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गुरुवार, 5 मई 2016

जयपुर की सैर == भाग 2 ( jaipur ki sair == bhag 2 )


जयपुर की सैर ==भाग 2
"कोटा राजस्थान "

( कोटा का रंगारंग स्टेशन )




14 अप्रैल 2016 गुरुवार


कल हम बॉम्बे से 3 सहेलियां निकली थी जयपुर जाने को  'सम्पर्क क्रांति ट्रेन ' से और ये रात कयामत की थी 
आज का दिन हमको कोटा बिताना है  .. 
अब आगे .....
सुबह शोर सुनकर नींद खुली तो देखा इंसानो का लहराता समुन्दर मेरे सामने था  .. मुझे बहुत आश्चर्य हुआ की रात को  ट्रेन में और भी पैसेंजर चढे थे जबकि ये गाडी बॉम्बे से सीधे बड़ोदरा और वहां से कोटा ही रूकती है ....गाडी पहले से ही पैक थी फिर रेल्वे इनको टिकिट देती ही क्यों हैं ..... जहां तक नजर जा रही थी सब सो रहे थे और तो और पास वाले कूपे में तो टॉयलेट के अंदर भी  लोग बैठे थे ... हैं भगवान !
मेरे कूपे में टॉयलेट जाने वाले उडनपुत्र की तरह ऊपर सीटों पर पैर रखकर बड़े मजे से टॉयलेट जा रहे थे और वापस भी आ रहे थे ..... किसी ने भी सोये हुए लोगों को नहीं जगाया ।

अचानक मेरी नजर अपने पास सोई हुई 2 बच्चियों पर पड़ी जो बेख़ौफ़ सोई हुई थी ,दिखने में गरीब और भिखारन सी लग रही थी पास ही उनकी माँ भी बैठी थी जो खुद भी मैली सी साड़ी में थी और बैठे - बैठे ही सो रही थी..... उसके जोरदार खर्राटों से ही शायद मेरी नींद टूटी थी ... अचानक, मुझे अपने सर का ख्याल आया कही रातभर इन लोगो के सर से कुछ जुएं तो ट्रांसफर नहीं हो गई ? यह सोचकर ही मैं  सिहर गई और मेरे सर में एक तेज़ खुजली होने लगी ,जल्दी जल्दी मैं उठकर बैठ गई देखा तो 5 बज रहे थे नजदीक ही मेरा बैग  रखा  हुआ था जो पूरी तरह मेरे हाथ से जकड़ा हुआ था .. रात को सोने से पहले मैंने ही उसको कसकर बांध लिया था  ताकि कोई पार करे तो मेरी नींद खुल जाये ....खेर, वो सही सलामत था मैंने राहत की साँस ली क्योकि उसमें मेरा खज़ाना था मेरे टिकिट ,मेरे एटीएम कार्ड और सबसे बहुमूल्य मेरा पासपोर्ट था । 

 अभी कोटा आने में 2 घण्टे और थे  दोबारा उसी जगह सोने की हिम्मत नहीं हुई पास वाली सीट पर उकडूं बैठी रही जब तक कोटा शहर की फैक्ट्रियां दिखाई नहीं दी।
अल्ज़िरा और मीना को उठाकर हम कोटा के प्लेटफार्म पर उतरे और राहत अली को याद किया हा हा हा हा यानि राहत की साँस ली और सबसे पहले हम तीनो ने ये कसम खाई की आइन्दा कभी सेकण्ड क्लास का सफर नहीं करेगे और यदि करना भी पड़ा तो रिजर्वेशन के बगैर कभी यात्रा नहीं करेगे, ये तो पक्का है।

कोटा मेरा ससुराल हैं यहाँ मेरे काफी रिश्तेदार रहते है ... हम ऑटो पकडकर सीधे घर को चल दिए ,स्टेशन के नजदीक ही हमारा घर है यदि सामान न होता तो पैदल ही पहुँच जाते पर सामान के कारण ऑटो करना पड़ा और फ़ोकट में ५० रू देने पड़े खेर, साढ़े सात बजे हम घर में थे और रात की आपबीती सुना रहे थे । 

घर पहुँचकर नाश्ता किया करारी कचौरी और गरमा गरम जलेबियों का, नाश्ता कर के  दोनों सहेलियां आराम करने ऊपर वाले रुम में चली गई और मैँ अपनों के साथ गुफ़्तगु में तल्लीन हो गई....... 

शाम 5 बजे हम तैयार हो घूमने निकले .... अब  हम सेवन वंडर्स घूमने जा रहे थे क्योकि रात 12 बजे की हमारी ट्रेन थी जयपुर के लिए ,लेकिन धबरने की कोई बात नहीं इस बार हमारा टिकिट कंफर्म हैं  ... 

