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मंगलवार, 10 नवंबर 2020

कर्नाटक-डायरी#6

कर्नाटक-डायरी
#मैसूर -यात्रा
#भाग=6
#करंजी-लेक
#18मार्च 2018

ऊटी घूमकर हम वापस मैसूर आ गए एक दिन आराम कर के हम आज फिर घूमने निकल पड़े....
 आज निकले हम मैसूर की प्रसिध्द लेक "करणजी-लेक" देखने...

करंजी लेक गार्डन मैसूर शहर के बड़े मॉल "सिटी-मॉल" के नजदीक ही सड़क पर बना हुआ हैं..लेक के शुरू में बड़ा सा गार्डन हैं...यहां 20 ₹ इंट्री फीस हैं खाने पीने का समान यही रख लिया जाता हैं, अंदर आप सिर्फ पानी की बोतल ले जा सकते हो, पार्क के प्रवेश द्वार के नजदीक ही सायकिल स्टेण्ड हैं जिधर से 20₹ घण्टे इंडियन ओर 50₹ घण्टे विदेशियों को साइकिल किराये पर मिलती हैं जिससे आप आराम से लंबे चोड़े गार्डन में घूम सकते हो।
  यही "तितली पार्क" ओर एक "ऐवीयरी" भी हैं जिसमें विभिन्न तरह के मयूर ओर पक्षी हैं। 
 
करंजी-झील :--
ये झील एक प्रकृति पार्क से घिरी हुई हैं  इसमें एक तितली पार्क और एक वॉक-थ्रू एवीयरी हैं । एवियरी मतलब बड़ा पिंजरा जिसमें जाली लगी होती हैं और पक्षी स्वतंत्र होकर उड़ सकते है यह भारत में सबसे बड़ा 'वॉक-थ्रू एवियरी' है। यहां एक संग्रहालय भी है, जो इस झील के किनारे स्थित है।उसकी फीस अलग से लगती हैं। करंजी झील का कुल क्षेत्रफल 90 हेक्टेयर है। जबकि जलप्रपात क्षेत्र लगभग 55 हेक्टेयर में है, लेकिन सम्पूर्ण क्षेत्र का क्षेत्रफल लगभग 35 हेक्टेयर है। 

यहां नोका विहार भी हैं और हर तरह की नोका, पैडल नोका ओर स्पीड बोर्ड भी चलते हैं। टिकिट प्रति व्यक्ति 50₹ हैं। हमने चप्पू वाली नाव की ओर लेक में घूमने निकल पड़े।

तितली -पार्क :-- 
तितली पार्क को करंजी झील के भीतर एक छोटे से द्वीप पर बनाया गया है। यहां तितलियों की लगभग 45 प्रजातियों की पहचान की गई है। वनस्पति विज्ञानी की मदद से, तितलियों के प्रजनन के लिए आवश्यक मेजबान पौधों और अमृत पौधों की उपयुक्त प्रजातियों का चयन किया गया हैं और उन्हें द्वीप के भीतर लगाया गया हैं। ये पौधे पहाड़ी इलाकों और मलनाड जैसे अन्य क्षेत्रों से लाए गए हैं । 

एवीयरी:--
झील के किनारे पर निर्मित एवियरी की ऊंचाई 20 मीटर, 60 मीटर की लंबाई और 40 मीटर की चौड़ाई है  इसे भारत का सबसे बड़ा वॉक-थ्रू एवियरी कहते है। एवियरी की स्थापना 3 मिलियन रुपये की लागत से की गई थी। इसमें एक कृत्रिम झील और दो छोटे जल प्रपात हैं  करंजी झील से पानी एवियरी के अंदर एक धारा के रूप में पंप से आता है, ओर उपयोग के बाद वापस पानी को झील में छोड़ दिया जाता है। इसमें कईं प्रजातियों के लगभग 40-50 पक्षी हैं। हॉर्नबिल्स, मोर, सफ़ेद-मोर, टर्की और ब्लैक स्वान हैं।

हमने मैसूर की लेक में खूब इंजॉय किया। यहां कई तरह के पेड़ देखे, बांस के पेड़ और कैक्टस की विभिन्न जातियां देखकर मन प्रसन्न हो गया।गार्डन बहुत ही खूबसूरती से बनाया गया हैं आराम करने के लिए बेंचेस,ओर पानी के नल,वॉशरूम जगह जगह मिलते है।
आपका एक पूरा दिन अच्छा टाइम-पास होता हैं।
क्रमशः.....



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