फाईल #भाग 10
कश्मीर फाईल#भाग 9
शनिवार, 16 मार्च 2024
कश्मीर फाइल्# भाग 8
कश्मीर फाईल #भाग 7
#सोनमर्ग (श्रीनगर)
6 सेप्टेंबर 2023
कल हम गुलमर्ग घूमकर आये ।रात हमने आराम से निकाली अब सुबह हम सोनमर्ग जायेगे।सुबह नाश्ता कर हम सोनमर्ग को निकल गए।
सोनमर्ग, गुलमर्ग से भी बहुत खूबसूरत हैं। ऐसा अजित बोल रहा था ।उसकी ये बात मुझको भी सही लगने लगी जब यहाँ बहने वाली नदी हमारे साथ ही इठलाती हुई चल रही थी तो ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हमसे होड़ कर रही हो कि मैं तुमसे पहले पहुँचूँगी।☺️
पहली बार सड़क के साथ-साथ बहती नदी देखी थी जो तेग वेग के साथ बह रही थी और हम उस नदी के विपरीत दिशा में आगे बढ़ रहे थे।एक जगह पुलिस ने हमारी कार रोकी तो मैं खुद को न रोक सकी और फ़टाफ़ट नदी की तरफ दौड़ पड़ी यहाँ मैंने ढेर सारे वीडियो बनाये।मौसम बहुत रंगीन था और फिजा में ठंडक थी ।मैंने एक स्वेटर ओर टोपी पहन रखी थी।मन ऐसा हो रहा था कि यहाँ घण्टो बैठा जाय और इस नदी की लहरोँ से वार्तालाप किया जाय।पर अजित बार बार हॉर्न मार रहा था आखिर मन मसोसकर मैं कार में आ गई।
सोनमर्ग पहुँचकर वहाँ अजित ने कार स्टैंड पर लगा दी,अब आगे का सफर हमको घोड़े पर या गाड़ी पर करना होगा।
घोड़े वाले से बात की तो वो 3 हजार में थजी ग्लेशियर ले जा रहा था रास्ते के 1-2 पॉइंट ओर बोल रहा था पर हमने घोड़ो पर जाना बिल्कुल मना कर दिया।
तो एक कार वाला आ गया जो जोजिला पास दिखाने का 10 हजार मांग रहा था।मैंने 3 हजार बोला तो चला गया फिर 8 हजार बोलकर वापस आया ।मगर मैंने 5 हजार लास्ट बोला तो थोड़ा ना-नुकुर करके तैयार हो गया।
अब हम मोहम्मद के साथ एक बढ़िया कार में सवार हो आगे बढ़ गए। मोहम्मद एक बढ़िया आदमी और ड्रायवर था।उसने हमको रास्ते में गाड़ी रोक रोक कर हर जगह दिखाई और उसके बारे में बताया।
अमरनाथ यात्रा किधर से शुरू होती हैं । वो सब जगह दिखाई जिसे बालटाल कहते है। मैंने भी काफी वीडियो बनाये।अमरनाथ यात्रा अब तो कर नही पाऊंगी कम से कम बालटाल देखकर ही दिल खुश कर लूं।
फिर आया जोजिला के काले-काले पहाड़ ओर गहरी खाइयाँ।दूर पहाड़ों पर बर्फ चमक रही थी।सर्दियों में ये रास्ता बंद हो जाता हैं। यही से लद्दाख जाया जाता हैं।
हम जोजिला के रास्ते पर एक जगह रुके जिधर एक बड़ा सी बर्फ की चट्टान पड़ी हुई थी उसमें से पानी बह रहा था।काफी लोग उतरकर यहाँ फोटुग्राफी कर रहे थे।
फिर हम आगे गए वहाँ एक ग्लेशियर था जिस पर कुछ लोग खेल रहे थे।मैं भी उतरकर ग्लेशियर के पास गई पर काफी ठंडी हवाएं चल रही थी। इतने में अचानक धूप गायब हो गई और बारिश की मोटी मोटी बूंदे गिरने लगी। मैं दौड़कर कार में आ गई वरना भीग जाती।थोड़ी देर में ये गुलजार ग्लेशियर अचानक सन्नाटे में तब्दील हो गया। सब अपनी अपनी कारो में समा गए और आगे बढ़ गए।हम भी बारिश में ही आगे बढ़ गए।
आगे हमको लद्दाख जाने का गेट नजर आया।यही वार मेमोरियल हैं।यहाँ एक छोटा सा रेस्टोरेंट भी था।
अचानक पानी बन्द हो गया और बर्फ गिरने लगी।मैं तो बर्फ देखकर खुशी से झूम उठी ।मैंने कार का दरवाजा खोला और बाहर छलांग लगा दी।बाहर बर्फ गिर रही थी जो मेरे काले स्वेटर पर रुई की तरह चमक रही थी।.मैं झूम-झूम कर नाचने लगी☺️
गीले होने के डर से मिस्टर चिल्लाने लगे और मैं रेस्टोरेंट के अंदर आ गई।इस बारिश से वहाँ का पारा एकदम लुढ़क गया और ठंडी तेज हो गई। मेरा सारा जिस्म ठंडी से कांपने लगा। तब मैंने गर्मागर्म चाय पी ओर एक समोसा खाया। हालत में सुधार आया।
कुछ देर बाद हम लॉट रहे थे।रास्ते पर हल्की हल्की बर्फ गिरी हुई थी ।मौसम में ठंडक थी और धूप वापस निकल आई थी।
आज का सफर पैसे वसूल रहा। रास्ते मे हमने सेव के बागों से सेव् खरीदे 300 रु में 7 किलो।
श्रीनगर पहुँचकर हमको एक गुरद्वारा नजर आया।तो लगे हाथों हम गुरद्वारे में भी चले गए।
शेष अगले भाग में....