 वैसे तो कोटा में काफी जगह है देखने को लेकिन हमारे पास टाइम नहीं था। ....  मेरी तो करीब-करीब सारी जगह देखि हुई है पर अगर एक दिन और रुक जाते तो इन लोगो को भी मैं यहाँ का फेमस चंबल गार्डन दिखा देती  .....
तो आपको भी सेवन वंडर्स और कोटा शहर की कुछ तस्वीरें दिखाती  हुं ------->



कोटा का मेरा घर 





ये है सेवन वंडर्स की कुछ कलाकृतियां 




पिरामिड 



 एक शहजादी 


लो जी अमेरिका पहुँच गई 




 मस्ती -- हम तीन 

शाम का नजारा  -- डूबता  सूरज 


 अल्जिरा और मैँ -- 'जो वादा किया वो  निभाना पड़ेगा ' 


अपने घर में कुछ ख़ुशी के पल 





 सेवन वंडर्स -- पीसा की मीनार 

 * आगे के कुछ फोटो गूगल बाबा से  *

 एरोड्रम रोड 


 किशोर सागर (तालाब )




 शहर के बीचों बीच खूबसूरत किशोर सागर और उसमें बना जलमंदिर 
 गेपरनाथ --पहाड़ों के बीच कई फीट निचे भगवान शिव का पुराना  मंदिर यहाँ सीढ़ियों  से जाया जाता है निचे जाकर अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है 


गेपरनाथ मंदिर को जाने वाली सीढियाँ  १९८१ में मैँ स्वयं गई थी तब इतनी पक्की सीढ़ियां नहीं थी 





 कोटा को जोड़ने वाला पहाड़ी दर्रा नाम ---दरा 



राजा महाराजाओं की छतरियां 
(यहाँ उनकी आखरी अंत्येष्टि कर के ये छतरियों का निर्माण करते थे )  



कोटा डेम 


दूर से नजर आ रहा सेवन वंडर्स पार्क

आधारशिला --- सालो से ये पत्थर यू ही हवा में लटका हुआ है



रात १० बजे हम खा पीकर घर वापस लौटे क्योकि १२ बजे हमारी गाडी थी और हम सबसे बिदा लेकर साढ़े ग्यारह बजे ही स्टेशन पहुंच गए  अपनी सीटों के निचे सामान बांधकर आराम से सो गए क्योकि सुबह ५ बजे जयपुर आ जाता है। .....





16 टिप्‍पणियां:

Sachin tyagi ने कहा…

अच्छा लगा सैवन वंडर। ओर आपकी रेल की सुबह की बाते। हा हा हा..

सहज समाधि आश्रम ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
सहज समाधि आश्रम ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
दर्शन कौर धनोय ने कहा…

थैंक्स सचिन

दर्शन कौर धनोय ने कहा…
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Harshita ने कहा…

कोटा का सेवन वंडर्स तो आश्चर्यनक है ही, और ट्रेन का सफ़र तो मजेदार रहा ही है,कभी कभी ऐसी यात्रायें बहुत सारी यादें अपने साथ दे जाती हैं।

MAHESH SEMWAL ने कहा…

seven wonders tho badi acchi jagah hai .....ek park mei sari duniya dekh lo.

Ritesh Gupta ने कहा…

अच्छा किया बुआ जी , हमे कोटा और सेवन वंडर घुमा के |

ट्रेन की आरक्षित बोगी में 3 टायर में अक्सर ऐसा रूप देखने को मिलता है जैसा आपने लिखा.....

लेख अच्छा लगा

रमता जोगी ने कहा…

बढ़िया घुमक्कडी बुआ...जुयें कितने मिले ? जरूर बताना।

रमता जोगी ने कहा…

बढ़िया घुमक्कडी बुआ...जुयें कितने मिले ? जरूर बताना।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

सही कहा हर्षा

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

फोटू से ज्यादा खूबसूरत बना है महेशजी

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

थैंक्स रितेश

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

दिल्ली आकर तुझसे ही सर दिखाना है तभी पता चलेगा कितनी ट्रांसफर हुई ☺

Yogi Saraswat ने कहा…

बुआ शानदार यात्रा ! आप और आपकी सहेलियों के जज्बे को नमन ! बुढ़ापा है कहाँ ? आपकी पोस्ट पढ़कर कोटा को और भी ज्यादा जान पा रहा हूँ ! एक से एक सुन्दर तस्वीर

स्वाति ने कहा…

बहुत मजेदार पोस्‍ट । पहली बार कोटा के सेवन वंडर्स के बारे में पता चला। वैसे इतनी गर्मी में राजस्‍थान यात्रा, परेशानी नहीं हुई क्‍या ।