शुक्रवार, 15 मार्च 2024
कश्मीर फाइल# भाग6
कश्मीर फाईल#6
गुलमर्ग
भाग#2
5 सेप्टेंबर 2023
आज हम गुलमर्ग की सैर करने निकले है। पिछले भाग में हम नीचे से गंडोले में बैठकर ऊपर आ गए थे। अब आगे का आंखों देखा किस्सा जारी:-----
3 हजार 50 मीटर्स ऊपर पहुँच कर हमने एक खुला मैदान देखा। इसको कोंगडोरी कहते हैं। इधर कुछ सेल्फी पॉइंट बना रखे थे।यहाँ भी पोनी वाले घूम रहे थे आगे के पॉइंट दिखाने के लिए पर हमने मना कर दिया ।हमको यही पर अच्छा लग रहा था। इन खूबसूरत वादियों को निहारना ओर ठंडी फिजाओं को सूंघना ही मेरा मकसद था।यहाँ मैं घण्टों बैठ सकती हूं।यहाँ थोड़ी ठंडी भी थी तो धूप में बैठना अच्छा लग रहा था। हम धूप में फोटू खिंचते हुए इधर-उधर घूम रहे थे ।बड़ा ही प्यारा मौसम था। यहाँ कुछ होटल बने हुए थे।काफी लोग घोड़े पर बैठकर न जाने किधर निकल गए कुछ देर दिखते रहे फिर गुम हो गए। इससे आगे फेज़ 2 का गंडोला हैं जो 14 हजार फीट ऊपर हैं अगर वहाँ जाती तो यकीनन बर्फ मिलती पर वो आजकल बन्द हैं उसका मेंटनेस चल रहा है।
यहाँ बैठकर मुझे फ़िल्म का गाना बार बार याद आ रहा था--" कितनी खूबसूरत ये तस्वीर हैं.. ये कश्मीर हैं ...ये कश्मीर हैं।"
हमने यहां बहुत फोटू खिंचे , चलते हुए गंडोले के नीचे खड़े होकर हमने खूब वीडियो बनाई। आते-जाते गंडोले बहुत अच्छे लग रहे थे। काफी देर बाद जब मन भर गया तो लौटने में ही भलाई समझी । उधर घोड़े वाले का भी बार बार फोन आ रहा था तो हम वापस गंडोले में बैठ गए।
गंडोले से वापसी में मुझे बॉम्बे का एक ग्रुप मिला जिसमें सभी युवा थे।उनमें से एक लड़के ने मुझसे पूछा कि आंटी जी, "गंडोले वाली जगह कितनी दूर है? हम पैदल जा सकते हैं।"
मैंने बोला--"जरा भी दूर नही हैं आराम से जा सकते हो।"
उनके पास खड़ा घोड़े वाला मुझे घूर रहा था । उसके बन्धे बकरे जो मैंने खोल दिये थे ☺️ओर मुझे जोर से हंसी आ गई,मानो मैंने सारे घोड़े वालो से अपना बदला ले लिया हो।😂🤣😂
घोड़े से वापस आ रहे थे तो हमने एक पहाड़ी पर एक सुंदर मन्दिर देखा।तब याद आया कि ये तो वही मन्दिर हैं जिस पर फ़िल्म "आपकी कसम" में राजेश खन्ना और मुमताज पर एक फ़ेमस गीत फिल्माया था।भांग पीकर दोनों मस्त डांस कर रहे थे । ऐसा लगा,मानो कल की ही बात हो---" जय जय शिव शंकर ...कांटा लगे न कंकर... के प्याला तेरे नाम का पिया😂🤣😂
ओर हम भी झूमते हुए घोड़े पर ही मन्दिर की तरफ चल दिये।मन्दिर एक टेकरी पर बना हुआ था ।वहाँ तक जाने के लिए सीढियां बनी हुई थी जिससे हम जैसे लोग आराम से चढ़कर ऊपर जा सकते हैं।
शिव मंदिर:---
यह मंदिर 1915 में महराजा हरी सिंह की पत्नी महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने बनवाया था। इस मंदिर की देखरेख एक मुस्लिम परिवार करता है।106 साल पुराने इस शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कश्मीर में तैनात मिलिट्री के जवानों ने किया है।करीब तीन महीनों में सेना ने इस मंदिर की मरम्मत करके इसे फिर से पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए खोल दिया गया था। इस मंदिर में चर्च,गुरद्वारा ओर मस्जिद भी हैं।
सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर हमें शानदार सीनरी के दर्शन हुए। नीचे खड़े घोड़े ओर गाड़ियां नन्हे नन्हे खिलोने जैसे प्रतीत हो रहे थे। चारो ओर खूबसूरत मखमली हरियाली बिछी थी मानो किसी ने हरी चादर बिछा दी हो।प्रकृति का ये रूप कितना दिलकश था।
ऊपर शंकर जी का मंदिर था। रंगरोगन नये जैसा ही लग रहा था।कुछ देर बैठकर हम नीचे उतर गए ।वही गाड़ी मंगवा ली और उसमें बैठकर हम श्रीनगर को चल दिये।
कल हम सोनमर्ग चलेगे ।तो मिलते हैं कल...